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जिले में नहीं दिखी बाल श्रम निषेध दिवस की झलक

नो चाइल्ड लेवर जोन में काम कर रहे बाल मजदूर मुंगेर : बाल श्रम एक सामाजिक एवं आर्थिक समस्या है, जो समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है़ बाल श्रम की समस्या राष्ट्रीय चिंता हो सकती है़ किंतु इस जटिल समस्या को समाप्त करने एवं बाल मजदूरों को इससे विमुक्ति दिलाने में जिला प्रशासन […]

नो चाइल्ड लेवर जोन में काम कर रहे बाल मजदूर

मुंगेर : बाल श्रम एक सामाजिक एवं आर्थिक समस्या है, जो समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है़ बाल श्रम की समस्या राष्ट्रीय चिंता हो सकती है़ किंतु इस जटिल समस्या को समाप्त करने एवं बाल मजदूरों को इससे विमुक्ति दिलाने में जिला प्रशासन विफल साबित हो रही है़ एक ओर जहां रविवार को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया़ किंतु शहर से लेकर गांव तक बाल मजदूर अपना पसीना बहाते रहे़ जिस पर शायद प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर श्रम विभाग की नजर नहीं दी गयी थी. बच्चे देश के भविष्य हैं
तथा उनकी सही जगह स्कूल एवं खेल का मैदान है़ सरकार द्वारा बाल श्रम उन्मूलन के लिए कई योजनाएं भी चलायी जा रही. बावजूद शहर की सड़कों से लेकर होटल, ढाबा, चाय-पान की दुकान, गैरेज एवं साहबों के क्वार्टर में बाल मजदूरी खुलेआम हो रही. श्रम विभाग ने मुंगेर के एक नंबर ट्रैफिक पटेल चौक से लेकर गांधी चौक तक को नो चाइल्ड लेवर जोन घोषित कर रखा है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इस क्षेत्र में एक-दो नहीं बल्कि 50 से अधिक बच्चे बाल श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं.
रविवार को जब पूरे प्रदेश में बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा था तो मुंगेर शहर में अलग-अलग व्यवसाय में लिप्त बाल मजदूर अन्य दिनों की तरह चाय-पान की दुकान से लेकर साइकिल का पंक्चर बनाने में लगा था तो कोई नास्ते की दुकान पर प्लेट धो रहा था. कोतवाली थाना के महज चंद कदम की दूरी पर अस्पताल रोड के गैरेज में काम कर रहे जब एक बालक से बाल श्रम निषेध दिवस के संदर्भ में पूछा तो उसे इसकी कोई जानकारी भी नहीं थी.

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