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छात्रों की संख्या सात हजार, शिक्षक पांच

घोघरडीहा : प्रखंड मुख्यालय स्थित चंद्रमुखी भोला महाविद्यालय डेवढ़ घोघरडीहा में व्याख्याता के नहीं रहने के कारण पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो गयी है. कॉलेज में न तो आवश्यकता के अनुरूप शिक्षक हैं और न ही अन्य संसाधन. इस कारण इस विद्यालय में नामांकित छात्रों का भविष्य अंधकारमय बन गया है. वर्षो से रिक्त हैं […]

घोघरडीहा : प्रखंड मुख्यालय स्थित चंद्रमुखी भोला महाविद्यालय डेवढ़ घोघरडीहा में व्याख्याता के नहीं रहने के कारण पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो गयी है. कॉलेज में न तो आवश्यकता के अनुरूप शिक्षक हैं और न ही अन्य संसाधन. इस कारण इस विद्यालय में नामांकित छात्रों का भविष्य अंधकारमय बन गया है.
वर्षो से रिक्त हैं पद
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई उक्त महाविद्यालय में नामांकित लगभग सात हजार छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए वाणिज्य संकाय सहित अर्थशास्त्र, गणित, अंगरेजी, मैथिली, इतिहास, गृहविज्ञान, जंतु विज्ञान, भौतिकी, वनस्पती विज्ञान, संगीत एवं उर्दू विषय में एक भी व्याख्याता तीन वर्षो से नहीं है. उक्त सभी विषयों के शिक्षकों के तीन वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त होने के बाद अभी तक इन विषयों के रिक्त पदों पर व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं किये जाने से कॉलेज में पढ़ाई ठप है.
पांच शिक्षकों पर पढ़ाने की जिम्मेदारी
कॉलेज में शिक्षा व्यवस्था किस प्रकार की है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कॉलेज में नामांकित करीब सात हजार छात्रों के पढ़ाई के लिए मात्र पांच शिक्षक ही हैं. ऐसे में ये पांच शिक्षक कितने छात्रों को पढ़ा सकेंगे इसका अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है.
चौपट शैक्षणिक व्यवस्था के बीच कॉलेज में नामांकित छात्राओं के लिए एक अदद् कॉमन रूम भी नहीं है. सात हजार छात्रों की पढ़ाई के लिए सिर्फ छह एस्बेस्टस के कमरे है. महाविद्यालय परिसर में बरसात के दिनों में जलजमाव की भी समस्या बनी रहती है.
छात्र एकता कुमारी, नेहा, पूजा कुमारी एवं छात्र विजय कुमार, टिंकु, बबलु, सौरभ कुमार सहित अन्य छात्रों ने बताया कि कॉलेज में व्याख्याताओं के नहीं रहने से वे लोग नियमित रूप से कॉलेज नहीं आते हैं. उन छात्रों को बाहरी निजी शिक्षक के सहारे ही अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है. इधर, इसी माह कॉलेज के प्राचार्य भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
क्या कहते हैं प्राचार्य
प्राचार्य डॉ ललित कुमार कंठ ने बताया कि कॉलेज में व्याख्याताओं की कमी रहने के कारण पढ़ाई बाधित होने की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को दी गयी है, लेकिन नतीजा अब तक कुछ भी नहीं है.

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