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राष्ट्रवाद को देशभक्ति से जोड़ कर चरमपंथ को दे रहे बढ़ावा

मुजफ्फरपुर: पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जानकी शरण सिन्हा की स्मृति में रविवार को सांईं एजुकेशनल फाउंडेशन की ओर से चेंबर ऑफ कॉमर्स में पंचम स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. मौके पर राष्ट्रवाद के बदलते क्षितिज विषय पर वक्ताओं ने विचार रखे. साथ ही वरीय साहित्यकार डॉ अवधेश्वर अरुण को जानकी शिखर सम्मान से सम्मानित किया […]

मुजफ्फरपुर: पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जानकी शरण सिन्हा की स्मृति में रविवार को सांईं एजुकेशनल फाउंडेशन की ओर से चेंबर ऑफ कॉमर्स में पंचम स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. मौके पर राष्ट्रवाद के बदलते क्षितिज विषय पर वक्ताओं ने विचार रखे. साथ ही वरीय साहित्यकार डॉ अवधेश्वर अरुण को जानकी शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया. अतिथियों का स्वागत प्रो विकास नारायण ने किया. विषय प्रवर्तन कराते हुए अनिल कुमार ओझा ने कहा कि आज राष्ट्रीयता एक संकीर्ण दायरे में सिमटती जा रही है. यह संकट पूरी दुनिया में है. आज राष्ट्रवाद को देशभक्ति से जोड़ कर उग्र चरमपंथ को बढ़ावा दिया जा रहा है.
मुख्य वक्ता प्रो एलएन शर्मा ने कहा कि राष्ट्रवाद को जो मतलब स्वाधीनता आंदोलन के दौरान या उसके बाद था, आज वह उससे भिन्न है. आज इस बात पर विचार करना जरूरी है कि राष्ट्रवाद को आक्रामकता से जोड़ना जरूरी है क्या. विशिष्ट वक्ता नवल किशोर चौधरी ने कहा कि राष्ट्र नस्ल आधारित अवधारणा है. ऐसे में एक ही राज्य में एक अधिक राष्ट्र हो सकते हैं.
अध्यक्षता करते हुए डॉ शिवदास पांडेय ने कहा कि मानवता ही राष्ट्रवाद की पहचान हो सकती है. यही सर्वोच्च है, जो मानवता को नकारता है, वह आतंकवादी है.
कार्यक्रम का संचालन प्रो अरुण कुमार सिंह ने किया. इस मौके पर डॉ ए कमालुद्दीन, अवधेश कुमार, डॉ बीके प्रलयंकर, शाहिद कमाल, अरविंद वरुण, डॉ हरेंद्र कुमार, सुरेश गुप्ता, वरीय पत्रकार ब्रजेश ठाकुर, सीपी सिंह, अच्युतानंद किशोर नवीन सहित कई लोग शामिल थे.

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