मधुबनी : जिला प्रशासन व परिवहन विभाग की वाहन चालकों के प्रति सहानुभूति कहें या फिर शहर के लोगाें के प्रति कोई सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं कि इस शहर में एक भी नो इंट्री जोन नहीं है.
जब जिस गली में चाहे बड़ेे वाहन को आप ले जा सकते हैं. फिर वो चाहे शहर की तंग गली हो या फिर व्यस्त गिलेशन बाजार.
आलम यह है कि शहर के गलियों में न सिर्फ बड़े वाहनों का प्रवेश होता है. बल्कि इन वाहनों पर खतरनाक तरीके से सामान लदे होते हैं. इससे कभी भी भयानक हादसा हो सकता है, लेकिन इससे प्रशासन को कोई लेना देना
नहीं है.
व्यस्त गलियों से भी वाहनों की आवाजाही
शहर की मुख्य सड़क की कौन कहे व्यस्त चौक चौराहा व गलियों से भी बड़े वाहनों की आवाजाही लगी रहती है. शुक्रवार की सुबह गिलेशन बाजार जो शहर का सबसे व्यस्त बाजार माना जाता रहा है.
इस होकर सड़िया से लदा वाहन गुजरते देखा जाता है. जानकारी लेने पर स्थानीय लोगों ने बताया है कि इस सड़क से हर दिन सैकड़ों की संख्या में ट्रक व अन्य बड़ी वाहन गुजरते हैं.
ट्रक पर खतरनाक तरीके से सरिया लदा रहता है. इसका कुछ भाग ट्रक के बाहर रहता है. यदि पीछे चल रहे वाहन चालक सावधान न हो तो कभी भी हादसा हो सकता है.
परिचालन का समय तय नहीं
शहर में एक भी नो इंट्री जोन नहीं है. न ही बड़े वाहनों के शहर में परिचालन का समय सीमा ही निर्धारित है. इस कारण जब चाहें जहां चाहें वाहन चालक वाहनों को लेकर घुस जाते हैं.
कई बार दिन में दस पहिये वाले बड़े ट्रक के शहर के व्यस्त सड़कों पर परिचालन होने के कारण भयानक जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है. फिर दिन भर आम आदमी शहर की गलियों में दौड़ते रहते हैं.
प्रशासन मौन
शहर में नो इंट्री जोन बनाने के दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है. जिला प्रशासन इस दिशा में मौन धारण किये हुए है. ट्रैफिक प्रभारी जयनंदन प्रसाद की मानें तो वे कई बार शहर में हो रहे जाम की समस्या पर चिंता जताते हुए सदर एसडीओ व परिवहन पदाधिकारी से शहर में नो इंट्री जोन बनाने के लिए कह चुके हैं, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है.
जाम से होती है परेशानी
शहर में बड़े वाहनों के आने जाने का न तो समय निर्धारित है और न ही कोई रोक. ऐसे में शहर में जाम की समस्या अब आम हो गयी है. हालत यह है कि जिस दिन शहर में जाम की समस्या न हो उस दिन शहर के लोगों को आश्चर्य और हैरत होती है.
लगता है कि शहर खाली खाली है.
नहीं है ट्रैफिक पुलिस
शहर में ट्रैफिक पुलिस नहीं है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 30 वार्ड व करीब 77 हजार की आबादी वाले शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए मात्र चार होम गार्ड के जवान है.
इस समस्या को लेकर भी ट्रैफिक प्रभारी एसपी से कई बार होमगार्ड जवान की मांग कर चुके हैं, लेकिन मानों शहर की ट्रैफिक समस्या से जिला पुलिस को कोई मतलब ही नहीं है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सदर एसडीओ शाहिद परवेज ने बताया है कि शहर में बाईपास नहीं है. इस कारण यह परेशानी हो रही है. ऐसे में यदि नो इंट्री जोन बनाया गया तो इससे आम आदमी को ही
परेशानी होगी.