मुजफ्फरपुर : पहली सोमवारी को जमकर हुई बारिश ने मुजफ्फरपुर शहर की सूरत बिगाड़ कर रख दी है. स्थिति यह है कि शहर के टावर चौक, चंद्र लोक और पुरानी बाजार की सड़कें पानी में डूब गयी हैं. बिहार के देवघर कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ धाम के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था भले जोर मार रही हो, लेकिन नगर निगम द्वारा 37 लाख खर्च करने के बाद भी लोगों को सावन में जल-जमाव से मुक्ति नहीं दिख रही है. शहर में जलजमाव और वहीं गंदा पानी तैर रहा है. सवाल यह उठता है कि यह व्यवस्था कब बदलेगी. शहर की सूरत और सीरत एक बारिश ने ऐसी कर दी है कि आपको नगर निगम का काम नरक निगम की तरह दिखने लगेगा.
पहली साेमवारी पर ही दो घंटे की बारिश से शहर की व्यवस्था की कलई खुल गयी. कांवरियों के लिए किये गये नगर निगम के सारे इंतजाम का सच सामने आ गया. हालत यह थी कि दो घंटे की बारिश के बाद से ही बाबा गरीबनाथ मंदिर के अलावा मक्खन साह चौक से छाता बाजार तक घुटना भर पानी लग गया. इस रास्ते कांवरिये कांधे पर रखे कांवर को बचाते हुए नाले की पानी होकर बाबा के द्वार तक पहुंच रहे थे. ऐसा ही हाल कांवरियों के मार्ग में था. ऐसी कोई जगह नहीं थी, जहां से कांवरिये नाले के पानी से बच कर निकल जाये.
कांवरियाें के मार्ग पर जल जमाव होने से महिला कांवरियों को काफी परेशानी हुई.ज्यादा बायें से मत चलिए नाला है. यह निर्देश आमगोला के लोग कांवरियों को दे रहे थे. आमगोला पुल से उतरने के बाद अघोरिया बाजार चौक तक की सड़क जलजमाव में डूबी थी. यहां नाला व सड़क का फासला पता नहीं चल रहा था. कांवरिये कांवर को बचाते हुए पानी से गुजर रहे थे. इस रोड से कार व बाइक गुजरने के कारण कांवरियों को गंदे पानी के छींटे भी पड़ रहे थे, लेकिन उनके पास दूसरा विकल्प नहीं था. वे इस रास्ते आगे बढ़ रहे थे. आमगोला रोड स्थित चाय दुकान वाले ने कहा कि एक घंटे और बारिश हो जाती तो यहां कमर भर पानी लग जाता.
कांवरियों की सुविधा के लिए किये गये वादों की भी पोल खुली. एस्सेल ने आमगोला पुल पर पूरी लाइट की व्यवस्था नहीं की थी. यहां एक तरफ की लाइट बुझी थी तो दूसरे तरफ की भी सभी लाइट नहीं जल रही थी. पुल पर चढ़ने के रास्ते अंधेरा था. आसपास शिविर नहीं लगने के कारण यहां कांवरियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. आखिर यह कैसी तैयारी है कि गंदे पानी के बीच से होकर बाबा का दर्शन करने के लिए भक्त जा रहे हैं.
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