मुजफ्फरपुर : बच्चों के एइएस से बचाव का दावा स्वास्थ्य विभाग कर तो रहा है, लेकिन सच ये है कि जिले के अस्पतालों में शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. जिले के 16 पीएचसी में एक भी शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. सदर अस्पताल में दो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, लेकिन इसमें से एक अक्सर ट्रेनिंग में ही रहते हैं. यहां एक डॉक्टर के भरोसे ओपीडी चलती है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल के एइएस वार्ड में जो बच्चे आते हैं, उनकी हालत गंभीर होने पर एसकेएमसीएच रेफर कर दिया जाता है.
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एइएस पीड़ित बच्चों को भेजा जाता है एसकेएमसीएच
मुजफ्फरपुर : बच्चों के एइएस से बचाव का दावा स्वास्थ्य विभाग कर तो रहा है, लेकिन सच ये है कि जिले के अस्पतालों में शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. जिले के 16 पीएचसी में एक भी शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. सदर अस्पताल में दो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, लेकिन इसमें से एक अक्सर ट्रेनिंग […]
जिले के 16 पीएचसी में से किसी भी अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ पदस्थापित नहीं हैं. आलम यह है कि बच्चों का इलाज कराने के लिए लोगों को प्राइवेट अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है. एइएस का लक्षण पाये जाने पर परिजन बच्चों को केजरीवाल अस्पताल ले जाते हैं. जिले में कहीं भी एइएस से पीड़ित बच्चे चिह्नित होते हैं, तो उन्हें एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है. एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में एइएस से पीड़ित बच्चों का इलाज होता है.
अभी 15 डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी गयी है. ये डॉक्टर एइएस के लक्षणवाले बच्चों का प्रारंभिक इलाज करेंगे. अगर मरीज की हालत गंभीर पायी जाती है, तो उन्हें एसकेएमसीएच रेफर करते हैं.
डॉ ललिता सिंह, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल
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