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रास्ते में बदली भेजी गयी टीइटी रिजल्ट की सीडी
मुजफ्फरपुर : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) के रिजल्ट की सीडी शिक्षा विभाग को भेजी. इसी सीडी की कॉपी कर प्रखंडों में भेजी जानी थी. इसी सीडी से प्राप्त रिजल्ट के आधार पर शिक्षक नियोजन करना था. लेकिन, हुआ यह कि बिहार बोर्ड वाली असली सीडी बीइओ को नहीं मिली. बिहार […]
मुजफ्फरपुर : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) के रिजल्ट की सीडी शिक्षा विभाग को भेजी. इसी सीडी की कॉपी कर प्रखंडों में भेजी जानी थी. इसी सीडी से प्राप्त रिजल्ट के आधार पर शिक्षक नियोजन करना था. लेकिन, हुआ यह कि बिहार बोर्ड वाली असली सीडी बीइओ को नहीं मिली. बिहार बोर्ड से प्राप्त टीइटी रिजल्ट की सीडी की कॉपी करते वक्त रास्ते में ही हेराफेरी कर दी गयी. इस साजिश में असली अभ्यर्थी शिक्षक बनने से वंचित रह गये. फर्जी अभ्यर्थी शिक्षक बन कर विद्यालय में पहुंच गये. बुधवार को डीइओ कार्यालय में फर्जी शिक्षकों की जांच के लिए पहुंची राज्य स्तरीय टीम के समक्ष यह गड़बड़ी सामने आयी. टीम ने पूछा, आखिर रिजल्ट वाली सीडी की कॉपी करते वक्त हेराफेरी कैसे हुई है?
शिक्षा विभाग के विशेष सचिव विनोद कुमार सिंह, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के प्रतिनियुक्त पदाधिकारी व माध्यमिक शिक्षा के अवकाश रक्षित पदाधिकारी अजीत कुमार ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगा है. प्रखंडों में बदली हुई सीडी कैसे पहुंची? बोर्ड से मिली सीडी व प्रखंडों में मिली सीडी के तथ्यों में अंतर कैसे हुआ? इस पर बिंदुवार जवाब देने को कहा गया है. शिक्षा विभाग के अधिकारी जांच टीम का जवाब जुटाने में लग गये हैं. टीम ने फर्जी शिक्षकाें को किये गये वेतन भुगतान की भी जांच की. पूरे प्रकरण से जुड़े कागज को देखा. फर्जी शिक्षकों का वेतन फिक्सेशन कैसे हुआ? इनकी सर्विस बुक कैसे बनी? करीब दो घंटे तक टीम के अधिकारियों ने कागजात की जांच की. इस मौके पर डीइओ कामेश्वर कामती, डीपीओ स्थापना जियाउल होदा खां, तत्कालीन डीपीओ स्थापना नीता कुमार पांडेय, रामजी शर्मा, अविनाश कुमार, संतोष कुमार आदि मौजूद थे.
टीइटी रिजल्ट की सीडी बोर्ड से वर्ष 2015 में मिली थी. इसी रिजल्ट के आधार पर बहाल शिक्षकों की जांच करनी थी. इसकी कॉपी कराकर प्रखंडों में भेजी गयी. लेकिन रास्ते में सीडी बदल दूसरी कॉपी प्रखंडों में भेजी गयी. वर्ष 2016 में रिजल्ट की सीडी जांच के लिए जिले में दोबारा भेजी गयी. लेकिन, इसके आधार पर केवल तीन प्रखंडों से जांच रिपोर्ट डीइओ व डीपीओ स्थापना कार्यालय को मिली. इसके बाद जांच को शिक्षा विभाग ने दबा दिया.
अक्तूबर में कई शिक्षक संगठनों ने फर्जी शिक्षकों को भुगतान किये जाने का आरोप लगाते हुए आरडीडीइ से जांच की मांग की थी. आदेश मिलने के बाद तत्कालीन डीपीओ स्थापना नीता कुमारी पांडेय ने जांच की. इस दौरान बंदरा में 60 व मीनापुर में 145 शिक्षक फर्जी मिले. इसके बाद सभी प्रखंडों में इस मामले की जांच करायी गयी. जांच में 335 शिक्षक फर्जी पाये गये. डीएम ने प्राथमिकी का आदेश दिया. साथ ही इनकी बर्खास्तगी का आदेश दिया. लेकिन, बर्खास्तगी तो दूर शिक्षा विभाग फर्जी शिक्षकों का भुगतान भी कर रहा है. मीनापुर के पूरे फर्जी शिक्षकों का भुगतान हुआ. नगर क्षेत्र में भी 40 शिक्षकों के बहाली से जुड़े कागजात गायब है. विभागीय अधिकारी जांच में लगे हैं.
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