मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच हो या प्राइवेट अस्पताल, चमकी-बुखार के इलाज के लिए भरती हुए किसी भी बच्चे में अबतक पुष्टि एइएस की नहीं हुई. बच्चे की मौत के बाद ही पता चलता है कि बच्चे की मौत एइएस से हुई है या जेइ से. चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चों की अबतक हुई मौत पर नजर डालें, तो स्वास्थ्य विभाग किसी भी बच्चे की एइएस व जेइ से मौत की बात को सिरे से नकार देता है. लेकिन जब उसकी रिपोर्ट आती है, तो स्वास्थ्य विभाग जेइ या एइएस से मौत की बात कह कर पल्ला झाड़ लेता है. हालांकि, डॉक्टर अस्पताल में भरती बच्चे का इलाज एइएस या जेइ के लक्षण मान कर ही करते हैं.
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मौत के बाद होती है बच्चों में जेइ व एइएस की पुष्टि
मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच हो या प्राइवेट अस्पताल, चमकी-बुखार के इलाज के लिए भरती हुए किसी भी बच्चे में अबतक पुष्टि एइएस की नहीं हुई. बच्चे की मौत के बाद ही पता चलता है कि बच्चे की मौत एइएस से हुई है या जेइ से. चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चों की अबतक हुई मौत पर नजर डालें, […]
पुरजा पर संदिग्ध लिख डॉक्टर करते हैं इलाज
बोचहां के परासी गांव के छह वर्षीय मो. कमरान की मौत जेइ से हुई थी. मौत के बाद जेइ बीमारी की पुष्टि भी हुई. उसके पुरजा पर डॉक्टर ने संदिग्ध लिखा था. मो. कमरान चार जून को केजरीवाल में चमकी व बेहोशी की हालत में भरती हुआ था. वहां जब सुधार नहीं हुआ, तो पांच जून को परिजनों ने उसे एसकेएमसीएच में भरती कराया.
इससे पूर्व सीतामढ़ी के मानपुर रतनौली के तीन वर्षीय मनीष कुमार, रीगा सोनार धोबी टोला की ढाई वर्षीय सुभानी कुमारी, फतेहपुर की आठ वर्षीय नेहा कुमारी और पूर्वी चंपारण की साढ़े छह वर्षीय प्रियांशी कुमारी में जेइ की पुष्टि हो चुकी है. इनमें से मनीष, सुभानी व नेहा की मौत हो चुकी है.
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