मुजफ्फरपुर : पहले इनको िनकाल लेते हैं, तब आपके पास आयेंगे.
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तीन पेड़ों पर फंसी थी पांच िजंदगियां, एनडीआरएफ ने बचाया
मुजफ्फरपुर : पहले इनको िनकाल लेते हैं, तब आपके पास आयेंगे. भाइया जी, आप मुझे बचा लीिजये. मेरा हाथ फंसा हुआ, नहीं खुल रहा है. यह बातें, मुशहरी के िबंदा गांव के पास नाव पटलने के बाद पानी में फंसे पांच लोगों और एनडीआरएफ जवानों के बीच हो रही थीं. ये पांच लोग तीन पेंड़ों […]
भाइया जी, आप मुझे बचा लीिजये. मेरा हाथ फंसा हुआ, नहीं खुल रहा है.
यह बातें, मुशहरी के िबंदा गांव के पास नाव पटलने के बाद पानी में फंसे पांच लोगों और एनडीआरएफ जवानों के बीच हो रही थीं. ये पांच लोग तीन पेंड़ों पर थे. इनमें साठ साल के हबीब थे, तो 19 के मो अय्यूब भी.
हबीब के साथ उनकी पत्नी जमीला खातून व दो बकािरयां, बाल्टी व सामान की एक बोरी भी थी. ये सब लोग उन 11 लोगों में से थे, जो सुबह नौ बजे के आसपास नरौली से नाव के सहारे मनिका जा रहे थे, लेिकन िबंदा गांव के पास नाव पलट गयी. छह लोग तैरना जानते थे,
सो बाहर निकल गये और ये लोग बाढ़ में फंस गये और पास के पेड़ों के सहारे खुद को बचाने का प्रयास करने लगे. सूचना िमलने के बाद इनके पास एनडीआरएफ की टीम पहुंची, तो इन लोगों को लगा िक अब िजंदगी बच जायेगी. टीम को देखते ही, यह लोग खुद को बचाने की गुहार लगाने लगे.
इस पूरे ऑपरेशन का एनडीआरएफ के सदस्यों ने वीिडयो भी बनाया, िजसमें वह सबसे पहले हबीब को बचाने के िलए पहुंचते हैं. पेड़ के पास पहुंचते ही रस्सी उनकी ओर फेंकते हैं और उसे खीचने की बात कहते हैं. हबीब पेड़ पर चढ़े, तो उनकी पत्नी व अय्यूब पेड़ के नीचे बहते पानी में दो बकरियां व बोरी िलये खड़े थे. पहले हबीब की पत्नी को वोट पर चढ़ाया गया. िफर बकरियों व बोरी में रखने सामान को लाया गया. इसके बाद हबीब को पेड़ से उतारा गया, जब वो वोट में पहुंचे, तो कहने लगे िक पेड़ पर बैठे-बैठे हम परेशान हो गये. इसके बाद वोट में अय्यूब चढ़ाया गया. जवानों को इस काम में लगभग डेढ़ िमनट लगे, इसके बाद जवान वोट लेकर एक झाड़ीनुमा पेड़ पर पहंचे. इस पर तीस साल के मोहम्मद गुलाब रो रहे थे. जवान लगातार उन्हें ढांढस बंधा रहे थे, लेिकन उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. गुलाब को जब जवान बचा रहे थे, तो पास के पेड़ पर 27 के सद्दाम के भी आंसू नहीं रुक रहे थे.
जवान लगातार उनसे कह रहे थे िक हम आ गये हैं, लेिकन वह लगातार रोये जा रहा था. खुद को परिवार का इकलौता बेटा बता रहा था, जब एनडीआरएफ के जवान सद्दाम के पास पहुंचे, तो वह काफी डरा व लगातार रो रहा था. वोट पर बैठने के बाद उसे लगा िक अब िजंदगी बची. पूरे ऑपरेशन का संचालन डिप्टी कमांडेंट वीरेंद्र कुमार तिवारी कर रहे थे. बचाव दल में टीम कमांडर दीपक कुमार पांडेय, नवीन कुमार भाष्कर व एम के शर्मा शामिल थे.
िनकाल लेंगे सर, आप रोइये मत
सर, आप हमको पहले िनकाल लीिजये. हम अपने परिवार में अकेले बेटे हैं. हमारा एक और भाई था, िजसकी मौत हो चुकी है. सद्दाम की ये बात सुन कर एनडीआरएफ के जवान कहने लगे िक काहे रो रहे हो. हम आ रहे हैं ना. हम आ गये हैं ना. इस पर सद्दाम ने कहा िक हमें जल्दी से हमारी अम्मा के पास पहुंचाइये. नहीं तो वह परेशान हो जायेंगी. इस पर एनडीआरएफ जवानों ने कहा िक आप जहां हैं, वहां ज्यादा पानी नहीं है. आप पेड़ से उतर कर मेरे पास आ सकते हैं, लेिकन सद्दाम कुछ सुनने के बजाय लगातार रोये जा रहा था और खुद को बचाने की गुहार लगा रहा था.
धीरे-धीरे पेड़ से नीचे आइये
एनडीआरएफ के जवान जब पेड़ पर फंसे लोगों को िनकालने पहुंचे, तो वहां की िस्थति काफी खराब थी. तीन पेंड़ों के सहारे पांच लोग िकसी तरह से खुद को बचाने की कोिशश में लगे हुये थे. पानी तेजी से बह रहा था और यही इन लोगों की परेशानी की वजह भी था. इन्हें लग रहा था िक अगर पेड़ से हाथ छूटा, तो बह जायेंगे. पेड़ के सहारे ये लोग लगभग डेढ़ घंटे तक इसी िस्थति में रहे. इसके बाद इन्हें िनकाला गया.
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