मधुबनी : महिला कॉलेज के सामने वाले कॉलोनी में मनीष चौधरी का भी घर है. गंगासागर चौक पर इनका किताब का दुकान चलता है. रोज करीब आठ बजे तक दुकान पर चले जाते थे. पर इन दिनों इनकी दिनचर्या बदल सी गयी है. दिन में करीब 10 बजे के बाद ही दुकान पर जा पाते हैं. दुकान पर जाने के बाद भी दिन भर अलसाये अलसाये से दिखते हैं. दरअसल इन दिनों मनीष चौधरी रात भर पानी के लिये रतजगा करते हैं. कब मोटर से पानी आये पता नहीं. दूसरे मंजिल पर घर है,
नीचे में चापाकल. बार बार चापाकल को चलाते हैं. मोटर का स्वीच देते हैं. पर सब बेकार. कभी तीन बजे सुबह में पानी चढ़ता है तो कभी चार बजे सुबह में. कभी वो भी नहीं. ऐसे में रात को जागना और दिन में काम करना इनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है. यह किसी एक मनीष की परेशानी नहीं है. शहर में इन दिनों हर मुहल्ले में लोग का यही हाल है. शहर में पानी की संकट गहरा गयी है. साधारण चापाकल काम नहीं कर रहे. सड़क किनारे के चापाकल खराब हो गये हैं.
साधारण चापाकल खराब, समरसेबुल ही कर रहा काम . जानकारी के अनुसार शहर में सामान्य से करीब चार से सात फुट तक जल स्तर नीचे चला गया है. प्राय: हर मुहल्ले में लोग पानी की परेशानी से जूझ रहे हैं. साधारण चापाकल काम नहीं कर रहा. लोग समरसेबुल पंप गड़ा रहे हैं. पर समरसेबुल पंप की कीमत करीब 70 से 90 हजार तक लागत आने के कारण साधारण परिवार के लोग इसे नहीं गड़ा सकते. जिस कारण जिनके घर में समरसेबुल पंप नहीं है वो भारी परेशानी से जूझ रहे हैं. या तो पानी खरीद कर पी रहे हैं, या फिर पड़ोसी शहर में पानी का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. बीते सप्ताह जलस्तर सामान्य से दो से तीन फुट नीचे था.
पर अब यह चार से सात फुट तक नीचे चला गया है.
बोतलबंद पानी की बढी मांग . चापाकल से पानी नहीं निकलना मानों पानी के कारोबारी के लिये वरदान साबित हो रहा है. इनकी चांदी कट रही है. सुबह से शाम तक वाहनों से पानी मुहल्लों में पहुंचाया जा रहा है. लोगों के पीने के पानी का यह इन दिनों सबसे बड़ा माध्यम है. 20 रुपये एक डब्बा पानी मिल रहा है. एक परिवार में कम से कम 3 से चार डब्बा पानी खर्च हो रहा है. एक कारोबारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया है कि बीते एक माह पहले प्रति दिन 200 डब्बा बेच रहे थे. इन दिनों करीब 1200 से 1300 डब्बा प्रति दिन बिक जाता है.
एक सौ से अधिक सरकारी चापाकल खराब
नगर परिषद क्षेत्र के करीब एक सौ से अधिक चापाकल खराब हो चुका है. बीते दिनों बोर्ड की बैठक में भी इस बात को लेकर चर्चा की गयी थी. बीते एक सप्ताह पहले बैठक में बातें हुइ थी कि इसको लेकर पहल होगी. पर एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी इस पर अब तक किसी प्रकार की पहल शुरू नहीं की गयी है.