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कांवरियाें को बाबा भोलेनाथ का सहारा

लापरवाही. प्रशासन नहीं कर रहा व्यवस्था मुंगेर : श्रावणी मेला के नाम पर कांवरिया पथ में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कांवरियों को समुचित व्यवस्था नहीं मिल पा रही है. देश-विदेश से आने वालों कांवरियों को पीने के पानी से लेकर स्नान व शौच के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ रही है. अस्थायी […]

लापरवाही. प्रशासन नहीं कर रहा व्यवस्था

मुंगेर : श्रावणी मेला के नाम पर कांवरिया पथ में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कांवरियों को समुचित व्यवस्था नहीं मिल पा रही है. देश-विदेश से आने वालों कांवरियों को पीने के पानी से लेकर स्नान व शौच के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ रही है. अस्थायी चिकित्सा सेवा शिविर से चिकित्सक भी मौजूद नहीं रहते हैं. वहीं कांवरिया पथ में स्वच्छता मानकों को भी ताक पर रख दिया गया है. जिससे आस्था के इस मेले में श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है. कांवरियाें को सिर्फ भोलेनाथ का ही सहारा रह गया है.
कांवरिया पथ में स्वच्छता मानकों का पालन नहीं हो रहा है. कच्ची कांवरिया पथ कि किनारे ही दुकानदार व होटल संचालकों द्वारा कूड़ा फेंका जा रहा है. जबकि जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि कांवरिया पथ पर सभी दुकानदार अपने दुकानों में एक कूड़ेदान की व्यवस्था रखेंगे. किंतु एक भी दुकानदार जिला प्रशासन के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं. जिसके कारण कांवरिया पथ में काफी गंदगी फैल गयी है.
सोने के लिए आते हैं स्वास्थ्यकर्मी.कंकड़ से भरे पथ तथा उमस भरी गरमी के कारण कांवरियों को अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कांवरियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिले इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा प्रत्येक किलोमीटर की दूरी पर एक अस्थायी चिकित्सा सेवा शिविर स्थापित किया गया है. किंतु विभागीय उदासीनता के कारण कांवरियों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. असरगंज गायत्री स्थान के समीप बने अस्थायी चिकित्सा सेवा शिविर में बुधवार को रात्री 10 बजे चिकित्सक डॉ नवीन कुमार भारती के साथ सभी मेडिकल स्टाफ सोये हुए थे. कांवरिया के जगाने पर भी वे नहीं जागते थे. जिसके कारण कांवरिया दर्द से कराहते हुए भगवान भोले का नाम लेकर आगे बढ़ने को मजबूर है.
चापाकल में व्यवसायियों ने लगा लिया मोटर
पीएचिडी विभाग द्वारा कांवरिया पथ पर दर्जनों हाथी चापाकल लगाया गया है. ताकि कांवरियों को पानी की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े. किंतु विभागीय उदासीनता के कारण अधिकांश चापाकल पर व्यवसायियों का कब्जा है. असरगंज के समीप लगे 55 नंबर चापाकल का हेड हटा कर व्यवसायियों ने अपने होटल संचालन के लिए उसमें मोटर फिट कर दिया है. इतना ही नहीं जिस चापाकल से नि:शुल्क कांवरियों को पानी मिलना था और उसी चापाकल से निकलने वाले पानी के लिए कांवरियों को जेब ढीली करनी पर रही है.

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