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हवन के धुएं से वातावरण होता है शुद्ध : महाराज

बरियारपुर : इटहरी पंचायत के कल्याणटोला गांव में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा सोमवार को हवन पूजन व आरती के साथ संपन्न हो गया. मौके पर आचार्य बच्चन मंडल व मीना देवी, अन्नु कुमारी, सुलोचना देवी, किरण देवी, ललिता देवी, सुनील कुमार सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे. समापन के मौके पर मथुरा से […]

बरियारपुर : इटहरी पंचायत के कल्याणटोला गांव में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा सोमवार को हवन पूजन व आरती के साथ संपन्न हो गया. मौके पर आचार्य बच्चन मंडल व मीना देवी, अन्नु कुमारी, सुलोचना देवी, किरण देवी, ललिता देवी, सुनील कुमार सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे.

समापन के मौके पर मथुरा से पधारे पथिक श्यामा गोपाल जी महाराज ने कहा कि हवन में जले धूप, घी अगरबत्ती से निकले धुएं से वातावरण में शुद्धि आती है. हवन यज्ञ से निकला धुआ आकाश में जाकर खाद बनकर मिल जाता है. वर्षा के जल के साथ जब वह पृथ्वी पर आता है तो उससे परिपुष्ट अन्न, घास तथा वनस्पतियां उत्पन्न होती है. जिनके सेवन से मानव पथ, पशु-पक्षी सभी परिपुष्ट होते हैं. उन्होंने कहा कि यज्ञ भारत की एक मान्य व प्राचीनतम वैदिक उपासना है.
यज्ञ सामूहिकता का प्रतीक है. यज्ञ का प्रभाव विश्व व्यापि प्रकृति पर सूक्ष्म जगत पर तथा प्राणियों के स्थूल तथा सूक्ष्म शरीरों पर पड़ता है. यज्ञ द्वारा जो शक्तिशाली तत्व वायुमंडल में फैलते हैं तो वह तत्व वायुमंडल में फैल कर हवा में घूमते असंख्य रोग कीटाणु सहज ही नष्ट हो जाता है. यज्ञ की उष्मा मानव के अंत:करण पर देवत्व की छाप डालती है. कुबुद्धि, कुविचार, दुर्गुण एवं दुष्कर्मों से विकृत मनोभूमि में यज्ञ से भारी सुधार होता है.
इसलिए यज्ञ को पाप नाश भी कहा जाता है. यज्ञ धर्म प्रक्रियाओं में भाग लेने से आत्मा पर चढ़े मल विक्षेप दूर हो जाते हैं. विधिवत किये गये यज्ञ इतने प्रभावशाली होते हैं कि इसके प्रभाव से यज्ञ में शामिल मानव का मानसिक दोष, दुर्गुण का निष्कासन के साथ सदभावों का अभिवर्द्धन होता है.

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