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अल्लाह को मनाने का बेहतर तरीका है रमजान

पंडौल : माहे रमजान अल्लाह को मनाने का बेहतरीन माह है. रमजान में थोड़ा कमाने वाला हो या बहुत कमाने वाला सभी रोजा रखते है और अल्लाह की इबादत करते है . सकरी बड़ी मसजिद के इमाम मौलाना जावेद हसन बताते है की जिसने रोजा रखा और उस दौरान अपने जज्बात गुस्सा और दिमाग पर […]

पंडौल : माहे रमजान अल्लाह को मनाने का बेहतरीन माह है. रमजान में थोड़ा कमाने वाला हो या बहुत कमाने वाला सभी रोजा रखते है और अल्लाह की इबादत करते है . सकरी बड़ी मसजिद के इमाम मौलाना जावेद हसन बताते है की जिसने रोजा रखा और उस दौरान अपने जज्बात गुस्सा और दिमाग पर काबू पाया वह सबसे कामयाब है .

उन्होंने बताया कि माहे रमजान शब्द ’’रम्ज’’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है. ‘छोटे पत्थरों पर पड़ने वाली सूर्य की अत्यधिक गर्मी’. माहे रमजान ईश्वरीय नामों में से एक नाम है. इसी महीने में पवित्र कुरआन नाजिल हुआ था. यह ईश्वर का महीना है. रमजान महीने का नाम है मुसलिम महीने मोहर्रम, सफर, रबीउल अव्वल, रबीउल आखरि जमादी.उल.अव्वल,जमादी.उल.आखरि, रजब, शाबान, रमजान, शव्वाल, जिलकाद और जिलहिज्जरू ये बारह महीने आते हैं. उन्होंने बताया कि शबे कद्र एक विशेष रात है.

रमजान के महीने में अल्लाह की तरफ से हजरत मोहम्मद साहब सल्लहो अलहै व सल्लम पर कुरान शरीफ नाजिल था. महीने की बरकत में अल्लाह ने बताया कि इसमें मेरे बंदे मेरी इबादत करें. इस महीने के आखिरी दस दिनों में एक रात ऐसी है, जिसे शबे कद्र कहते हैं.
21,23,25,27,29 वें में शबे कद्र को तलाश करते हैं. यह रात हजार महीने की इबादत करने से भी अधिक बेहतर होती है. शबे कद्र का अर्थ है वह रात जिसकी कद्र की जाए. यह रात जाग कर अल्लाह की इबादत में गुजार दी जाती है.

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