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ओडीएफ : पांच फिसड्डी जिलों में मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर : लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त योजना के तहत जिला शौचालय निर्माण में सूबे के अन्य जिले से काफी पीछे चल रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सूबे के पांच फिसड्डी जिलाें में मुजफ्फरपुर भी है. अब तक लक्ष्य का सिर्फ 27.95 प्रतिशत शौचालय […]

मुजफ्फरपुर : लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के अंतर्गत खुले में शौच मुक्त योजना के तहत जिला शौचालय निर्माण में सूबे के अन्य जिले से काफी पीछे चल रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सूबे के पांच फिसड्डी जिलाें में मुजफ्फरपुर भी है. अब तक लक्ष्य का सिर्फ 27.95 प्रतिशत शौचालय का निर्माण हुआ है. मुजफ्फरपुर के अलावा किशनगंज, अररिया, मधुबनी व सुपौल जिला है.

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण की बेवसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार वैसे तो पूरे देश में ओडीएफ में बिहार पीछे चल रहा है. आलम यह है कि अब तक एक भी जिला ओडीएफ घोषित नहीं हुआ है. 534 ब्लॉक में से सिर्फ 16 ब्लॉक खुले में शौच मुक्त हुए है. सिर्फ सहरसा जिला ओडीएफ घोषित होने के आंकड़ा के नजदीक है. करीब 98 प्रतिशत ओडीएफ हो गया है.
जिले में कछुए की गति से हो रहा शौचालय का निर्माण
शहरी क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त करना निगम के लिए बनी चुनौती
सीतामढ़ी व शिवहर ओडीएफ रैकिंग में सूबे के टॉप टेन जिला में शामिल
पांच महीने पूर्व 31 वें पायदान पर था जिला
अक्तूबर में ओडीएफ पर आयोजित प्रमंडलीय बैठक में पेश की गयी रिपोर्ट में जिला 31वें पायदान पर था. कमिश्नरी जिला होने के बावजूद मुजफ्फरपुर से आगे सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण है. सीतामढ़ी व शिवहर जिला तो ओडीएफ रैकिंग में सूबे में टॉप टेन में है. जिले की ओडीएफ की स्थिति पर गाैर करें तो गांव तो दूर शहर को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित करना नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है. इस समस्या के समाधान के लिए निगम अब खाली सरकारी जमीन पर सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराने की योजना बना रहा है. इसमें वार्ड पार्षदों से मदद ली जायेगी.
वहीं, शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शौचालय की स्थिति की भी मॉनीटरिंग होगी. शहर को ओडीएफ घोषित करने के लिए वार्ड पार्षदों से सहयोग मांगा है. जानकारी के अनुसार अपनी जमीन नहीं होने के कारण कई परिवार शौचालय का निर्माण नहीं करवा पा रहे हैं. इसके मद्देनजर अब सरकारी खाली जमीन पर 56 सामुदायिक शौचालय बनाया जायेगा. इससे इन लोगों को राहत मिलेगी. इसी तरह शहरी क्षेत्र के सभी सरकारी स्कूल से अंचल निरीक्षकों को यह रिपोर्ट लेनी है कि छात्र शौचालय का उपयोग कर रहे हैं या नहीं. ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय निर्माण में बालू संकट भी अाड़े आ रहा है. बालू की कीमत अधिक होने के कारण लोग शौचालय का निर्माण नहीं करवा रहे हैं.

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