मुंगेर : आर्थिक संपन्नता एवं हथियारों की कमी को दूर करने के लिए नक्सली संगठन अवैध हथियार निर्माता और कारोबारियों से हाथ मिला लिया. नक्सलियों के संरक्षण में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दुर्गम पहाड़ व जंगलों में बड़े पैमाने पर मिनीगन फैक्टरी का संचालन हो रहा है.
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पहाड़ व जंगलों में नक्सली चलवा रहा अवैध हथियार निर्माण का कारोबार
मुंगेर : आर्थिक संपन्नता एवं हथियारों की कमी को दूर करने के लिए नक्सली संगठन अवैध हथियार निर्माता और कारोबारियों से हाथ मिला लिया. नक्सलियों के संरक्षण में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दुर्गम पहाड़ व जंगलों में बड़े पैमाने पर मिनीगन फैक्टरी का संचालन हो रहा है. जिसे नक्सलियों व स्थानीय रंगदारों का भी वरदहस्त […]
जिसे नक्सलियों व स्थानीय रंगदारों का भी वरदहस्त प्राप्त है. यही कारण है कि बिना किसी भय के धड़ल्ले से हथियारों का निर्माण यहां किया जा रहा है. इसका खुलासा लगातार जंगल व पहाड़ी क्षेत्रों में पुलिस द्वारा छापेमारी के दौरान हुए मिनी गन फैक्टरी के उद्भेदन से हुआ है. तीन माह में यह दूसरा मौका है. जब पुलिस ने धरहरा थान क्षेत्र के बरमसिया में छापेमारी कर तीन मिनीगन फैक्टरी का उद्भेदन किया.
जो यह पुख्ता करता है कि अब नक्सली भी हथियार कारोबार से जुड़ गया है. जिले में मुफस्सिल थाना क्षेत्र का बरदह गांव व दियारा का क्षेत्र अवैध हथियारों के निर्माण का केंद्र रहा है. किंतु हाल के वर्षों में जब पुलिस इन क्षेत्रों में दबिश बनायी तो अवैध हथियार के कारोबारी जंगल व पहाड़ के इलाके की ओर रुख कर लिया. जहां माओवादी व स्थानीय अपराधियों के मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हथियारों का निर्माण करने लगा.
यहां बनाया जाता है हथियार
खड़गपुर थाना क्षेत्र के वासदेव पहाड़, धरहरा थाना क्षेत्र के सौगना पहाड़, शामपुर थाना क्षेत्र के जलकुंड पहाड़, ऋषिकुंड पहाड़ और पाटम पहाड़ बिंद टोली, शामपुर थाना क्षेत्र के बर्रा पहाड़ पर अवैध हथियार का निर्माण कराया जा रहा है. जबकि टेटियाबंबर, गंगटा, धरहरा, लड़ैयाटांड थाना क्षेत्र में भी नक्सलियों के नेतृत्व में मिनीगन फैक्टरी का संचालन होता है.
ये सभी क्षेत्र पूरी तरह से नक्सल प्रभावित हैं. पुलिस सूत्रों की मानें तो यहां अवैध हथियार तैयार करने पर एक नियत रकम नक्सलियों को देनी पड़ती है. वहीं जरूरत पड़ने पर नक्सली अवैध हथियार निर्माताओं से लेवी के रूप में हथियार लेते हैं और अपने अत्याधुनिक हथियारों की मरम्मत भी कराते हैं.
कहती हैं एसपी
पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने कहा कि अवैध हथियार निर्माण एवं तस्करी के खिलाफ मुंगेर पुलिस लगातार छापेमारी अभियान चला रही है. जिस क्षेत्र में अवैध मिनीगन फैक्टरी संचालन व हथियार कारोबार की सूचना मिलेगी. वहां रणनीति बना कर छापेमारी की जायेगी. ताकि अधिक से अधिक कारोबारियों की गिरफ्तारी हो सकती है.
पुलिस को पहले बनानी पड़ती है रणनीति फिर करती है छापेमारी
नक्सल प्रभावित पहाड़ व जंगलों में बड़े पैमाने पर मिनी गन फैक्टरी का संचालन हो रहा है. इसकी भनक पुलिस को रहती है. दुर्गम रास्ता व नक्सलियों के गिरफ्त में क्षेत्र रहने के कारण पुलिस को छापेमारी करने से पहले रणनीति बनाती और फिर छापेमारी करती है. छापेमारी के दौरान सीआरपीएफ, एसटीएफ, एसएसबी के जवानों का भी सहारा लेना पड़ता है.
दो बार धरहरा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मिनीगन फैक्टरी पकड़ाने पर पुलिस पदाधिकारियों ने कहा था कि हथियार निर्माता को नक्सलियों का संरक्षण प्राप्त है. साथ ही दुर्गम रास्ते वाले स्थान पर हथियार निर्माण करते हैं. ताकि पुलिस को पहुंचने में दिक्कत हो. लेकिन सूचना मिलने पर पुलिस छापेमारी भी करती है और मिनीगन फैक्टरी का उद्भेदन भी होता है.
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