प्रतिनिधि , मुंगेरआपदा संकट निवारण एवं विश्व शांति के लिए महर्षि मुदगल की तपोभूमि उत्तर वाहिनी गंगा तट स्थित श्री राधा-कृष्ण मंदिर बबुआघाट में सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ प्रारंभ हुआ. उसका उद्घाटन एसडीओ डॉ कुंदन कुमार ने ठाकुर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया. वृंदावन से पधारे कथा वाचक स्वामी किशोरी शरण जी महाराज ने कहा कि भगवान कृष्ण का ही अंग है भागवत महापुराण. इसके बारहों अध्याय को हम भागवत भगवान कहते है. यह पंचम वेद है. उन्होंने कहा कि द्रविड़ देश से चलते-चलते भक्ति माता वृंदावन पहुंचती है. वहां आने के बाद वह जवान हो जाती है. उनका दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य वृद्धावस्था को प्राप्त कर जाता है. भक्ति का जवान होना और ज्ञान-वैराग्य का वृद्ध होना अच्छी बात नहीं है. आज भी ऐसी स्थिति बनी हुई कि भक्ति जवान हो गयी है और ज्ञान-वैराग्य वृद्धावस्था को प्राप्त कर मरनासन्न बना हुआ है. नारद मुनि ज्ञान और वैराग्य को जगाने के लिए प्रयास करते है. अनेक पुराण और उपनिषद उन्हें सुनाते है. लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता है. सनत कुमार के परामर्श से मुनि नारद श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को सुनाते है. उसके प्रभाव से भक्ति, ज्ञान और वैराग्य अपने यथा स्थिति को प्राप्त कर गये. उन्होंने धुंदकारी की कथा सुनाते हुए कहा कि धुंधकारी वही है जो धुंध का कारक है. जो अज्ञानता के दिशा में काम कर रहा है, समाज को तोड़ने का काम करता है. वही धुंधकारी है. श्रीमद् भावगत महापुराण के श्रवण से इस धुंधकारी की आत्मा को भी सद्गति मिल जाती है. मौके पर संत कवि विजेता मुद्गलपुरी, रणविजय नारायण गुप्त, नवल किशोर पंडित सहित अन्य मौजूद थे.
आपदा संकट निवारण एवं विश्व शांति के लिए भागवत कथा
प्रतिनिधि , मुंगेरआपदा संकट निवारण एवं विश्व शांति के लिए महर्षि मुदगल की तपोभूमि उत्तर वाहिनी गंगा तट स्थित श्री राधा-कृष्ण मंदिर बबुआघाट में सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ प्रारंभ हुआ. उसका उद्घाटन एसडीओ डॉ कुंदन कुमार ने ठाकुर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया. वृंदावन से पधारे कथा वाचक स्वामी किशोरी शरण […]
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