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आउटडेटेड हो चुकी है अग्निशमन सेवा, अब अपडेशन की जरूरत

शहर में फायर सेफ्टी रूल का नहीं होता है पालन, आपदा के दौरान व्यापक पैमाने पर नुकसान होने की बनी रहती है संभावना मुंगेर : वर्ष 1934 में आये भूकंप के बाद मुंगेर शहर को बेहद ही खूबसूरत तरीके से बसाया गया. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया और आधुनिकता बढ़ती गयी, वैसे-वैसे मुंगेर शहर में […]

शहर में फायर सेफ्टी रूल का नहीं होता है पालन, आपदा के दौरान व्यापक पैमाने पर नुकसान होने की बनी रहती है संभावना

मुंगेर : वर्ष 1934 में आये भूकंप के बाद मुंगेर शहर को बेहद ही खूबसूरत तरीके से बसाया गया. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया और आधुनिकता बढ़ती गयी, वैसे-वैसे मुंगेर शहर में आलीशान भवन व प्रतिष्ठानों की संख्या भी बढ़ती चली गयी. किंतु आधुनिकता के दौर में शहरवासी सुरक्षा के मानकों की अनदेखी करने लगे और मनमाने तरीके से शहर में भवनों व प्रतिष्ठानों का निर्माण होने लगा. जिसमें खासकर फायर सेफ्टी के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा. वैसे तो नियमानुसार नगर निगम द्वारा बिना फायर सेफ्टी के किसी भी भवन या प्रतिष्ठानों को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं दिया जाना है.

किंतु शहर में लगातार इस नियम को नजरअंदाज कर फायर सेफ्टी की सुविधा नहीं रहने के बावजूद धड़ल्ले से बहुमंजिली इमारतें बनायी जा रही हैं. जिसके कारण शहर में अक्सर अगलगी जैसी आपदा की आशंका बनी रहती है. सोमवार को शहर के मुख्य बाजार में हुई अगलगी की घटना इस तरह के आपदा की एक झलक मात्र है.

आउटडेडेट हो चुकी है मुंगेर की अग्निशमन सेवा: मुंगेर जिले की अग्निशमन सेवा अब पूरी तरह से आउटडेटेड हो चुकी है. यहां न तो अग्निशमन वाहन की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही यहां के अग्निशमन सेवा को अत्याधुनिक वाहनों से लैश किया गया है. जिसके कारण वर्तमान परिवेश में अगलगी की घटना के दौरान अग्निशमन सेवा पूरी तरह से फेल हो जाती है. मुंगेर शहर में वर्तमान समय में 5500 लीटर, 3000 लीटर तथा 300 लीटर क्षमता की एक-एक वाहन है. जिसमें से 3000 लीटर झमता के अग्निशमन वाहन का कंप्रेशर पूर्व से ही खराब पड़ा हुआ है. सोमवार की अगलगी की घटना जैसे आपदाओं में यह वाहन ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ. वहीं वाहनों में पानी भरने की व्यवस्था की बात की जाये तो यहां कुल तीन प्वाइंट उपलब्ध है, जो 2 एचपी की क्षमता से पानी का सप्लाइ देता है. जिसके कारण वाहन के टैंकर में पानी भरने में काफी वक्त लग जाता है. जिससे ससमय आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है.

भवन व प्रतिष्ठानों में फायर सेफ्टी की नहीं है व्यवस्था: बसावट के अनुसार मुंगेर शहर बेहद ही खूबसूरत है. किंतु अपने स्टेटस तथा प्रतिष्ठानों को चमकाने के चक्कर में यहां के लोग सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. एक तो मुंगेर शहर भूकंप जोन में आता है, जिसके कारण मुंगेर शहर के लिए मानक तय किया गया है कि यहां जी-वन (ग्राउंड फ्लोर के ऊपर एक मंजिल) प्रकार के ही भवन का निर्माण कराया जा सकता है. इसके लिए गृह स्वामी को नगर निगम से एनओसी जरूरी है. किंतु जी-वन से ऊपर या 15 फीट से अधिक ऊंचाई वाले भवन का निर्माण कराने पर नगर निगम से फायर सेफ्टी का एनओसी लेना होगा. यदि किसी भी भवन का निर्माण व्यावसायिक प्रतिष्ठान के उपयोग के रूप में होता है तो फायर सेफ्टी का एनओसी लेना अनिवार्य है.

कहते हैं अग्नि शमानालय पदाधिकारी : अग्नि शमानालय पदाधिकारी सत्येंद्र प्रसाद ने बताया कि विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी सभी वाहन काफी पुरानी हो चुकी है, जिसमें से एक तो खराब भी हो गया है. वर्तमान समय में मुंगेर अग्निशमन सेवा को सुदृढ़ करने के लिए अलग से दो बड़े वाहन, एक रेस्क्यू सिस्टम वाहन तथा एक हाईड्रोलिक वाहन की जरूरत है. साथ ही वाहन के टैंकर में पानी भरने वाले प्वाईंट पर कम से कम 5 एचपी के मोटर की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि टैंकर में पानी भरने में कम से कम समय बर्बाद हो.

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