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थैलेसीमिया के बढ़ रहे मरीज, छह से अधिक की जा चुकी है जान

मुंगेर : वैसे तो कई ऐसे रोग हैं, जिसका नाम सुनते ही लोग चिंतित हो उठते हैं. किंतु वर्तमान समय में मुंगेर जिले के मासूम बच्चे थैलेसीमिया नामक बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं. थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त रोग है. इस रोग में हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति […]

मुंगेर : वैसे तो कई ऐसे रोग हैं, जिसका नाम सुनते ही लोग चिंतित हो उठते हैं. किंतु वर्तमान समय में मुंगेर जिले के मासूम बच्चे थैलेसीमिया नामक बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं. थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त रोग है. इस रोग में हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है. जिले में पिछले साल इस रोग से ग्रसित आधा दर्जन से अधिक मरीजों की जानें जा चुकी है़ जबकि अब भी कई मरीजों का इलाज चल रहा है़ जो प्रत्येक 10 दिन पर ब्लड चढ़वाने के लिए सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं.

13 साल के जमालपुर निवासी रोशन को चढ़ चुका 465 यूनिट ब्लड
जमालपुर लक्ष्मणपुर निवासी मनोज मंडल का 13 वर्षीय पुत्र रौशन कुमार 4 माह की उम्र से ही थैलेसीमिया से ग्रसित है़ रौशन की मां रुचि देवी ने बताया कि पिछले 13 साल से वह अपने पुत्र को हर दसवें दिन ब्लड चढ़वाती है़ जिससे उसके शरीर में हिमोग्लोबिन का अनुपात सही मात्रा में बना रहता है़ रौशन का इलाज फिलहाल बंगाल के हुगली स्थित एक अस्पताल से चल रहा है़ किंतु ब्लड चढ़ाने के लिए उसे अक्सर सदर अस्पताल ही आना पड़ता है़ अब तक रौशन को 465 यूनिट ब्लड चढ़ाया जा चुका है़ उनके पति एक किराना का दुकान चलाते हैं, जिससे होने वाली कमाई का अधिकांश हिस्सा रौशन के इलाज पर ही खर्च हो जाता है़ इसी तरह जमालपुर के ही संतोष शर्मा के पुत्र कन्हैया कुमार को भी थैलेसीमिया के कारण हर 10 दिन के अंतराल पर ब्लड चढ़वाना पड़ता है़
बीमारी होने से मरीज की आयु कम हो जाती है
थैलेसीमिया की बीमारी हो जाने के बाद मरीज की आयु को काफी कम माना जाता है़ अधिकांश मरीज 20- 25 साल की उम्र के बाद अपना दम तोड़ देते हैं. ऐसे मरीजों की संख्या मुंगेर जिले में आधे दर्जन से भी अधिक है़ सदर अस्पताल के ब्लड बैंक से मिली रिपोर्ट के अनुसार कालारामपुर निवासी उदय मंडल का पुत्र अभिषेक कुमार, बरियारपुर निवासी विनोद सहनी के पुत्र कुणाल कुमार सहित अन्य मरीजों थैलेसीमिया के आगे अपनी हार स्वीकार कर चुके हैं.
थैलेसीमिया का उपचार
ब्लड बैंक के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ फैजउद्दीन ने बताया कि थैलेसीमिया रोग अानुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलती रहती है़ इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण (आर.बी.सी.) नहीं बन पाते हैं और जो थोड़े बन पाते है वह केवल अल्पकाल तक ही रहते हैं. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता हैं. थैलेसीमिया का उपचार करने के लिए नियमित रक्त चढाने की आवश्यकता होती है़

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