मुजफ्फरपुर: अपना शहर स्मार्ट सिटी बनने की ओर आगे बढ़ने लगा है. शहर को स्मार्ट रखने के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के उप-नियम 2017 को बुधवार को नगर निगम बोर्ड की विशेष बैठक में मंजूरी मिल गयी है. मुजफ्फरपुर बिहार का पहला शहर है. जहां कूड़ा-कचरा उठाने पर यूजर्स फी व फेंकने पर जुर्माना वसूलने का कानून पास हुआ है. मिठनपुरा के आम्रपाली ऑडिटोरियम सभागार में मेयर सुरेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पार्षदों ने तीन घंटे तक चली मंथन के बाद इसकी मंजूरी दी है.
नियम को अब सिर्फ बिहार सरकार के गजट में प्रकाशित होना शेष रह गया है. इसके बाद सख्ती से नगर निगम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के नियम को पूरे शहर में लागू करेगा. हालांकि, इससे पहले पार्षदों ने कई सवाल निगम के ऊपर उठाये. उन्होंने कहा कि इस कानून को लागू करने लायक नगर निगम नहीं बना है. किसी भी कानून को लागू करने से पहले खुद को मजबूत होना होगा. निगम को पहले सफाई से जुड़े संसाधनों को जुटाना होगा. बैठक में डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला, स्थायी समिति सदस्य राकेश कुमार सिन्हा पप्पू, शेरू अहमद, सीमा झा, पार्षद राजीव कुमार पंकू, अजय कुमार ओझा, अभिमन्यु चौहान, नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन, सिटी मैनेजर रविश चंद्र वर्मा, कार्यपालक अभियंता बिंदा सिंह, नगर विकास एवं आवास मंत्री के प्रतिनिधि चंद्रभूषण सिंह, एमएलसी दिनेश सिंह के प्रतिनिधि विजय झा आदि उपस्थित थे.
प्रॉपर्टी टैक्स की तर्ज पर कूड़ा उठाने का देना होगा पैसा
शहरवासियों को प्रॉपर्टी टैक्स की तर्ज पर अब कूड़ा उठाने के लिए भी टैक्स देना होगा. इसके लिए नगर निगम के जितने भी होल्डिंग है. उन सभी होल्डिंगों में सूखा व गीला कूड़ा-कचरा के लिए हरा व नीला डस्टबीन नगर निगम उपलब्ध करायेगा. हालांकि, व्यावसायियों को खुद से डस्टबीन खरीद अपनी दुकान व प्रतिष्ठान के सामने लगाना होगा. इस पर पार्षद संजय केजड़ीवाल ने इसपर जोरदार तरीके से सवाल उठाया, लेकिन नगर निगम ने कहा कि व्यवसायियों को निगम खरीद कर डस्टबीन नहीं देगा.
आवारा पशुओं पर भी लगे लगाम
पार्षद संतोष महाराज ने शहर की सड़कों पर घूमनेवाले आवारा पशुओं का मुद्दा जोरशोर से उठाया. उन्होंने कहा कि निगम के कानून में आवारा पशुओं को पकड़ जुर्माना करने का प्रावधान है, लेकिन बार-बार शिकायत के बावजूद निगम कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है. शहर में खटाल चलानेवालों पर भी सख्ती बरतने को कहा. पार्षद रंजू सिन्हा ने कहा कि शौचालय की टंकी से मलमूत्र को निकाल नाला में बहा दिया जा रहा है. जब बारिश होती है और नाला जाम होता है, तो फिर वहीं मलमूत्र बारिश के पानी के साथ सड़कों पर बहता है. इससे शहर कैसे स्वच्छ बन सकता है.