मुश्किल है पर असंभव नहीं मुंह की लगी का छूटना फोटो – मधेपुरा 04,06,09,10कैप्शन – नशा मुक्ति केंद्र में बैठी एएनएम, काउंसलर सुधा संध्या और केंद्र में खाली पड़े बेड –इंट्रो — पूर्ण शराब बंदी की घोषणा भले ही सरकार ने की हो. लेकिन समाज का सभी वर्ग एकजुटता के साथ नशा के विरुद्ध मौन क्रांति आगाज कर चुका है. स्थिति ऐसी की पान के दुकान पर सिगरेट पीने और पान मसाला खाने वालों को भी अब सब मिलकर टोकने लगे है. आम तौर पर खुलेआम बिकने वाले भांग की बिक्री भी अब चुपचाप हो रही है. रासबिहारी खेल मैदान के एक कौने में रोज होने वाला धुआं पार्टी के युथ मेंबर कई दिनों से मैदान से गायब नजर आ रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो नशा मुक्त समाज निर्माण की चेतना आम लोगों में जग चुकी है. वहीं शराब बंदी के प्रति जिला प्रशासन के कड़े रूख से अवैध करोबारियों में भय का माहौल बना हुआ है. गुरूवार को एएसपी राजेश कुमार के नेतृत्व में मधेपुरा पुलिस विभिन्न थाना क्षेत्रों में लगातार छापामारी अभियान चलाकर अवैध शराब के खेप को जब्त करती रही. वहीं नियमित रूप से शराब या अन्य नशा का सेवन करने वाले लोग भी नशा की लत को छोड़ कर जीवन के तरफ लौटने लगे है. प्रतिनिधि, मधेपुराचार अप्रैल से अब तक आठ लोग सदर अस्पताल के आउट डोर में संचालित काउंसलिंग के लिए पहुंच चुके है. हैरत है कि इन्हें कोई लेकर नहीं पहुंचा. यह खुद काउंसलर के पास पहुंच कर नशा छोड़ने की मंशा जाहिर किये. काउंसलर ने इन्हें प्रोत्साहित करते हुए नशा बंदी के प्रति जागरूक किया. स्थिति है कि सभी आठ लोग नशा छोड़ कर रोज काउंसलर से सलाह मशवरा कर रहे है. काउंसलर सुधा संध्या ने इन सभी आठ लोगों का नाम और पहचान गुप्त रखने की शर्त पर जो कहानी बताई वह कुछ यूं है. केस स्टडी – 1 शहर के एक संभांत क्लॉनी निवासी पार्ट थ्री का छात्र मनोज कुमार करीब डेढ वर्ष पहले गांजा पीने के लत का शिकार बन गया. छह माह पहले वह शराब भी पीने लगा. वर्तमान स्थिति यह है कि बिना नशा किये इस 20 वर्षीय युवक को निंद नहीं आती है. लेकिन शराब बंदी की घोषणा और जिले में नशा मुक्ति केंद्र खुलने की खबर मिली तो अपने परिवार का विश्वास खो चुका यह युवक फिर से जिंदगी के तरफ लौटना चाहा और पहुंच गया काउंसलर के पास. जहां मिले भवनात्मक साथ और कुछ आसान परहेज के साथ एक दो टेबलेट के बदौलत यह युवक बीत एक सप्ताह से नशा मुक्त जीवन जी रहा है. केस स्टडी 2शहर के ही एक छोटे व्यवसायी कुंदन की तो शराब ने जिंदगी उजाड़ दी. पुरा परिवार बिखर गया लेकिन कुंदन नशा के लत से नहीं निकल पाया. जब शराब बंदी की घोषणा हुई तो इस युवक को महसुस हुआ की शराब खराब है. बहुत सोच विचार कर वह सदर अस्पताल स्थित काउंसलर के पास पहुंचा. जहां काउंसलर ने शराब छोड़ने के उसके इरादे को और मजबूत कर दिया. अब कई दिनों से बिना नशा के कुंदन अपने आप को सहज महसुस कर रहा है. परिवार के लोग भी कुंदन के इस बदलाव को देख कर खुश है.केस स्टडी 3भर्राही ओपी क्षेत्र के नागो राम की कहानी तो नशा को तौबा करने वालों के लिए मिशाल कायम किया है. रिक्शा चला कर कमाई गयी सभी पैसों को मदहोश होने तक शराब पर उड़ाना नागो की कहानी थी, नागो को कभी सुधरता इसकी आस परिजनों ने भी छोड़ दिया था. लेकिन शराब बंदी की घोषणा होते ही नागो का मन बदला और काउंसलर की मदद से वह एक सप्ताह से शराब को तौबा कर चुका है. कभी कभी नागो को सर दर्द, बदन दर्द एवं झनझननाट की शिकायत रहती है. लेकिन चिकित्सक से मिले दवा को खाकर नागो सब कुछ भूल गया है.