मुजफ्फरपुरः वैशाली के मौके पर शहर के कलमबाग रोड स्थित गुरुद्वारा कीर्तनगढ़ में खालसा पंथ का स्थापना दिवस उत्साह व भक्तिभाव से मनाया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मंजीत सिंह मोंगा ने किया. उन्होंने कहा कि सिख धर्म के अंतर्गत खालसा पंथ की स्थापना कर गुरु गोविंद सिंह ने उस समय के समाज में जाति विहीन समाज की स्थापना कर क्रांति लाने का कार्य किया था.
बिहार गुरुद्वारा को आर्डिनेशन कमेटी के महासचिव योगेंद्र सिंह गंभीर ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने खालसा के रूप में लड़ाकू फौज नहीं बनायी होती तो देश में हिंदू धर्म का नाम लेने वाला भी नहीं होता. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के नादेड़ में गुरु गोविंद सिंह का अवसन हुआ. उनकी याद में वहां विशाल गुरुद्वारा बनाया गया. इस मौके पर सुरजन सिंह ने गुरु गोविंद सिंह की वाणी देह शिवा वर मोहे ऐहै, शुभ करमन ते कबहूं ने टरौ न डरौं अरि स्यौं, जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं कीर्तन प्रस्तुत कर संगत को निहाल किया. सामूहिक अरदास के बाद गुरुद्वारा के अध्यक्ष हरि सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस मौके पर विभिन्न धर्मो के लोग मौजूद थे.
सिखों की सेवा के लिए हुए सम्मानित
खालसा पंथ दिवस के मौके पर गुरुद्वारा में तीन व्यक्ति सम्मानित किये गये. यह सम्मान उन्हें 1984 के दंगों में सिख परिवारों की रक्षा करने व दंगाइयों से बचाने के लिए दिया गया. संगत ने श्री प्रभात कुमार मुकुंद, राम बाबू सिंह व कांग्रेस नेता विद्यानंद सिंह को माला पहना कर सम्मानित किया.