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टैक्स दिया, फिर भी सूख रहा गला

समस्या. होल्डिंग टैक्स में 20 प्रतिशत कर अदा कर रहे हैं शहरवासी मधुबनी : यह विडंबना है कि जिस सुविधा के लिये शहर के लोग सालाना नगर परिषद प्रशासन को टैक्स देते हैं. उस सुविधा से शहर के लोग वंचित हैं. सहज ही यह लोगों को विश्वास नहीं होगा या फिर उन्हें यह पता भी […]

समस्या. होल्डिंग टैक्स में 20 प्रतिशत कर अदा कर रहे हैं शहरवासी

मधुबनी : यह विडंबना है कि जिस सुविधा के लिये शहर के लोग सालाना नगर परिषद प्रशासन को टैक्स देते हैं. उस सुविधा से शहर के लोग वंचित हैं. सहज ही यह लोगों को विश्वास नहीं होगा या फिर उन्हें यह पता भी नहीं होगा कि वे नप प्रशासन को सालाना जितना होल्डिंग टैक्स देते हैं उसका 20 फीसदी केवल पेयजल के लिये ही देते हैं. बढ़ती तपिश से एक ओर शहर में जलस्तर में गिरावट आयी है. वहीं नगर परिषद जलापूर्ति के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनायी है.
शहर में लगे करीब 700 चापाकल जलस्तर में गिरावट से दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में शहरवासियों तथा यहां आने जाने वालों के लिए पानी की उपलब्धता गंभीर होती जा रही है. हालांकि बिहार के विकास के लिए मुख्यमंत्री के सात निश्चय ने विकास की गारंटी ली है. पर शहरवासियों के लिए यह निश्चय,
अनिश्चय बनी हुई है. सात निश्चयों में हर घर नल का जल योजना की शुरुआत नहीं होने के कारण शहर में जल संकट आ पड़ी है. चापाकल पर निर्भरता से मुक्ति, हर घर में नल का स्वच्छ जल के कारण नये चापाकल भी नहीं लगाये जा रहे हैं. ऐसे में शहर में नागरिकों के लिए सुविधा मुहैया के लिए जा रहे होल्डिंग टैक्स, जिसमें 20 प्रतिशत पानी टैक्स लिया जा रहा है पर पानी के लिए तरस रहे हैं शहर वासी.
20 प्रतिशत लगता पानी कर: नगर परिषद द्वारा होल्डिंग टैक्स में पांच प्रकार के टैक्स लिए जाते हैं. जिसमें भवन कर, शौचालय कर, पानी कर, स्वास्थ्य शेष तथा शिक्षा शेष शामिल है. इसमें से 20 प्रतिशत पानी कर के रूप में लिया जाता है. आंकड़ों की माने तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में करीब नौ लाख पानी कर के रूप में वसूल की गयी.
हर घर नल का जल योजना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चापाकल पर निर्भरता को समाप्त करने की घोषणा की है. अब अपने सात निश्चयों में हर घर में नल का जल योजना शुरू की जानी है. पर यह योजना अभी तक शहर में शुरू नहीं हो सकी है.
अब सीलबंद बोतल ही सहारा : छोटा सा शहर भले ही अन्य सुविधा में बड़ें शहरों की तुलना में कहीं भी नहीं आता हो, पर पानी की किल्लत अब यहां भी बड़े शहरों जैसी ही है. यहां के आबादी का करीब 80 फीसदी लोग अब डब्बा वाले पानी पर ही निर्भर हैं. कई कंपनी के डब्बा बंद पानी घरों तक पहुंचाये जाने लगे हैं. जिससे लोगों की प्यास बूझ पाती है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी: नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने बताया कि तापमान के बढ़ने से चापाकल बंद हो रहे हैं. बंद चापाकल को शीघ्र चालू किया जायेगा. हर घर नल योजना मद में राशि नहीं मिली है. राशि मिलते ही योजना पर काम किया जायेगा.
शहर में 5 से 10 फुट गिरा जलस्तर
86 लाख वसूला जाता होल्डिंग टैक्स
शहरवासियों से सालाना होल्डिंग टैक्स लिया जाता है. शहर में करीब 13 हजार 5 सौ परिवार रहते हैं. वित्तीय वर्ष 2015-16 में निजी होल्डिंग के रूप में 54 लाख का लक्ष्य रखा गया था. जबकि सरकारी मकानों पर 32 लाख 18 हजार रुपया लक्ष्य निर्धारित था. विभागीय सूत्रों के मुताबिक निजी होल्डिंग टैक्स में सौ प्रतिशत वसूली हुई है जबकि सरकारी विभाग से केवल 4 लाख 50 हजार की वसूली हुई है.

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