मधुबनी : जिले के युवाओं में खेल की प्रतिभा को निखारने एवं खेल भावना को बढ़ावा देने के लिए सरकार व प्रशासनिक स्तर से की गयी पहल आज धराशायी हो गया है. सरकार की परिकल्पना को प्रशासनिक लापरवाही ने तोड़ दिया है. जिला मुख्यालय के एक मात्र स्टेडियम आज टूट कर बरबाद हो गया है.
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उदासीनता . देखरेख के अभाव में बन गया चारागाह, बच्चे कैसे करें खेलकूद
मधुबनी : जिले के युवाओं में खेल की प्रतिभा को निखारने एवं खेल भावना को बढ़ावा देने के लिए सरकार व प्रशासनिक स्तर से की गयी पहल आज धराशायी हो गया है. सरकार की परिकल्पना को प्रशासनिक लापरवाही ने तोड़ दिया है. जिला मुख्यालय के एक मात्र स्टेडियम आज टूट कर बरबाद हो गया है. […]
यह आज इस काबिल भी नहीं है कि इसमें कोई कार्यक्रम भी हो सके. जगह-जगह से स्टेडियम टूट गया है. इससे होकर आवार पशु, असामाजिक तत्व इस स्टेडियम में आते जाते रहते हैं. ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं है. इसमें हर साल जिले के आला अधिकारी से लेकर मंत्री भी आते जाते रहते हैं, लेकिन इसके उद्धार के दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है. हां इसमें मरम्मति के नाम पर निश्चय ही हर साल हजाराें रुपये खर्च हो रहे हैं.
1987 में किया गया था निर्माण
जिले के युवाओं को खेलने का उचित जगह उपलब्ध हो, युवा खेल के दिशा में आगे आयें. इस परिकल्पना को लेकर मुख्यालय में स्टेडियम का निर्माण किया गया था. वर्ष 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विदेश्वरी दूबे ने इसका उद्घाटन किया था. लोगों में यह उम्मीद जगी कि शायद अब इस जिले के युवाओं को खेल के दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिल सके,
लेकिन साल दर साल यह उम्मीद टूटती गयी. इसमें खेल, कार्यक्रम संचालित होने के स्थान पर यह अब पशुओं के चारागाह के रूप में परिवर्तित हो चुकी है.
हुई जर्जर स्थिति
शहर का गौरवशाली रूप में स्थापित होने वाला स्टेडियम आज जर्जर हो चुका है. इसे देखने वाला कोई नहीं है. स्टेडियम में लोगों के बैठने वाला सीढ़ी आज जगह जगह से टूट कर बिखर गयी है. स्थानीय लोगों के मवेशी के बांधने, शौचालय के तौर पर इसका उपयोग करने के काम में यह आ रहा है.
जमा है पानी
स्टेडियम का उपयोग भले ही खेल के लिये नहीं हो पा रहा हो, पर ऐसा नहीं कि यह किसी काम का नहीं. इसका उपयोग स्थानीय लोगों के जल निकासी के तौर पर किया जा रहा है. इस स्टेडियम में आस पास के घरों से निकला पानी दीवाल के नीचे से होकर जमा हो जाता है. जिससे लोगों को जल निकासी के लिये कोई परेशानी नहीं होती
केयरटेकर भी काम नहीं आया
स्टेडियम के सुरक्षा के लिये दो केयर टेकर तैनात है, लेकिन इसके सुरक्षा में यह कोई खास कारगर साबित नहीं हो सका है. दो होमगार्ड के जिम्मे इसकी सुरक्षा व्यवस्था है. एक सुरक्षाकर्मी किशोरी महतो बताते हैं कि स्टेडियम की दीवाल जगह जगह से टूट गयी है. लोगों का पशु इससे होकर अंदर चला आता है. यदि इसको लेकर वे कुछ बोलते हैं तो स्थानीय लोग मारपीट करने पर भी उतारू हो जाते हैं. इससे वे कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं.
हर साल होता है कार्यक्रम
ऐसा नहीं कि इस स्टेडियम के जर्जर होने की स्थिति की जानकारी अधिकारियाें को नहीं है. हर साल गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह इसी स्टेडियम में होता है. इसमें जिले के अधिकारी सहित विधायक, मंत्री व गण्यमान्य लोग भी मौजूद होते हैं, लेकिन महज कार्यक्रम पूरा कर सभी वापस चले जाते हैं इसके उद्धार के दिशा में कोई पहल नहीं किया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
सदर एसडीओ मो शाहिद परवेज ने बताया है कि स्टेडियम के सुरक्षा के लिए जल्द ही ठोस पहल होगी. साथ ही इसके मरम्मत के लिए भी पहल की जायेगी़
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