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स्वार्थ की लड़ाई में स्वास्थ्य का सत्यानाश

मुंगेर : स्वास्थ्य विभाग मुंगेर द्वारा जिले में चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ की बहाली विवादों में घिर गया है. मामला है चयन समिति के गठन का. चयन समिति में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जिस पर सवाल उठ रहे हैं. मुंगेर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने चयन समिति के गठन में […]

मुंगेर : स्वास्थ्य विभाग मुंगेर द्वारा जिले में चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ की बहाली विवादों में घिर गया है. मामला है चयन समिति के गठन का. चयन समिति में ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जिस पर सवाल उठ रहे हैं. मुंगेर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने चयन समिति के गठन में अनियमितता का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है. जिसमें सीधे तौर पर विभागीय आदेश व नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. यह बात अलग है

कि सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने चयन समिति के गठन से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है. लेकिन विभाग में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा. सीएमओ व एसीएमओ आमने-सामने हो गये हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा. जिससे सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना प्रबल है.
स्थानांतरण-पदस्थापन में होती रही है अनियमितता: लिपिक से लेकर एएनएम व जीएनएम का स्थानांतरण व पदस्थापन स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए मालदार माना जाता है. गत वर्ष जिले में एक साथ 73 जीएनएम व एएनएम का स्थानांतरण किया गया था. जिसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी. व्यापक गड़बड़ी को लेकर जब बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने आंदोलन प्रारंभ किया. तो क्षेत्रीय अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं ने इसकी जांच की और मामला उजागर हुआ.
उन्होंने अपने जांच रिपोर्ट में कहा था कि सिविल सर्जन द्वारा जिला स्थापना समिति के गठन में वरीय पदाधिकारियों यथा अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी एवं उपाधीक्षक सदर अस्पताल को मेंबर के रूप में शामिल न कर कनीय चिकित्सक को स्थापना समिति में शामिल करने का आरोप लगाया था. अपर निदेशक ने जांच रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया था कि कई-कई वर्षों से मुख्यालय में जमे लिपिक काम कर दादागिरी ज्यादा करते हैं. लेकिन मुख्यालय के लिपिकों का स्थानांतरण नहीं किया जाना हास्यास्पद है.
लिपिक को निलंबित करने की हुई थी अनुशंसा : जांच रिपोर्ट में सिविल सर्जन कार्यालय के लिपिक ज्ञानशंकर पासवान के कार्यकलाप भी सवाल उठाये गये थे और उसे निलंबित करने तथा उसे सुदूर प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरित करने की अनुशंसा की गयी थी. लेकिन लिपिक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वह आज भी सिविल सर्जन कार्यालय में जमा है.

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