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48 लाख खर्च, पर ठहरने का इंतजाम नहीं

मधुबनी : शहर में गरीबों, मजदूरों व रिक्शा चालक के लिए ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं हैं. यदि गरीब किसी काम से शहर आये हैं तो रात बिताना मुश्किल हो जाता है. इनके ठहरने के लिए कोई आश्रय स्थल नहीं हैं. इनके पास इतना पैसा भी नहीं होता है कि यह किसी होटल में ठहर […]

मधुबनी : शहर में गरीबों, मजदूरों व रिक्शा चालक के लिए ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं हैं. यदि गरीब किसी काम से शहर आये हैं तो रात बिताना मुश्किल हो जाता है. इनके ठहरने के लिए कोई आश्रय स्थल नहीं हैं. इनके पास इतना पैसा भी नहीं होता है कि यह किसी होटल में ठहर सकें. जाड़ा, गर्मी हो या बरसात इन्हें फुटपाथ पर ही खुले आसमान के नीचे सोना पड़ता है. ऐसे में इनकी स्थिति कष्टदायक हो जाती है. दरअसल, सरकार ने नगर परिषद क्षेत्र में आश्रय स्थल बनाने के लिए आदेश जारी किया था.

इसके लिए करीब 48 लाख रुपया जारी भी किया गया था. नप के तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी जटाशंकर झा ने 2016 में निविदा का प्रकाशन कर कार्यादेश भी दिया था. पर तीन साल बाद भी यह बनकर तैयार नहीं हुआ था. संवेदक की लापरवाही से सरकारी आदेश के बावजूद गरीब सुविधा से वंचित हैं. आश्रय स्थल बनने से गरीबों को पहचान पत्र दिखा कर एक से दो दिन तक ठहरने की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी.
कम पैसे में मिलेगा भोजन. योजना के तहत आश्रय स्थल में किचेन की भी सुविधा रहेगी. जिसके माध्यम से वहां ठहरने वाले गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जायेगा. उसकी निर्धारित दर 10 या 12 रुपये में भरपेट भोजन मिलेगा. यह काम स्वयं सहायता समूह के देखरेख में होगा. पर योजना ही शुरू नहीं हुइ तो लाभ मिलने की बात ही दूर है.

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