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बालूघाट रोड नंबर एक के नाला रोड में बोरे में लिपटी मिली नवजात, मां मेरा दोष क्या था, जो कचरे में फेंक दिया
मुजफ्फरपुर: आखिर वह कौन-सी परिस्थिति होती है जब कोई मां नौ माह कोख में पालने के बाद नवजात को कचरे के ढेर में फेंक देती है. ममता के लिए मां जानी जाती है. लेकिन, कोई मां इतना निर्दयी और कठोर हो जाये, तो हर संवेदनशील इंसान की आंखें बदकिस्मत बच्चे के लिए रो पड़ेंगी. अगर […]
मुजफ्फरपुर: आखिर वह कौन-सी परिस्थिति होती है जब कोई मां नौ माह कोख में पालने के बाद नवजात को कचरे के ढेर में फेंक देती है. ममता के लिए मां जानी जाती है. लेकिन, कोई मां इतना निर्दयी और कठोर हो जाये, तो हर संवेदनशील इंसान की आंखें बदकिस्मत बच्चे के लिए रो पड़ेंगी. अगर नवजात कुछ बोल पाती, तो शायद यही बोलती, ‘मां आखिर मेरा दोष क्या?’ इस संवेदहीनता में भी समाज में उम्मीद की किरण बरकरार है. इंसानियत की लौ समाज में रोशनी फैला रही है. घटना बालूघाट रोड नंबर एक के नाला रोड से बोरे में लिपटी मिली एक नवजात बच्ची से जुड़ी है.
शनिवार को सुबह नगर थाना क्षेत्र के इमामगंज पीर मोमिन साह मजार निवासी मोटर मेकैनिक मो. जावेद की मां कनीज खातून शनिवार की सुबह करीब आठ बजे बकरी चराने के लिए निकली थी. इसी दौरान नाला रोड स्थित एक खंडहरनुमा मकान में बोरे में उसने कुछ हिलते हुए देखा. महिला के शोर मचाने पर आसपास के लोग वहां पहुंच गये. जब बोरे को खोला गया तो उसमें नवजात बच्ची मिली. उसके शरीर पर खून लगा था. कनीज ने बच्ची को बोरे से निकाला व सीने से लगा कर अपने घर ले आयी.
पांच से आठ घंटे मौत से जूझती रही मासूम
कनीज खातून ने बताया कि बच्ची के शरीर पर खून लगा हुआ था. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि बच्ची का जन्म शुक्रवार की रात में हुआ होगा. जन्म देनेवाले निर्दयी मां-बाप ने उसे ऐसी जगह फेंका था, जहां हमेशा अावारा पशु व कुत्ते हमेशा घूमते रहते हैं. संयोगवश किसी आवारा पशु या कुत्ते की नजर उस पर नहीं पड़ी.
चाइल्ड लाइन के हवाले किया
घर लाने के बाद कजीन खातून ने पहले मासूम के पूरे शरीर को साफ किया, फिर डॉक्टर के यहां ले जाकर चेकअप कराया. डॉक्टर ने जब बच्ची को स्वस्थ घोषित कर दिया, तो उसे अपने घर ले आयी. बाद में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के समझाने पर जावेद ने अपने परिवार के साथ नगर थाने पहुंच बच्ची को थानेदार केपी सिंह के हवाले कर दिया. कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने नवजात को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया.
सर मुझे बेटी नहीं है, बच्ची मेरे पास ही रहने दीजिए
सर मुझे बेटी नहीं है, मेरा परिवार इस बच्ची को बड़े प्यार से पालेगा. इसको मेरे पास ही रहने दीजिए. ये बातें बच्ची को लेकर थाने पहुंचे मो. जावेद ने थानेदार केपी सिंह से कहीं. थानेदार ने जावेद को समझाया कि तीन माह तक बच्ची चाइल्ड लाइन के पास ही रहेगी. अगर उसके परिजन उसे लेने नहीं आते हैं, तो कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बच्ची आपको मिल सकती है.
अपनाने के लिए बढ़े कई हाथ, लगी बोली
घटना की सूचना पर नवजात को अपनाने के लिए कई हाथ आगे बढ़ने लगे. थोड़ी ही देर में जावेद के घर पर लोगों की जमा हो गयी. बच्ची को गोद लेने के लिए कोई 15 हजार, कोई 20 हजार तो कोई 25 हजार की बोली लगा रहा था. इनमें कई लोग ऐसे थे जिनके पास बेटी नहीं है. हालांकि, जावेद के परिजनों ने किसी के हाथ बच्ची को सौंपने से इनकार कर दिया व परवरिश करने का फैसला किया.
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