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पैंट-शर्ट झोले में रख बाढ़ के पानी में घुस गया मुकेश

मुजफ्फरपुर: रात के 9.15 बजे. चौक से रामबाग चौरी जानेवाली सड़क. साइिकल पर आगे बड़ा सा झोला टांगे मुकेश कुमार पहुंचते हैं. सड़क पर बाढ़ का पानी शुरू होने से पहले ब्रेक लगाते हैं. साइकिल को स्टैंड पर खड़ा कर पैंट-शर्ट खोलना शुरू करते हैं. इसके बाद बैग से गमछा निकाल कर पहनते हैं और […]

मुजफ्फरपुर: रात के 9.15 बजे. चौक से रामबाग चौरी जानेवाली सड़क. साइिकल पर आगे बड़ा सा झोला टांगे मुकेश कुमार पहुंचते हैं. सड़क पर बाढ़ का पानी शुरू होने से पहले ब्रेक लगाते हैं. साइकिल को स्टैंड पर खड़ा कर पैंट-शर्ट खोलना शुरू करते हैं. इसके बाद बैग से गमछा निकाल कर पहनते हैं और कपड़े मोड़ कर बैग में रखते हैं. शैंडिल पीछे कैरियर में दबाते हैं. पानी से होकर घर जाने लगते हैं. कहते हैं, पान मसाला की फेरी लगाते हैं. दिनभर काम करते हैं, लेकिन रात में घर पर ही रहते हैं, क्योंकि चोरी का डर है. बाढ़ का पानी जब पूरे उफान पर था, तब भी मुकेश घर चले जाते थे. कहते हैं, उससे समय गर्दन के पास तक पानी आ जाता था. अब घट कर कमर से नीचे हो गया है.
मुकेश बताते हैं कि मोहल्ले के ज्यादातर लोगों ने घर छोड़ दिया, लेकिन हम लोगों ने बाढ़ के बीच ही रहने का फैसला किया. माता-पिता, पत्नी और बच्चे सब घर पर हैं. सिर्फ मुकेश काम के सिलसिले में बाहर निकलते हैं और इसी दौरान जरूरत का सामान लेकर वापस घर जाते हैं. बुधवार को मुकेश दूध और खाने का कुछ सामान लिये थे. कहने लगे कि सब्जी पहले से घर पर है. पानी में चोरी का डर बढ़ गया. हमारे मोहल्ले में दो घरों का ताला चोरों ने काट दिया. रात के समय चोर ट्यूब के सहारे घरों में घुसते हैं और सामान चोरी करके चले जाते हैं. यह डर अब भी है, लेकिन अब पानी कम हो रहा है, तो लोग भी अपने घरों को वापस आने लगे हैं.
अल्लाह पर छोड़ दी बकरीद : राजमिस्त्री का काम करनेवाले मो अय्यूब के घर में पानी घुसा, तो उन्होंने रामबाग चौक के पास की मस्जिद में शरण ली. खाने के लिए दोपहर और शाम को पास के ट्रेनिंग कॉलेज के कैंप में जाते हैं. राजमिस्त्री का काम मिलना बंद हो गया है. कहते हैं कि बालू के लिए मारामारी है. लगता है कि अभी एक महीने और काम नहीं मिलेगा. मो सलाम भी कहते हैं कि बालू की समस्या से हम लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. ऐसे में बकरीद भी आ रही है. हमने, तो अल्लाह पर बकरीद को छोड़ दिया है. वो जो करेंगे, वही होगा.
50 फीसदी कम हो गयी सवारी : मो फारुख ने भी मस्जिद में शरण ली है. खाना खाने के बाद चौक पर टहल रहे थे. ऑटो संघ के नाम लिखी शर्ट पहने हुये थे. कहने लगे, घर पानी में डूब गया है, लेकिन हमने अपना ऑटो निकाल लिया था. चलाने जाता हूं, लेकिन सवारी 50 फीसदी कम हो गयी है. देर तक खड़े रहना पड़ता है, तब सवारियां मिलती हैं.
गिर गयी फूस की झोंपड़ी : कपड़ों पर कसीदाकारी करनेवाले मो नासिर कहते हैं कि मेरी मां नहीं है. पिता व पत्नी के साथ झोपड़ी में रहता था. वह भी पानी में गिर गयी, तो पत्नी को मायके पहुंचा दिया और पिता कैंप में रहते हैं. घर का सारा सामान डूब गया. इससे काम भी बंद हो गया है. अब समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें?
ईदी देने का किया है वादा : मो आशिक व फरीद आलम का भी घर डूबा है, लेकिन इनका हौसला कायम है. कहने लगे कि सरकार ने बकरीद से पहले ईदी देने का एलान किया है. हम लोगों का सर्वे हो गया है. एकाउंट नंबर के साथ आधार कार्ड जमा कर दिया है. हमें उम्मीद है कि सरकार अपने वादे को पूरा करेगी. हम लोगों की बकरीद ठीक होगी. रामबाग चौक पर खड़े अय्यूब आपस में बकरीद की चर्चा कर रहे थे. कहने लगे कि हम क्या करेंगे. हमने तो बाढ़ की वजह से अपना बकरा बेच दिया है, जब घर में पानी भरा है, तो कुर्बानी कैसे देंगे. अभी खुद ही कैंप में रहना पड़ रहा है. रामबाग ट्रेनिंग कॉलेज कैंप में रह कर गुजारा कर रहे हैं.
सप्ताह भर हो गया रोटी खाये
बाढ़ राहत कैंप में रहनेवाले लोगों को रोटी नसीब नहीं हो रही है. मो फिरोज कहते हैं कि सरकार की ओर से दाल, चावल और सब्जी की व्यवस्था की गयी है. हम लोग घर में रोज रोटी खाते थे, लेकिन एक सप्ताह हो गया. रोटी नसीब नहीं हुई है. बीच में निजी संस्थाओं की ओर से पाव रोटी मिली थी बस. केवल चावल की वजह से कैंप में रह रहे कई लोगों को परेशानी हो रही है, लेकिन हम लोग क्या कर सकते हैं?
दिनभर कैंप में, रात में घर
रामबाग चौरी इलाके में नहर के किनारे रहनेवाले कई घरों के युवा दिनभर कैंप में रहते हैं और रात में खाना खाने के बाद बाढ़ के पानी से होकर घर चले जाते हैं. यह इनका रोज का काम हो गया है. बुधवार की रात साढ़े नौ बजे भी 15 से 20 युवकों का झुंड पानी से होकर अपने घरों के लिए जा रहा था. पूछने पर कहने लगे कि चोरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह से हम लोगों को रात में जोखिम उठा कर घर में रहना पड़ता है.

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