स्कूली छात्राओं के लिए शिक्षा विभाग द्वारा खरीदी गयी दर्जनों साइकिलें वर्षों से जंग खा रही है. लेकिन साइकिल खरीद से संबंधित फाइल विभाग में नहीं मिल रही. प्रमंडलीय आयुक्त नवीन चंद्र झा के निर्देश के आलोक में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने इसकी जांच प्रारंभ की है. किंतु अब तक बेनतीजा है.
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साइकिल खरीद की नहीं मिल रही फाइल लापरवाही. विभाग परेशान, बच्चे हैरान
स्कूली छात्राओं के लिए शिक्षा विभाग द्वारा खरीदी गयी दर्जनों साइकिलें वर्षों से जंग खा रही है. लेकिन साइकिल खरीद से संबंधित फाइल विभाग में नहीं मिल रही. प्रमंडलीय आयुक्त नवीन चंद्र झा के निर्देश के आलोक में क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने इसकी जांच प्रारंभ की है. किंतु अब तक बेनतीजा है. मुंगेर : जिला […]
मुंगेर : जिला स्कूल के कक्ष में बिहार शिक्षा परियोजना के तहत बालिकाओं को मिलने वाली सैकड़ों साइकिल वर्षों से जंख खा रही है. जब ममाला उठा तो शिक्षा विभाग में दस्तावेज की खोज होने लगी. लेकिन दस्तावेज नहीं मिल रहा. प्रमंडीलय आयुक्त ने क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को जांच का जिम्मा दिया है. समय बीतता जा रहा है, लेकिन दस्तावेज का अता-पता नहीं चल रहा. अलबत्ता क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक बताते हैं कि जिस समय साइकिल की खरीद हुई थी उस समय मुंगेर के जिला शिक्षा अधीक्षक श्याम बाबू राम थे और उन्हीं के समय में जिला स्कूल के कक्ष में साइकिलें रखी गयी थी.
जंग खा रही साइकिल : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2007 में बालिका साइकिल योजना प्रारंभ की थी. शिविर लगाकर छात्राओं को साइकिल दी गयी. उस समय बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से ही थोक भाव में साइकिल की खरीद की जाती थी और छात्राओं के बीच बांटा जाता था. उसी दौरान बड़ी संख्या में साइकिल की खरीद कर उसे जिला स्कूल के कक्ष में रखा गया. जिला स्कूल में ही कई शिविर भी लगाये गये थे. लेकिन सैकड़ों की संख्या में साइकिल का वितरण नहीं हो पाया जो जिला स्कूल के कमरे में ही रखा रह गया.
अक्तूबर माह में सामने आया था मामला : जिला स्कूल के कक्ष में थोक में रखे साइकिल की लगातार चोरी हो रही है. क्योंकि इसे देखने वाला कोई नहीं है. अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में जब प्रभात खबर ने जिला स्कूल में थोक भाव में साइकिलों के पड़े रहने व उसके चोरी होने की खबर प्रकाशित की थी तो अधिकारियों के होश उड़ गये. जिला पदाधिकारी उदय कुमार सिंह के आदेश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने साइकिल से संबंधित फाइलों की खोजबीन की. किंतु एक माह बाद भी खरीद व वितरण से संबंधित फाइल नहीं मिल रही है.
तीन-तीन कार्यालयों में सुरक्षित रहता था दस्तावेज : आखिर जंख खा रही साइकिल का दस्तावेज कहां खो गया. जबकि साइकिल वितरण में शिक्षा विभाग द्वारा दस्तावेज रखने की मुक्कमल व्यवस्था की गयी थी. कूपन के आधार पर साइकिल का वितरण किया जाता था. कूपन के तीन फॉर्मेट बने थे. जिसमें लाभार्थी छात्राओं के फोटो के साथ पूरा बायोडाटा भरा जाता था. उस दस्तावेज की एक प्रति जहां संबंधित विद्यालय में रखा जाता था वहीं दूसरा संबंधित नगर व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं एक कूपन शिविर में जमा होता था. जिसे बिहार शिक्षा परियोजना कार्यालय में रखा जाता था. उस कूपन का प्रयोग उपयोगिता प्रमाण पत्र के रूप में भी किया जाता था. बावजूद साइकिल खरीद व वितरण का फाइल नहीं मिलना बड़े घोटाले को इंगित कर रहा है.
प्रमंडलीय आयुक्त जांच कमेटी बनायी : एक माह बाद भी शिक्षा विभाग इन साइकिलों के खरीद व वितरण से संबंधित फाइल नहीं ढूंढ पायी है. प्रमंडलीय आयुक्त नवीन चंद्र झा ने इसे गंभीरता से लिया है और इसकी जांच की जिम्मेदारी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को दी है. किंतु अबतक फाइल नहीं मिलने से जांच की प्रक्रिया भी प्रभावित है.
कहते हैं शिक्षाधिकारी
क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक डॉ ब्रजकिशोर सिंह ने बताया कि अबतक साइकिल खरीद व वितरण से संबंधित फाइल नहीं मिली है. जांच के दौरान यह बात सामने आया है कि मुंगेर के पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक श्याम बाबू राम के समय में ही जिला स्कूल के कक्ष में साइकिल को रखा गया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में विभागीय स्तर पर पड़ताल चल रही है.
दस्तावेज को नष्ट करने की आ रही बू
जानकारों की माने तो शिक्षा परियोजना एवं विद्यालय प्रबंधन के बीच कमीशन पर पूरा कार्यक्रम निर्भर होता था. विद्यालय से मनमाने तरीके से छात्राओं की सूची बना कर शिक्षा परियोजना भेजा जाता था. जहां से निर्धारित कमीशन पर साइकिल की खरीद होती थी. विद्यालय में पढ़ने वाले सही छात्राओं को साइकिल शिविर में उपलब्ध करा दिया जाता था. उसके बाद साइकिल को फेक नाम पर वितरण दिखा दिया जाता था. जिसमें बड़ी राशि का बंदरबांट होता रहा. कुछ साइकिल जब बच गयी तो उसे जिला स्कूल के एक कक्ष में रख दिया गया. यह वहीं साइकिल है जिसका ठिकाना नहीं लग सका.
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