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शिक्षिका ही नहीं, नारी मुक्ति आंदोलन की प्रथम नेता भी थीं

आयोजन. सावित्री बाई फुले की 186 वीं जयंती मनायी गयी मधुबनी /बेनीपट्टी : विभिन्न संस्थानों द्वारा साबित्री बाई फुले की 186 वीं जयंती मनायी गयी. इसके तहत लोहिया कर्पूरी इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी फॉर सोशल चेंज महिनाथपुर के तत्वावधान में गोसनगर के राजकीय प्राथमिक मकतब में लोक पंचायत मंडल के द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया […]

आयोजन. सावित्री बाई फुले की 186 वीं जयंती मनायी गयी

मधुबनी /बेनीपट्टी : विभिन्न संस्थानों द्वारा साबित्री बाई फुले की 186 वीं जयंती मनायी गयी. इसके तहत लोहिया कर्पूरी इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी फॉर सोशल चेंज महिनाथपुर के तत्वावधान में गोसनगर के राजकीय प्राथमिक मकतब में लोक पंचायत मंडल के द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. अध्यक्षता जमीला खातुन ने की . संगोष्ठी का विषय साबित्री बाई फुले के विचारों की प्रासंगिकता थीं.
लोगों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण किया.
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पंचदेव ने कहा कि महात्मा ज्योति बा फुले जैसा पति नहीं होता तो साबित्री बाई फुले भारतवर्ष की प्रथम महिला शिक्षिका नहीं बन पाती. वे इतने बड़े-बड़े काम नहीं कर पाती. साबित्री बाई फुले प्रथम शिक्षिका ही नहीं बल्कि नारी मुक्ति आंदोलन की प्रथम नेता भी थी. उन्होंने कहा कि साबित्री बाइ को विभिन्न राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित करना चाहिये. साथ ही विभिन्न पाठ्य पुस्तक के माध्यम से उनके विचारों से लोगों को अवगत कराना चाहिये. वहीं शिक्षक मदन कुमार सिंह ने कहा कि मिजोरम में सभी शिक्षित हैं.
वहीं नारी पुरुष में समानता है. जिस कारण सरकारी कार्यालयों में बिना किसी परेशानी के सभी कार्य निष्पादित होते हैं.
राजेंद्र प्रसाद महतो ने कहा कि जब तक समाज से जाति एवं अंध विश्वास समाप्त नहीं होगा. तब तक विकसित समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है. कार्यक्रम को रामबरण राम, रविंद्र नाथ शर्मा, गीता देवी, सियाराम सदाय, बचनू मंडल, शांति देवी, संतोष सदाय, राजेंद्र राम, विनय विक्रांत, भोली देवी, अशोक पासवान, सहित कई ने अपने विचार रखे. वहीं बेनीपट्टी के नंदी भौजी चौक स्थित सल्हेस गहबर परिसर में आंबेडकर कर्पूरी सामाजिक संस्थान के तत्वाधान में सावित्री बाई फूले की 186 वीं जयंती मनायी गयी.
इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने उनके अलावे बुद्ध, शाहू व डाॅ. बी आर आंबेडकर चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण किया. आयोजित विचार गोष्ठी को संबेधित करते हुए संस्था के राष्ट्रीय सचिव रामश्रेष्ठ दिवाना ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि दुनिया के दिमाग को गुलाम बनाने के लिए ईश्वर का सहारा लिया. सामंतो के खिलाफ फुले बाई लगातार संघर्श करते हुए समाज के वंचितों के बीच शिक्षा का अलग जगाने का काम किया. वहीं संस्था के अध्यक्ष रामवरण राम ने कहा कि वे देश की प्रथम
महिला शिक्षिका थी, जिन्होंने अछूत समाज में बिना किसी भेद भाव के शिक्षा प्रदान कर समाज को सभ्य बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया. वे आज हमारे लिए प्रेरणाश्रोत रहीं है.
वहीं मुखिया अजीत पासवान ने कहा कि उन्होंने पाखंडों के खिलाफ हमेशा लड़ते हुए अंधविश्वास को दूर कर समानता व एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया, जो आज भी उल्लेखनीय और अनुकरणीय है. कार्यक्रम की अध्यक्षता पुष्पा देवी ने की. जबकि मंच संचालन विमल पासवान ने किया. मौके पर रामलखन राम, ओम प्रकाश दास, मदन महतो, फीरन साफी, सियाराम सदा, अधिवक्ता रामवरण यादव, राहुल राम, मुखिया अमरेंद्र मिश्र, मो. शरीफ, जीरोखन मंडल, पीरेखन पासवान, राम शोभित राम, सतो दास, सुनीता देवी, मीना देवी, चंद्रकला देवी, मीनी कुमारी, पवन भारती, विशेश्वर झा व पारस कुमार झा समेत अन्य लोग भी मौजूद थे.
गौसनगर में संगोष्ठी में शामिल समाजसेवी पंचदेव व अन्य,
राजनीतिक दलों के साथ करें बैठक

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