मधुबनी : जब देश संक्रमण की दौर से गुजर रहा था. उस समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 26 दिसंबर 1925 को उस समय कानपुर शहर में हुई थी. उस समय देश में दो तरह की लड़ाई लड़ी जा रही थी. एक अंग्रेजों के खिलाफ अजादी की लड़ाई और दूसरी तरफ देश के अंदर वर्ग संघर्ष की चुनौती. ये बातें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला मंत्री मिथिलेश झा ने स्थानीय कार्यालय में आयोजित पार्टी के 91 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही.
श्री झा ने कहा कि आज के राजनीतिक दौर में देश प्रेमी होने का ठिंढ़ोरा पीटने वाला आरएसएस तथा तत्कालीन जनसंघ का देश की आजादी की लड़ाई से कोई सरोकार नहीं था. बल्कि, वे लोग अंग्रेजों के पिछलग्गू बने थे. उस वक्त भी भगत सिंह जैसे नौजवान कार्ल मार्क्स और लेनिन के सिद्धांतों पर चलकर देश की इज्जत की रक्षा करने में अपनी शहादत दी थी. उन्होंने कहा कि 91 वें स्थापना दिवस पर पार्टी जनों ने वर्तमान परिवेश में पार्टी इतिहास, बलिदान, त्याग एवं आंदोलन का संकल्प लेते हुए जनहीत में संघर्ष को नये रूप में जमीन पर उतारने की रणनीति बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को सहज और सजग बनाने की अपील की.
उन्होंने कहा कि देश पुन: आर्थिक, सामाजिक एवं औद्योगिक संकट से जूझ रहा है. यह परिस्थिति 35 प्रतिशत युवाओं के देश को अपने दशा एवं दिशा पर पुनर्चिंतन के लिए मजबूर कर दिया है. पार्टी पूर्व सांसद सह् स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय भोगेंद्र झा के अधूरे सपने को पुरा करने की जरूरत उन्होंने बतायी. रामनारायण यादव की अध्यक्षता में आयेाजित समारोह को डाॅ. हेमचंद्र झा, राजश्री किरण, रामटहल पूर्वे, मनोज मिश्रा, मोतीलाल शर्मा, शंकर झा, सत्यनारायण राम, खगेंद्र प्र. वर्मा, लक्ष्मण चौधरी, रामप्रसाद मंडल, बिल्टू प्रसाद महतो, किंकर ठाकुर, मो. ईस्माईल, जालेश्वर ठाकुर, सूर्यनारायण महतो एवं राकेश कुमार पांडेय ने संबोधित किया.