गतिरोध. मामले को रफा-दफा करने में लगे हैं अधिकारी
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मनरेगा में करोड़ों का घोटाला
गतिरोध. मामले को रफा-दफा करने में लगे हैं अधिकारी गरीबों को रोजगार उपलब्ध करानेवाला महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना मुंगेर जिले में घोटालों की भेंट चढ़ चुकी है. पौधरोपण के नाम पर जिले के विभिन्न पंचायतों में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है. लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही. जांच के नाम पर […]
गरीबों को रोजगार उपलब्ध करानेवाला महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना मुंगेर जिले में घोटालों की भेंट चढ़ चुकी है. पौधरोपण के नाम पर जिले के विभिन्न पंचायतों में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है. लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही. जांच के नाम पर खानापूर्ति किया जा रहा और मामले को रफा-दफा करने में अधिकारी जुटे हैं.
मुंगेर : साल में सौ दिन के रोजगार की गारंटी देने वाला मनरेगा मुंगेर में लूट की योजना बन गयी है. योजना में वित्तीय अनियमितता व घोटाले के मामले लगातार सामने आ रहे. लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही. उच्चाधिकारियों का आदेश व निर्देश को योजना से जुड़े लोग ठेंगा दिखा रहे हैं. दूसरी ओर प्रशासनिक स्तर पर की जा रही जांच भी सवालों के घेरे में घिरता जा रहा है. योजना की जांच के लिए जिले के नौ प्रखंडों में जो नौ टीमें बनायी गयी है उसमें ऐसे पंचायतों का चयन किया गया. जहां लगभग पौधरोपण के कार्य हुए ही नहीं हैं. जबकि सबसे बड़ा घोटाला पौधरोपण के मामले में ही हुई है.
करोड़ों की हुई है अनियमितता : बरियारपुर प्रखंड के हरिणमार व झौवा बहियार पंचायत में पौधरोपण के नाम पर करोड़ों की अनियमितता हुई है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में इन दोनों पंचायतों में 605 यूनिट पौधा लगाने की स्वीकृति मिली थी. जिसमें प्रति यूनिट 2.11 लाख का प्राक्कलन तैयार किया गया था और 1.22 लाख मजदूरों को भुगतान होना था. हरिणमार पंचायत को 605 यूनिट पौधा के लिए 6.43 करोड़ तथा झौवा बहियार पंचायत को 6.33 करोड़ रुपये आवंटित किया गया. लेकिन इसमें भारी अनियमितता बरती गयी. यहां तक कि वृक्ष की खरीद से लेकर पौधरोपण, उसकी घेराबंदी और चापाकल लगाने में राशि का बंदरबांट किया गया. इन दो पंचायत में ही करोड़ों रुपये अधिकारी, अभियंता व मनरेगा से जुड़े पदाधिकारी डकार गये. मामला उजागर होने के बाद प्रशासनिक स्तर पर जो जांच की कार्रवाई प्रारंभ हुई वह महज खानापूर्ति बनकर रह गयी है.
मनरेगा के तहत किया गया पौधरोपण.
मनरेगा योजना के तहत असरगंज प्रखंड में बड़े घोटाले का मामला पकड़ा गया है. जिसमें 40.82 लाख रुपये की अवैध रूप से निकासी की गयी है. जिला पदाधिकारी उदय कुमार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए असरगंज के मनरेगा के पीओ से 48 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा था. इस मामले में सामग्री मद में भुगतान पर रोक के बावजूद पीओ द्वारा लगभग 40.82 लाख रुपये का भुगतान मनरेगा से जुड़े कनीय अभियंता के संबंधी के फर्म को कर दिया गया. जिलाधिकारी ने खुद अपने स्पष्टीकरण आदेश में लिखा है कि इतनी बड़ी राशि कनीय अभियंता के संबंधी के खाते में ट्रांसफर किया जाना अनियमितता को दरसाता है. लेकिन इस मामले में तीन सप्ताह बाद भी पीओ द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण का जवाब व की गयी कार्रवाई सामने नहीं आ पायी है.
जांच के नाम पर हो रही खानापूर्ति : मनरेगा योजना की जांच के लिए 19 दिसंबर को जिला पदाधिकारी द्वारा सभी नौ प्रखंडों के लिए नौ जांच टीम गठित की गयी. जिसके द्वारा 21 दिसंबर को निर्धारित प्रखंड व पंचायत में मनरेगा योजना की जांच की गयी. लेकिन उनमें अधिकांश वे पंचायत शामिल नहीं हैं जिनमें पौधरोपण के नाम पर लाखों-करोड़ों की अनियमितता हुई है. जांच टीम में शामिल एक वरीय पदाधिकारी ने कहा कि इस मामले में तो सब कुछ पूर्व से ही तय है जांच तो महज एक खानापूर्ति है.
40.82 लाख की हुई अवैध निकासी
मनरेगा योजना के तहत असरगंज प्रखंड में बड़े घोटाले का मामला पकड़ा गया है. जिसमें 40.82 लाख रुपये की अवैध रूप से निकासी की गयी है. जिला पदाधिकारी उदय कुमार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए असरगंज के मनरेगा के पीओ से 48 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा था. इस मामले में सामग्री मद में भुगतान पर रोक के बावजूद पीओ द्वारा लगभग 40.82 लाख रुपये का भुगतान मनरेगा से जुड़े कनीय अभियंता के संबंधी के फर्म को कर दिया गया. जिलाधिकारी ने खुद अपने स्पष्टीकरण आदेश में लिखा है कि इतनी बड़ी राशि कनीय अभियंता के संबंधी के खाते में ट्रांसफर किया जाना अनियमितता को दरसाता है. लेकिन इस मामले में तीन सप्ताह बाद भी पीओ द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण का जवाब व की गयी कार्रवाई सामने नहीं आ पायी है.
जांच के नाम पर हो रही खानापूर्ति : मनरेगा योजना की जांच के लिए 19 दिसंबर को जिला पदाधिकारी द्वारा सभी नौ प्रखंडों के लिए नौ जांच टीम गठित की गयी. जिसके द्वारा 21 दिसंबर को निर्धारित प्रखंड व पंचायत में मनरेगा योजना की जांच की गयी. लेकिन उनमें अधिकांश वे पंचायत शामिल नहीं हैं जिनमें पौधरोपण के नाम पर लाखों-करोड़ों की अनियमितता हुई है. जांच टीम में शामिल एक वरीय पदाधिकारी ने कहा कि इस मामले में तो सब कुछ पूर्व से ही तय है जांच तो महज एक खानापूर्ति है.
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