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गंगा किनारे भी नहीं बुझ रही प्यास

ढाई लाख का प्याऊ दो साल से पड़ा है खराब निगम प्रशासन बेखबर लाेग रह जाते हैं प्यासे मुंगेर : ‘नमामि गंगे’ के उच्चारण मात्र से मन को सुकून मिलता है़ लेकिन सरकार की यह योजना जिले में निष्क्रिय है. जबकि सरकार ने खजाना खोल रखा है़ गंगा को नमन करने सैकड़ों लोग प्रतिदिन गंगा […]

ढाई लाख का प्याऊ दो साल से पड़ा है खराब

निगम प्रशासन बेखबर लाेग रह जाते हैं प्यासे
मुंगेर : ‘नमामि गंगे’ के उच्चारण मात्र से मन को सुकून मिलता है़ लेकिन सरकार की यह योजना जिले में निष्क्रिय है. जबकि सरकार ने खजाना खोल रखा है़ गंगा को नमन करने सैकड़ों लोग प्रतिदिन गंगा घाट पर पहुंचते हैं, किंतु गंगा किनारे भी उन लोगों की प्यास नहीं बुझ पाती है़ मुंगेर के गंगा घाटों पर कहने को तो लाखों रुपये खर्च कर प्याऊ का निर्माण कराया गया है़ लेकिन लोग प्यासे हैं.
कष्टहरणी घाट पर दो साल से बंद पड़ा है प्याऊ
वर्ष 2015 में निगम सरकार ने 2 लाख 58 हजार 500 रुपये की लागत से कष्टहरणी घाट पर एक प्याऊ का निर्माण करवाया़ इसका उद्घाटन पूर्व मेयर कुमकुम देवी ने किया था़ कुछ दिनों तक तो प्याऊ ठीक-ठाक चला, किंतु निगम प्रशासन की उदासीनता के कारण पिछले दो साल से यह प्याऊ बंद पड़ा हुआ है़ प्रतिदिन यहां पर सैकड़ों लोग स्नान करने व गंगा दर्शन करने पहुंचते हैं. किंतु प्यास लग जाने पर लोगों को यहां से मायूस हो कर अपने घर की ओर रुख करना पड़ जाता है़ ऐसी स्थिति में लोग यहां की व्यवस्था को कोसते हैं.
पीना तो दूर, चेहरा धोने लायक भी नहीं है पानी
कष्टहरणी घाट के बाद शहर में बबुआ घाट का स्थान आता है, यहां भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है़ इतना ही नहीं यहां पर कई लोग मुंडन व श्राद्धकर्म के लिए पहुंचते रहते हैं. यह घाट व्यापारिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है़ दियारा क्षेत्र से अनाज व सब्जियों का आयात इसी घाट से होता है़ यहां पेयजल की सुविधा के लिए एक प्याऊ का निर्माण तो किया गया है, किंतु इससे निकलने वाला पानी इतना गंदा रहता है कि लोग इसे पीना तो दूर इससे अपना चेहरा भी धोना पसंद नहीं करते़ नतीजतन लोगों को यहां से भी प्यासा ही लौट जाना पड़ाता है़ वहीं सोझी घाट व जहाज घाट की स्थिति इससे भी अधिक चिंताजनक है़

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