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मुजफ्फरपुर : बिना मान्यता एडमिशन लेने वाले कॉलेजों पर होगा केस

मुजफ्फरपुर : सरकार से मान्यता लिये बगैर ही छात्र-छात्राओं का एडमिशन लेने वाले कॉलेजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने ऐसे मामलों को छात्रों के साथ धोखाधड़ी माना है. विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी ने कहा है कि यदि किसी कॉलेज ने बिना मान्यता के एडमिशन लिया है, तो उसके […]

मुजफ्फरपुर : सरकार से मान्यता लिये बगैर ही छात्र-छात्राओं का एडमिशन लेने वाले कॉलेजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने ऐसे मामलों को छात्रों के साथ धोखाधड़ी माना है. विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी ने कहा है कि यदि किसी कॉलेज ने बिना मान्यता के एडमिशन लिया है, तो उसके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराया जायेगा.
बीआरए बिहार विवि को मान्यता के लिए प्रस्ताव देने वाले करीब डेढ़ दर्जन कॉलेजों में 20 हजार से अधिक छात्र नामांकित हैं. अब ये कॉलेज मान्यता के साथ ही इन छात्रों की परीक्षा कराने का विवि पर दबाव दे रहे हैं. हालांकि पिछले महीने हुई परीक्षा बोर्ड की बैठक में इन प्रस्तावित कॉलेजों के छात्रों की परीक्षा पर कोई निर्णय नहीं हो सका.
राजभवन ने मांगी पेंडिंग मामलों की रिपोर्ट: राजभवन ने विश्वविद्यालयों से एफिलिएशन के लिए प्रस्तावित कॉलेजों की सूची व प्रस्ताव की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट मांगी है. 16 अप्रैल को कुलाधिपति की अध्यक्षता में हुई वीसी की बैठक में प्रस्तावित कॉलेजों के एफिलिएशन पर भी चर्चा हुई. कुछ विवि के कुलपतियों ने बताया कि सरकार के पास प्रस्ताव पेंडिंग है. इस पर प्रधान सचिव ने कहा कि पेंडिंग प्रस्तावों की सूची उपलब्ध कराएं, जिससे सरकार के शिक्षा विभाग से संपर्क कर पेंडिंग क्लीयर कराया जा सके.
प्रस्ताव मिलने साथ तय करें डिस्पोजल की डेडलाइन: नये कॉलेजों को एफिलिएशन के लिए अब विवि या विभाग के स्तर पर ज्यादा दिन नहीं परेशान किया जा सकेगा. हाईकोर्ट ने आवेदनों के निस्तारण के लिए डेडलाइन तय करने को कहा है. राजभवन के ओएसडी (ज्यूडिशियल) ने बताया कि सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि एफिलिएशन के लिए आने वाले आवेदनों के निस्तारण के लिये डेडलाइन तय किया गया है. साल भर में मिलनेवाले आवेदनों का निस्तारण अगले साल के 15 जनवरी तक कर लेना है.
विश्वविद्यालयों व कॉलेजों से मांगा कर्मचारियों का रिकॉर्ड
मुजफ्फरपुर : राजभवन ने विश्वविद्यालय व कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों का रिकॉर्ड मांगा है. राज्य स्तर पर शिक्षकों व कर्मचारियों का अलग-अलग डाटा तैयार किया जा रहा है. विवि की ओर से शिक्षकों का डाटा दे दिया गया है, लेकिन कर्मचारियों के बारे में जानकारी नहीं दी गयी है. राजभवन से बीआरए बिहार विश्वविद्यालय सहित सभी विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि मुख्यालय के साथ ही पीजी विभाग व कॉलेजों में कार्यरत कर्मचारियों का डाटा उपलब्ध करायें. इसमें यह भी बताना है कि कितने कर्मचारी नियमित तौर पर तैनात हैं और कितने कर्मचारी कांट्रैक्ट या आउटसोर्सिंग पर बहाल किये गये हैं.

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