उदासीनता. पोषण पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे कुपोषित बच्चे
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8000 में से सिर्फ 172 को पोषण
उदासीनता. पोषण पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे कुपोषित बच्चे िजले मंे कुपोषित बच्चों की खासी संख्या है. इसे कम करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी हैं. 8000 कुपोषित बच्चों में से सिर्फ 172 को ही केंद्र तक ला पाना संभव हो पाया है. इसमें सुधार की जरूरत […]
िजले मंे कुपोषित बच्चों की खासी संख्या है. इसे कम करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी हैं. 8000 कुपोषित बच्चों में से सिर्फ 172 को ही केंद्र तक ला पाना संभव हो पाया है. इसमें सुधार की जरूरत है.
मुंगेर : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र की व्यवस्था की गयी है़ जहां वैसे बच्चों को भरती कर इलाज किया जाना है, जो कुपोषित व अति कुपोषित हैं. किंतु स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है़ सरकारी आकड़ों के अनुसार, जिले में लगभग 8000 कुपोषित बच्चे हैं. बावजूद यहां पिछले एक साल में सिर्फ 172 कुपोषित बच्चों को ही भरती किया गया़ इस कारण बाकी के कुपोषित बच्चों का बचपन कुपोषण के दलदल में तबाह हो रहा है़
नहीं मिल रहा पोषण पुनर्वास का लाभ : मार्च 2016 से सदर अस्पताल में जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा पोषण पुनर्वास का संचालन किया जा रहा है, जिसे पूर्व में निजी संस्थाओं द्वारा संचालित किया जाता था़ पोषण पुनर्वास केंद्र में चिकित्सक, स्टाफ नर्स, रसोइया तथा अन्य कर्मियों का कोई अभाव नहीं है़ बावजूद यहां पर भरती होने वाले कुपोषित बच्चों की संख्या काफी कम है़ जिले भर में लगभग 8 हजार कुपोषित बच्चे हैं. किंतु पोषण पुनर्वास केंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं की विशेष जानकारी नहीं रहने के कारण कुपोषित बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है या यूं कहा जाये कि केंद्र के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है़ पिछले साल अप्रैल से इस साल मार्च महीने तक यहां जिले भर के कुल 172 कुपोषित बच्चों को भरती किया गया़ जिसमें 13 बच्चों को बेहतर इलाज के लिए भागलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया़ 12 बच्चों की माताएं अपने शिशु को धूरे इलाज में ही वापस घर लेकर चली गयीं. एक बच्चे की इलाज के दौरान ही मौत हो गयी़
किया जाता है प्रोत्साहित: वैसे तो कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र पर लाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को जिम्मेवारी दी गयी है़ यदि कोई आशा कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए केंद्र पर लाती है़, तो उसे प्रति बच्चे की दर से 50 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है़ यदि बच्चे व उसकी माता को लाने में किराया आशा कार्यकर्ता खर्च करती है, तो उसे केंद्र द्वारा आने- जाने का 200 रुपये किराये के तौर पर दिया जायेगा़ वहीं बच्चों के इलाज के दौरान माताएं जितने दिन केंद्र पर रहेंगी, प्रतिदिन के हिसाब से उसे 50 रुपये प्रोत्साहन राशि दिये जाने का प्रावधान है़
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने कहा कि पूर्व में आशा को प्रति बच्चा 100 रुपये प्रोत्साहन दिया जाता था. किंतु अब उसे 50 कर दिया गया है़ पूर्व में रुपये हाथों-हाथ दे दिया जाता था, किंतु अब उसके बैंक खाते पर रुपये भेजे जाते हैं. इससे भी बच्चों की संख्या कम पायी जा रही है़
प्रोत्साहन राशि के बावजूद नहीं आ रहे हैं अभिभावक
वित्तीय वर्ष 2016- 17 में केंद्र का हाल
माहीना भरती रेफर भाग गये स्वस्थ हुए
अप्रैल 8 2 0 6
मई 20 1 1 18
जून 16 0 4 12
जुलाई 24 2 0 22
अगस्त 28 2 4 22
सितंबर 17 0 1 16
अक्टूबर 6 1 1 4
नवंबर 11 1 0 10
दिसंबर 11 1 1 9
जनवरी 7 0 0 7
फरवरी 11 1 0 10
मार्च 13 2 1 10
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