फोटो संख्या : 3 फोटो कैप्सन : प्रवचन करते संत कवि विजेता मुदगलपुरी प्रतिनिधि , मुंगेर दुर्गा मंदिर पुरानीगंज के प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. अंगिका रामायण के रचयिता संत कवि विजेता मुदगलपुरी ने भगवान राम के चरित्र का वर्णन किया. उन्होंने भानु प्रताप के रावण होने का प्रसंग, धरती का गाय का रूप धारण कर देवताओं के पास जाना, श्रृंगी ऋषि के विवाह की कथा, श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ का प्रसंग, भगवान राम का जन्म और फिर भगवान के साथ चारों भाइयों के नामकरण संस्कार व नाम विशेष अर्थ की विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि कुल गुरु वशिष्ट चारों भाइयों के नामकरण करते हैं. इस नामकरण के विशेष अर्थ को भी समझा जा सकता है. कौशल्या के पुत्र का नाम है राम जो संपूर्ण सृष्टि में रमण करता है. लक्ष्मण उसे कहेंगे जिसका लक्ष्य और मन एक दिशा में हो. लक्ष्य कहीं और मन कहीं हो, वह लक्ष्मण नहीं कहा जा सकता. अगर लक्ष्य हो राम के साथ जाना और मन हो अयोध्या में, तो ऐसे में लक्ष्मण नहीं हो सकते. लक्ष्य और मन दोनों राम में लगाने वाला ही लक्ष्मण नाम पा सकता है. उन्होंने कहा कि ‘ विश्व भरण पोषण कर जोई, तापर नाम भरत अस होई” यानी भरत उसी को कहा जाता है. जो जगत का भरण करता हो. उन्होंने कहा कि शत्रुघ्न जो शत्रु का ेरुघ्न दे, रिपु दम यानी जो शत्रु का दमन कर दे. इस तरह नामों पर विचार करे तो ऐसा ही मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति नाम के अनुसार कर्म को धारण नहीं करता है तो आंख का अंधा नाम नयन सुख वाली कहावत चरितार्थ होता है. मौके पर भजन गायक शंकर मेहता व साथियों ने भजन प्रस्तुत किया.
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लक्ष्य व मन दोनों राम में लगाने वाला ही पा सकता लक्ष्मण नाम
फोटो संख्या : 3 फोटो कैप्सन : प्रवचन करते संत कवि विजेता मुदगलपुरी प्रतिनिधि , मुंगेर दुर्गा मंदिर पुरानीगंज के प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. अंगिका रामायण के रचयिता संत कवि विजेता मुदगलपुरी ने भगवान राम के चरित्र का वर्णन […]
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