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नोटबंदी . जमीन खरीद-बिक्री कम होने से विगत वर्ष की तुलना में राजस्व में आया अंतर नोटबंदी की तारीख आठ नवंबर से लेकर बीस दिसंबर तक सरकार के खजाने में आये केवल दो करोड़ छह लाख रुपये, विगत वर्ष इतने ही दिन में चार करोड़ सत्तावन लाख प्राप्त हुआ था राजस्व मधेपुरा : नोटबंदी के […]

नोटबंदी . जमीन खरीद-बिक्री कम होने से विगत वर्ष की तुलना में राजस्व में आया अंतर

नोटबंदी की तारीख आठ नवंबर से लेकर बीस दिसंबर तक सरकार के खजाने में आये केवल दो करोड़ छह लाख रुपये, विगत वर्ष इतने ही दिन में चार करोड़ सत्तावन लाख प्राप्त हुआ था राजस्व
मधेपुरा : नोटबंदी के बाद जहां बाजार में व्यापार मंदा हो गया है. कारोबारी बाजार की इस हालत से परेशानहाल हैं वहीं सरकार के खजाने में भी राजस्व की भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. विशेष कर जिला निबंधन कार्यालय के जरिये सरकार के कोष में आने वाले राजस्व में विगत वर्ष की तुलना में भारी गिरावट आयी है. सरकार के राजस्व में आयी यह कमी पचास फीसदी से भी ज्यादा है. गौरतलब है कि शराब बंदी के बाद सरकार को पहले ही राजस्व की काफी क्षति हुई है. अब नोटबंदी के बाद होने वाली इस क्षति की भरपायी कैसी होगी. इस गिरावट का असर राज्य में चल रही विकास योजनाओं पर पूर्णतया पड़ने की आशंका प्रबल हो गयी है. इस घाटे को पूरा करने के लिये सरकार को कोई न कोई कदम तो उठाना होगा और इसका पूरा बोझ जनता पर पड़ने की संभावना प्रबल हो गयी है.
कम हो गया राजस्व . मधेपुरा जिले में जिला निबंधन कार्यालय के माध्यम से सरकार के खजाने में काफी राजस्व आता है. इस आकड़े को इससे ही समझा जा सकता है कि नोटबंदी लागू होने की तिथि से 20 दिसंबर तक सरकारी खजाने में केवल केवल दो करोड़ छह लाख रूपये आये. जबकि विगत वर्ष की तुलना करें तो इतने ही दिन में सरकार को चार करोड़ सत्तावन लाख रूपये राजस्व के रूप में प्राप्त हुआ था. राजस्व के कम होने से जिला प्रशासन सहित सरकारी हलकों में चिंता व्याप्त है.
कम हुए जमीन के अंतरण कार्य . राजस्व के इस घाटे का सीधा कारण नोटबंदी है. नोटबंदी लागू होने के बाद से ही जिले में जमीन की खरीद- बिक्री काफी कम हो गयी है. जिला अवर निबंधक जावेद अंसारी बताते हैं कि वर्ष 2016 में आठ नवंबर से लेकर तीस नवंबर तक जिले में 461 रजिस्ट्री हुई. इनमें जमीन खरीद के अलावा अन्यान्य लीज आदि शामिल हैं. इससे सरकार को एक करोड़ ग्यारह लाख रूपये की आय हुई. वहीं एक दिसंबर से बीस दिसंबर तक जिले में 385 रजिस्ट्री कार्य हुए. इनसे सरकार के खाते में केवल 95 लाख ही आये. अगर इतने ही दिनों में विगत वर्ष के आंकड़े को देखें तो वर्ष 2015 में आठ आठ नवंबर से लेकर तीस नवंबर तक जिले में 832 रजिस्ट्री कार्य हुए थे और इससे सरकार को दो करोड़ चार लाख रुपये की आय हुई थी.

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