उदासीनता. गेट पर अब नहीं होती मेटल डिटेक्टर से जांच
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बढ़ रहा न्यायालय में खतरा
उदासीनता. गेट पर अब नहीं होती मेटल डिटेक्टर से जांच मधुबनी : बेतिया कोर्ट में अपराधी बबलू दुबे हत्याकांड के बाद भी जिले के कोर्ट की सुरक्षा में कोई खास सुधार की पहल नहीं हो सकी है. आलम यह है कि पहले से सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों की संख्या इन दिनों कम कर दी […]
मधुबनी : बेतिया कोर्ट में अपराधी बबलू दुबे हत्याकांड के बाद भी जिले के कोर्ट की सुरक्षा में कोई खास सुधार की पहल नहीं हो सकी है. आलम यह है कि पहले से सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों की संख्या इन दिनों कम कर दी गयी है. पहले जहां 16 सुरक्षा बल तैनात रहा करते थे अब अधिकारी समेत मात्र 10 सुरक्षा कर्मी तैनात हैं. पहले मेटल डिटेक्टर से जांच की जाती थी. अब वह भी नहीं की जाती. खानापूरी ही की जा रही है. जिस कारण लोग बेरोक टोक न्यायालय परिसर तक आते जाते हैं.
पहले था इंतजाम, अब
हो रही कमी : विभिन्न जिलों के कोर्ट परिसर में आपराधिक घटना को अंजाम दिये जाने की घटना घटने के बाद मधुबनी न्यायालय परिसर की सुरक्षा को लेकर पहल की गयी थी. इसके लिये विभिन्न जगहों पर आठ प्रवेश द्वार बनाया गया. हर प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर के साथ सिपाही की तैनाती की गयी थी. जो आने जाने वालों की व्यापक तौर पर जांच कर ही अंदर प्रवेश की अनुमति देते. पर साल बीतते-बीतते इसमें कोताही बरती जाने लगी. आलम यह है कि वर्तमान में चार सिपाही व छह एसआइ सुरक्षा में लगे हैं.
प्रवेश द्वार पर नहीं घूमते रहते हैं सिपाही : वर्तमान में एक तो कम संख्या में सिपाही तैनात हैं, पर जितने सिपाही हैं वे भी प्रवेश द्वार पर तैनात रहने के जगह पर इधर उधर घूमते रहते दिखते हैं.
कैदी के उपस्थापन के लिये भी बल की कमी : वर्तमान में न सिर्फ कोर्ट की सुरक्षा में कमी है बल्कि हाजत में आने वाले बंदियों को न्यायाधीश के सामने उपस्थित करने के लिये भी पुलिस बलों की कमी है. जानकारी के अनुसार हर दिन करीब सौ बंदी रामपट्टी मंडलकारा से पेशी के लिये आते हैं. जहां पेशी के लिये ले जाने के लिये मात्र 12 सिपाही व दो पुरुष सिपाही ही तैनात हैं. बेतिया कांड के बाद न्यायालय की सुरक्षा में चार सिपाही को बढ़ा दिया गया है. इससे बारह सिपाही हुए. अन्यथा बेतिया कांड से पहले मात्र आठ सिपाही ही मौजूद थे.
18 न्यायाधीश सहित सैकड़ों कर्मी रहते हैं मौजूद : व्यवहार न्यायालय में वर्तमान समय में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, एडीजे, मजिस्ट्रेट सहित सैकड़ों कर्मी न्यायालय में मौजूद रहते हैं. साथ ही करीब पांच सौ अधिवक्ता, 200 अधिवक्ता लिपिक एवं जिले भर से न्याय को आने वाले पक्षकार भी पहुंचते हैं.
अब नहीं होती बम निरोधक मशीन से जांच : कुछ दिनों पहले तक न्यायालय के शुरू होने से पहले एवं न्यायालय के बंद होने के बाद बम निरोधक मशीन से पूरे परिसर की जांच की जाती थी. पर अब वह भी नहीं होता. जिससे न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगता जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी : एसपी दीपक बरनवाल ने बताया है कि जल्द ही सिपाही व पुलिस अधिकारियों की संख्या कोर्ट में बढ़ायी जायेगी.
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