केस स्टडी 4गम्हरिया निवासी सलाम विगत पांच वर्षों से शराब में डूबा हुआ था. पत्नी के लाख समझाने के बाद जब सलाम ने शराब नहीं छोड़ा तो पत्नी दो छोटे छोटे बच्चों को लेकर मायके के लिए निकल गयी. लेकिन सलाम शराब नहीं छोड़ सका. शराबबंदी की घोषणा के बाबत खुल सलाम को गलती का एहसास हुआ और वह आज काउंसलर की सहायता से इलाज करवा रहा है. कुछ दवाओं को खाकर सलाम शराब को तौबा कर चुका है. ऐसे समझाती है काउंसलर मधेपुरा. नशा के आदि व्यक्ति को नशा छोड़ने के लिए सदर अस्पताल की काउंसलर सुधा संध्या प्रेरित करती हैं. सुधा संध्या ने बताया कि नशा के आदि व्यक्ति को विश्वास में लेकर उसके द्वारा शराब पर किये गये खर्च, नशा के कारण बरबाद हुए समय और नशेड़ी प्रवृति के कारण घर और समाज में मान सम्मान नहीं मिलने जैसे भवनात्मक पहलुओं पर बात की जाती है. साथ ही नशा के कारण होने वाले बीमारियों के बारे में गहराई से बताया जाता है. कुछ लोग तो काउंसिलिंग के समय भवनात्मक होकर रोने लगते है. इस दौरान उन्हें शराब के कारण होने वाली बीमारी के इलाज पर होने वाले खर्च की जानकारी भी दी जाती है. सबकुछ जान कर हर व्यक्ति शराब सहित अन्य नशा को तौबा करने का पक्का मन बना लेता है.– केंद्र से कैसे होगी नशामुक्ति –जिले के स्वास्थ्य महकमा द्वारा सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय के प्रति जागरूक नहीं दिख रही है. महज औपचारिकता के लिए सदर अस्पताल परिसर में नशा मुक्ति केंद्र खोल दिया गया है. इस केंद्र पर मात्र तीन एएनएम की नियुक्ति की गयी है. काउंसलर को अस्पताल के आउटडोर में बैठने की इजाजत दी गयी है. वहीं नशा मुक्ति केंद्र के नोडल पदाधिकारी डा सुमन कुमार झा अस्पताल में इमरजेंसी डयूटी पर तैनात कर रहे है. नशा मुक्ति केंद्र में पदस्थापित एएनएम आशा पासवान बताती है कि कुछ लोग आते है और केंद्र को देखकर लोट जाते है. वहीं जानकार लोगों की माने तो अगर काउंसलर को नशा मुक्ति केंद्र में पदस्थापित किया तो अधिक लोग नशा छोड़ के प्रति जागरूक होंगे. चोरी छिपे बिक रही शराब मधेपुरा. तू डाल डाल तो में पात पात की तर्ज पर इन दिनों जिला मुख्यालय सहित विभिन्न थाना क्षेत्रों में पुलिस और अवैध शराब माफियाओं के बीच लूका छिपी का खेल जारी है. जिला मुख्यालय में कईजगह चोरी छिपे देशी और विदेशी शराब बेचे जाने की बात कही जा रही है. 31 मार्च तक जो देश शराब की बोतल 45 रूपये में उपलब्ध थी वह अभी 120 से 150 रूपये में बिक रहा है. विदेश शराब के बोतलों का भी दो गूण व तीन गूण दाम वसूला जा रहा है. हालांकि पुलिस प्रशासन मुस्तैदी के साथ अवैध शराब विक्रेताओं के खिलाफ अभियान चला रखा है. लेकिन विक्रेताओं की लंबी लिस्ट के सामने पुलिस की कार्रवाई सिफर है.
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मुश्किल है पर असंभव नहीं मुंह की लगी का छूटना
मुश्किल है पर असंभव नहीं मुंह की लगी का छूटना फोटो – मधेपुरा 04,06,09,10कैप्शन – नशा मुक्ति केंद्र में बैठी एएनएम, काउंसलर सुधा संध्या और केंद्र में खाली पड़े बेड –इंट्रो — पूर्ण शराब बंदी की घोषणा भले ही सरकार ने की हो. लेकिन समाज का सभी वर्ग एकजुटता के साथ नशा के विरुद्ध मौन […]
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