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आदमी आदमी का लहू पी रहा तो मच्छर बेचारा क्या करे…

होली के अवसर पर रसभरी काव्य सम्मेलन का आयोजनफोटो संख्या : 4फोटो कैप्सन : काव्य सम्मेलन में अपनी रचना प्रस्तुत करते कवि प्रतिनिधि , मुंगेर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में होली के अवसर पर बाटा चौक दुर्गास्थान में रसभरी काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष शिव कुमार रुंगठा […]

होली के अवसर पर रसभरी काव्य सम्मेलन का आयोजनफोटो संख्या : 4फोटो कैप्सन : काव्य सम्मेलन में अपनी रचना प्रस्तुत करते कवि प्रतिनिधि , मुंगेर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में होली के अवसर पर बाटा चौक दुर्गास्थान में रसभरी काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष शिव कुमार रुंगठा ने की. समारोह के प्रथम चरण में गायक अजय कुमार एवं उनके पार्टी द्वारा स्वागत गान व गजल प्रस्तुत किया गया. दूसरे चरण में कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ. कवि रामोतार राही ने कई हास्य रचनाएं सुनायी. उन्होंने अपनी रचना ”आदमी आदमी का लहू पी रहा तो मच्छर बेचारा क्या करे?, पांच महिलाओं के द्वारा दो पुरुषों का बलात्कार , आज का है ताजा समाचार ” प्रस्तुत किया. जबकि गजलगो छंछराज ने सुनाया ” ये होली है, इसे हिलमिल मनाएं, सितारों की तरह झिलमिल मनाएं ” सुनाया. मधुसूदन आत्मीय ने ” प्रेम सरोवर तन हो जाये, सरसिज हो जाये मन, हर बाला राधा के रंग में रंग रंग जाये मधुसूदन ” सुनाया. विजते मुद्गलपुरी की व्यंग रचना अंगिका सुनाया. जिसके बोल थे ” नया वियहुआ के एंगना में नुकली रहौ वसंत साल भर ” थे. गुरुदयालय त्रिविक्रम ने सुनाया ” उनके हाथ गुलाल है, इनके हाथ अबीर, एक जैसे लगते हैं राजा रंक फकीर ”. मौके पर विजय वर्तनिया, सुबोध छवि, एसबी भारती, सर्वेंद्र कुमार शर्मा, मो. एहतेशाम आलम ने भी अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया.

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