बालू माफियाओं के कारण नदियां खो रही अस्तित्व, किसान परेशान फोटो संख्या : 19फोटो कैप्सन : सूखने के कगार पर नदी प्रतिनिधि , संग्रामपुर प्राचीन काल से ही नदियां जीवन दायिनी कहलाती आ रही है और आज भी नदी पूजनीय है. खास कर किसानों के लिए यह अक्षय जल स्रोत वरदान बन कर उसके जीवन में खुशियां लाती थी. लेकिन आज बालू माफिया और सरकार की उदासीनता के कारण नदियां अपना अस्तित्व खोती जा रही है. जिससे सिंचाई की एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है. संग्रामपुर प्रखंड में मुख्य रुप से बदुआ, बेलहरनी एवं मुहाने नदी बहती है. जहां से रोजाना अवैध बालू का उठाव लगातार जारी है. बालू उठाव के कारण नदियां सुखती जा रही और क्षेत्र में जलस्रोत भी तेजी से भागता जा रहा है. नदी की उपेक्षा के कारण किसान काफी परेशान है क्योंकि उनके सामने सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गयी है. क्या है कारण नदियों पर बांध बन जाने के बाद से नदी में न तो बाढ़ आती है और न ही नया बालू. इससे नदियों का स्वरूप लगातार अतिक्रमण के कारण घटता जा रहा है. साथ ही बालू माफिया द्वारा पूरी तरह जेसीबी एवं पोकलेन लगाकर बालू का उठाव बेरहमी से किया जाने के कारण नदियां लगातार गहरी होती जा रही है. ठेकेदार द्वारा अवैध तरीके से हो रहे बालू उठाव का प्रशासन से सहयोग मिल रहा है. बालू ठेकेदार, प्रशासन एवं ट्रक चालकों के मिलीभगत से क्षमता भर ही बालू का चालान दिया जाता है. जबकि बालू का उठाव 2 गुणा बढ़ाकर किया जाता है. इससे सरकारी राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. क्या हैं स्थिति बालू के अवैध तरीके से उठाव के परिणाम स्वरूप नदियां गहरी हो गयी है. पूर्व से सिंचाई के बने डांढ़ एवं बांध के ऊंचा होने के कारण नदियों का जल डांढ में नहीं जा पाता है. इससे सिंचाई की व्यवस्था मृतप्राय हो गया है. नदी से बालू लगभग समाप्त हो जाने के कारण जमीनी जलस्तर भी नीचे जा रहा है. जिससे नलकूप एवं बोरिंग भी गर्मी में फेल हो जाते हैं. कहते हैं किसान गोविंदपुर गांव के रामाशीष चौधरी, नीलेश कुमार ने कहा कि सरकार की गलत नीति से बालू माफिया मालामाल हो रहे है. वहीं दूसरी ओर किसान कंगाल हो रहे है. किसानों ने सरकार से बालू के उठाव पर रोक लगाने की मांग की है.
बालू माफियाओं के कारण नदियां खो रही अस्तत्वि, किसान परेशान
बालू माफियाओं के कारण नदियां खो रही अस्तित्व, किसान परेशान फोटो संख्या : 19फोटो कैप्सन : सूखने के कगार पर नदी प्रतिनिधि , संग्रामपुर प्राचीन काल से ही नदियां जीवन दायिनी कहलाती आ रही है और आज भी नदी पूजनीय है. खास कर किसानों के लिए यह अक्षय जल स्रोत वरदान बन कर उसके जीवन […]
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