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शहर में पेयजल के लिए हाहाकार

बरबादी. सबमर्सिबल पंप से हो रहा जल का दोहन, नीचे जा रहा वाटर लेवल सुबह होते ही लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगते हैं. जिधर देखो उधर ही लोग दो-चार गैलन को साइकिल में टांग कर पानी ढोते नजर आते हैं. हाल यह है कि अब सरकारी चापाकल एवं प्याऊ भी लोगों को साथ […]

बरबादी. सबमर्सिबल पंप से हो रहा जल का दोहन, नीचे जा रहा वाटर लेवल

सुबह होते ही लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगते हैं. जिधर देखो उधर ही लोग दो-चार गैलन को साइकिल में टांग कर पानी ढोते नजर आते हैं. हाल यह है कि अब सरकारी चापाकल एवं प्याऊ भी लोगों को साथ नहीं दे रहा. सरकारी स्तर पर लगाये गये अधिकांश चापाकल खराब हो चुके हैं तो कई सूख गये हैं.
मुंगेर : मुंगेर शहर में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है. सुबह होते ही लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगते हैं. जिधर देखो उधर ही लोग दो-चार गैलन को साइकिल में टांग कर पानी ढोते नजर आते हैं. हाल यह है कि अब सरकारी चापाकल एवं प्याऊ भी लोगों को साथ नहीं दे रहा. सरकारी स्तर पर लगाये गये अधिकांश चापाकल खराब हो चुके हैं तो कई सूख गये. कस्तूरबा वाटर वर्क्स का जलापूर्ति भी शहर के कुछ ही वार्डों में हो रहा है. जबकि नयी जलापूर्ति योजना बीरबल की खिचड़ी वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा. यह कब पूरा होगा और कब चालू होगा इसका सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा. पानी की किल्लत खासकर गरीबों को झेलनी पड़ती है.
नीचे जा रहा वाटर लेवल, लोग परेशान
जल ही जीवन है और जमीन के अंदर से ही प्राप्त किया जा सकता है. हाल के वर्षों में जिस प्रकार शहरी क्षेत्र में बेतरकीब समरसेबल लगाया जा रहा. उससे भूगर्भ जलस्तर नीचे जा रहा है. क्योंकि समरसेबल से पानी की बरबादी भी हो रही है. मुंगेर शहर के दक्षिणी क्षेत्र में तो वाटर लेवल 40-42 फीट पर है. लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र में वाटर लेवल 90-100 फीट पर है. हाल यह है कि शहर के नीतिबाग के इलाके में वाटर लेवल 100 फीट से भी अधिक है. जहां कई बोरिंग भी फेल कर रहा है.
गरीबों के वश से बाहर है सबमर्सिबल
यूं तो समरसेबल बोरिंग नाम सुन कर ही अजीब लगता है. समरसेबल की बोरिंग कराने में लगभग 60-70 हजार रुपये खर्च होते हैं जो गरीबों के वश के बाहर की बात है. हाल यह है मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले लोग कहां से समरसेबल करा पायेंगे. वहीं दूसरी ओर नगर निगम का पेयजलापूर्ति व्यवस्था लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. पिछले एक दशक से कस्तूरबा वाटर वर्क्स एवं जिंदल कंपनी द्वारा पेयजलापूर्ति के लिए पाइप लाइन का कार्य किया जा रहा है जो अबतक चालू नहीं हो पाया है.
सबमर्सिबल के भरोसे लोग : नगर निगम क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में लोग अब समरसेबल पर आश्रित हो चुके हैं. अधिकांश सुखी-संपन्न लोगों ने समरसेबल करा कर पानी की समस्या से निजात पा लिया. समस्या उनके साथ विकराल है जो दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. वैसे मजदूर ठेला या साइकिल से पानी ढोने का काम करते हैं. उनके लिए समरसेबल लगाना बुते से बाहर की बात है.

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