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पानी की लाइन में होती है सुबह

हाहाकार. मुंगेर शहर में पेयजल के लिए हो रही मारामारी उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित मुंगेर के शहरवासियों को शुद्ध पानी नसीब नहीं है. शहर ने नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा पा लिया. लेकिन आज भी पानी के लिए लोगों को कहीं दूसरे का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. कहीं गैलन में दूर […]

हाहाकार. मुंगेर शहर में पेयजल के लिए हो रही मारामारी

उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित मुंगेर के शहरवासियों को शुद्ध पानी नसीब नहीं है. शहर ने नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा पा लिया. लेकिन आज भी पानी के लिए लोगों को कहीं दूसरे का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. कहीं गैलन में दूर से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. सुबह होते ही लोग गैलन व बाल्टी लेकर प्याऊ पर पहुंच जाते हैं और फिर शुरू होती है पानी के लिए मारामारी.
मुंगेर : प्रमंडलीय मुख्यालय मुंगेर एक ऐतिहासिक नगर है और यहां की नगरीय व्यवस्था प्राचीनकालीन है. लेकिन दुर्भाग्य है कि आज भी यहां रह रहे लोगों को शुद्ध पानी तक नहीं मिल रहा. शहरवासी पानी के लिए सुबह होते ही जद्दोजहद करने लगते हैं. यह शुक्र है कि यह शहर पतितपावनी मां गंगा के तट पर है. इसलिए शहर की बड़ी आबादी गंगा के पानी का उपयोग कर अपनी जरूरतों को पूरा करती है. लेकिन शहर का 90 प्रतिशत इलाका पानी के लिए त्राहिमाम कर रहा है
पुरानी जलापूर्ति व्यवस्था नाकामयाब : शहर में जलापूर्ति के लिए नगरपालिका द्वारा कस्तूरबा वाटर वर्क्स की स्थापना की गयी थी और इसी के माध्यम से शहरवासियों को पानी उपलब्ध कराया जाता था. वैसे यह व्यवस्था भी संपूर्ण शहर में कायम नहीं थी. बावजूद एक बड़ा तबका नगरपालिका के जलापूर्ति व्यवस्था से जीवनयापन कर रहे थे.
लेकिन बढ़ती आबादी एवं शहरीकरण के कारण यह व्यवस्था पूरी तरह फेल कर गयी और आज महज आधे दर्जन वार्डों तक ही जलापूर्ति हो पा रही है. पुरानी पाइप लाइन जर्जर हो चुकी है. इस कारण जलापूर्ति व्यवस्था चरमरा गयी है.
नयी जलापूर्ति योजना नहीं हो रही पूर्ण : मुंगेर शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक दशक पूर्व नयी जलापूर्ति योजना की आधारशिला रखी गयी थी. लेकिन यह योजना कब पूर्ण होगी यह कहना बड़ा ही मुश्किल है. लगातार इसकी समय अवधि बढ़ती चली जा रही है और यह योजना शहरवासियों के लिए बीरबल की खिचड़ी बन कर रह गया हैं. वैसे नयी जलापूर्ति व्यवस्था से भी शहरवासियों की प्यास नहीं बुझेगी. क्योंकि यह योजना महज 20 वार्डों के लिए है. जबकि मुंगेर नगर में कुल 45 वार्ड है.
प्याऊ के भरोसे चल रही जिंदगी, लोग परेशान
मुंगेर शहर के लोगों की प्यास प्याऊ के भरोसे ही बुझ रही है. प्रात: होते ही मुहल्ले के लोग गैलन व बाल्टी लेकर प्याऊ की ओर दौड़ पड़ते है. जहां पानी के लिए लंबी लाइन लगती है और गैलन व बाल्टी से ढो कर लोग अपने घरों तक पानी ले जाते हैं. कुछ क्षेत्रों में संपन्न लोगों समरसेबल लगा कर जहां खुद अपनी जरूरत पूरी की है. वहीं दूसरों को भी पानी उपलब्ध करा रहे हैं. शुक्रवार को मुंगेर शहर के रायसर, हाजीसुभान, पूरबसराय, मोगलबाजार, मकससपुर में प्याऊ का दृष्य यह बता रहा था कि किस प्रकार लोग पानी के लिए तरस रहे हैं.

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