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पंचायतों में भी बनेगी टास्क फोर्स

मुजफ्फरपुर: बाल विवाह व दहेज उन्मूलन एक सामाजिक परिवर्तन है. बाल विवाह कानूनी अपराध है, तो दहेज कुप्रथा है. जागरूकता फैला कर इसे रोकने की जरूरत है. ये बातें डीएम धर्मेंद्र सिंह ने मंगलवार को समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं. जिला परिषद सभागार में बाल विवाह व […]

मुजफ्फरपुर: बाल विवाह व दहेज उन्मूलन एक सामाजिक परिवर्तन है. बाल विवाह कानूनी अपराध है, तो दहेज कुप्रथा है. जागरूकता फैला कर इसे रोकने की जरूरत है. ये बातें डीएम धर्मेंद्र सिंह ने मंगलवार को समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहीं.

जिला परिषद सभागार में बाल विवाह व दहेज उन्मूलन पर हुई कार्यशाला में पुलिस व प्रशासन के सभी पदाधिकारियों ने भाग लिया. डीएम ने कहा कि बाल विवाह व दहेज पर रोक के लिए पंचायत व अनुमंडल स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है. टास्क फोर्स त्वरित कार्रवाई करेगी. बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए पंडित, मौलवी, पादरी से भी संपर्क रखने की सलाह दी. शादी-निबंधन के नियमों की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें जन्मतिथि की अनिवार्यता होगी. शादी के क्रम में दो शपथ पत्र देने होंगे. इसमें एक दहेज नहीं लेने का भी शपथ पत्र होगा.

कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन वरीय उप समाहर्ता अनिल कुमार आर्य ने किया. मौके पर सिटी एसपी यूएन वर्मा, एएसपी राजीव रंजन, नगर डीएसपी आशीष आनंद सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

महिलाओं को ससुराल में संपत्ति का अधिकार

कार्यशाला में समाज कल्याण विभाग की ओर से आये विशेषज्ञों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से पदाधिकारियों को जानकारी दी. दहेज कानून की जानकारी देते हुए बताया गया कि यह कानून महिलाओं को पति व ससुराल वालों से संपत्ति लेने को लेकर बनाया गया है. कानून के तहत शादी के समय दी गयी सारी संपत्ति शादी के तीन माह के अंदर महिला के नाम पर कर दिया जायेगा. यदि इस मिल्कियत पाने से महिला की मृत्यु हो जाती है, तो महिला के वारिश को संपत्ति मिलेगी. विवाह के सात साल के अंदर महिला की मौत होने पर सारा दहेज उसके माता-पिता व बच्चों को दिया जायेगा. इस कानून के तहत दहेज लेना व देना दोनों ही कानूनी अपराध है. इसके तहत पांच साल की सजा व 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. दहेज की मांग करना भी दंडनीय अपराध है. इसके लिए दो माह से लेकर छह माह की सजा व दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. दहेज हत्या के लिए सात साल की सजा हो सकती है, जो गैर जमानतीय है.

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