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पांच वार्डों के कचरे से बना 15 टन कंपोस्ट

मुजफ्फरपुर : ग्रीन सिटी, क्लीन सिटी अभियान रंग लाने लगा है. गली-मोहल्लों से निकले कचरे से तैयार कंपोस्ट अब खेतों में हरियाली लायेगा. सेंटर फॉर साइंस इनवायरमेंट व आइटीसी का कचरा कलेक्शन प्रबंधन का पिछले तीन महीने का परिणाम उत्साहजनक है. पांच वार्ड एक, दो, तीन, चार व पांच में तीन महीने में जमा हुए […]

मुजफ्फरपुर : ग्रीन सिटी, क्लीन सिटी अभियान रंग लाने लगा है. गली-मोहल्लों से निकले कचरे से तैयार कंपोस्ट अब खेतों में हरियाली लायेगा. सेंटर फॉर साइंस इनवायरमेंट व आइटीसी का कचरा कलेक्शन प्रबंधन का पिछले तीन महीने का परिणाम उत्साहजनक है. पांच वार्ड एक, दो, तीन, चार व पांच में तीन महीने में जमा हुए नौ टन कचरे से 15 टन कंपोस्ट तैयार हुआ है.

कंपोस्ट को टेस्टिंग के लिए पटना स्थित सरकारी लैब में भेजा जायेगा. इसके बाद पैकिंग कर बाजार में उतारा जायेगा. अगर शहर के सभी 49 वार्डों के कचरे का प्रबंधन इसी से तरीके से हो, तो हर तीन महीने में 150 टन से अधिक कंपोस्ट तैयार किया जा सकता है. इससे कूड़ा डंप करने की समस्या भी खत्म हो जायेगी. पांच वार्डों से जमा कचरे का एरोबिक विधि से कंपोस्ट तैयार किया गया है. गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग पिट में डाल कर हवा व प्राकृतिक नमी से इसे तैयार किया गया है. एमआरडीए परिसर में कचरा प्रबंधन के लिए 40 पिट बनाये गये हैं. एक पिट में प्रतिदिन 100 किलो कचरा रखा जाता है. यानी तीन महीने में एक पिट में 90 क्विंटल कचरा डाला जाता है. इसमें 90 प्रतिशत कचरा सूख जाता है. सिर्फ दस प्रतिशत ही कंपोस्ट के काम में आता है. तीन महीने में एक पिट से 1.25 टन कंपोस्ट तैयार होता है.

मेट्रो सिटी के तर्ज सेंटर फॉर साइंस इनवायरमेंट व आइटीसी का कचरा कलेक्शन का काम शहर के पांच वार्डों में चल रहा है. इसमें नये मेयर सुरेश कुमार का एक नंबर वार्ड भी आता है. कचरा कलेक्शन के लिए हर घर में दो कूड़ेदान दिये गये हैं. एक कूड़ादान में गीला व दूसरे में सूखा कचरा रखा जाता है. मेडिसिनल सामग्री को पेपर में लपेटकर कलेक्ट किया जाता है. कूड़ा कलेक्शन वाहन में भी तीन पार्ट बनाये गये हैं, जिसमें अलग- अलग कूड़ा रखा जाता है. वार्ड में कलेक्शन का काम सुबह सात बजे से 10 बजे तक चलता है.
शहर के कचरे से पहली बार कंपोस्ट तैयार हुआ है. तीन महीने के जमा कूड़े-कचरे से एरोबिक विधि से करीब 15 टन कंपोस्ट बनाया गया है. इसे जांच के लिए पटना स्थित लैब में भेजा जा रहा है.
केसी पंडित, कोऑर्डिनेटर, सेंटर फॉर साइंस इनवायरमेंट

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