ऑटो-रिक्शा : दर्द भी है और दवा भीफोटो – मधेपुरा 02कैप्शन – मधेपुरा शहर की सड़कों पर अतिक्रमण और जाम का नजारा है आम फोटो – मधेपुरा 03कैप्शन – सिंहेश्वर स्थित हाथी गेट के पास खड़े रहते हैं ऑटो – ऑटो चालक स्थायी पड़ाव नहीं होने के कारण जहां तहां खड़ा करते हैं ऑटो – अतिक्रमण के कारण संकरी हो चुकी सड़कों पर ऑटो से लगता है जाम इंट्रो::::::::::::::::जिले में आवागमन के लिए सार्वजनिक वाहन के तौर पर ऑटो रिक्शा ऐसी सवारी है, जो हर जगह आसानी से उपलब्ध है. इस तिपहिया सवारी पर लोगों की निर्भरता इस कदर हो गयी है कि इसके बिना जिले में एक से दूसरी जगह जाना दूश्वार है. वहीं दूसरी ओर बाजार में ऑटो रिक्शा के कहीं भी खड़ा होने के कारण जाम की समस्या भी उत्पन्न होने लगी है. शहर सहित सिंहेश्वर में कहीं भी ऑटो स्टैंड नहीं होने या ठहराव स्थल चिह्नित नहीं होने के कारण ऑटो चालक ऑटो को जहां-तहां खड़ा करते हैं. ऐसे में जाम की समस्या भी होती है. इसलिए मेले के दौरान सिंहेश्वर स्थान से मधेपुरा सहित अन्य जगहों पर चलने वाले ऑटो को उस दौरान पूरी तरह बंद रखा जा सकता है. प्रतिनिधि, सिंहेश्वरजिले की धार्मिक नगरी सिंहेश्वर में शिवरात्रि मेला के दौरान ऑटो परिचालन ठप हो सकता है. सिंहेश्वर स्थान से मधेपुरा सहित अन्य जगहों पर चलने वाले ऑटो को उस दौरान पूरी तरह बंद रखा जा सकता है. हालांकि जिला ऑटो चालक संघ द्वारा लिये गये इस तात्कालिक निर्णय पर मंगलवार को सिंहेश्वर में आयोजित ऑटो चालक संघ की बैठक में ही अंतिम फैसला होगा. ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष विजेंद्र यादव एवं सचिव अमित कुमार ने बताया कि मेला के दौरान प्रशासन की ओर से ऑटो परिचालन के लिए उचित व्यवस्था नहीं किये जाने एवं चालकों के साथ दुर्व्यवहार किये जाने को लेकर ऑटो चालक संघ ने यह निर्णय लिया है. इस निर्णय पर अमल किया जाये या नहीं अथवा क्रियान्वयन का स्वरूप निश्चित करने के लिए मंगलवार को सिंहेश्वर स्थित महावीर चौक पर बैठक होगी. गौरतलब है कि शिवरात्रि मेला के दौरान सिंहेश्वर मुख्य सड़क पर लोगों की अत्यधिक भीड़ जुटती है. सड़क पर लगने वाले जाम को देखते हुए ऑटो का परिचालन मुख्य सड़क से बंद कर दिया जाता है. मधेपुरा एवं दक्षिण दिशा से आने वाले ऑटो के लिए सिंहेश्वर नारियल फार्म की तरफ रोका जाता है. वहीं उत्तर दिशा गम्हरिया, सुपौल अथवा पिपरा की ओर से आने वाले ऑटो को दुर्गा चौक पर ही रोका जाता है. केवल लंबी दूरी के लिए चलने वाले ऑटो को ही मुख्य सड़क से गुजरने की इजाजत होती है. ऑटो चालक संघ का कहना है कि प्रशासन उनके लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था करे अन्यथा ऑटो चालक एक महीने ऑटो नहीं चलायेंगे. — दिनों दिन बढ़ती जा रही संख्या– ऑटो रिक्शा की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी होती जा रही है. दस वर्ष पहले जिले में ऑटो की संख्या करीब आठ सौ थी. वहीं पांच साल पहले यह संख्या 1200 से अधिक हो गयी. वर्तमान में यह संख्या बढ़ कर 2500 से भी अधिक है. ऑटो परिचालन पर करीब चार हजार से अधिक परिवारों की आजीविका निर्भर है. — संघ की भी अपनी है शिकायत –जिले में ऑटो चालक संघ बीस साल से भी अधिक समय से सक्रिय है. संघ का दर्द भी कम नहीं है. जिला ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष विजेंद्र यादव कहते हैं कि जिले की अधिकतर सड़कें संकरी हैं. जहां चौड़ी सड़क है वहां अतिक्रमण के कारण और निजी गाडि़यों के खड़े होने के कारण सवारी उतारने और चढ़ाने के लिए ऑटो को सड़क पर ही रोकना मजबूरी है. कहीं भी स्थायी ऑटो स्टैंड नहीं बना है. सड़कों के किनारे ठहराव स्थल भी नहीं है . इसलिए ऑटो को सड़क पर ही खड़ा करना मजबूरी है. — पटना की तरह शुल्क मुक्त हो — जिले में कहीं भी ऑटो रिक्शा के लिए स्थायी पड़ाव नहीं है. जबकि उनसे प्रतिदिन शुल्क लिया जाता है. ऑटो चालक संघ के महासचिव धरम जी कहते हैं कि पहले तो प्रति ट्रिप उनसे शुल्क लिया जाता था. इसके खिलाफ आंदोलन के बाद अब प्रति दिन जिले में कहीं भी एक बार शुल्क देना तय किया गया. ऑटो चालक संघ के सचिव अमित कुमार कहते हैं कि पटना में ऑटो को शुल्क रहित कर दिया गया है. उनसे स्टैंड या फेरी के नाम पर कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता. यह व्यवस्था यहां भी होनी चाहिए. — प्रशासन नहीं है गंभीर —इन समस्याओं के बारे में प्रशासन बहुत गंभीर नहीं है. न तो अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाता है और न व्यवस्था कायम करने की कवायद की जाती है. मधेपुरा शहर की मुख्य सड़क पर निजी गाडि़यों का मेला लगा रहता है. लोग खरीदारी करने दुकानों में रहते हैं और उनकी गाडि़यां सड़क पर ही खड़ी रहती है. ऐसे में ऑटो रूकने पर जाम की स्थिति उत्पन्न जाती है. सिंहेश्वर बाजार की मुख्य सड़क पर ही सब्जी का थोक बाजार है. यहां गाडि़यों पर सब्जी को लादने और उतारने का सिलसिला घंटों चलता है. इसके कारण सिंहेश्वर में घंटों जाम लगना लाजिमी है. प्रशासन अगर इन बातों पर ध्यान दे तो जाम को काफी हद तक काबू किया जा सकता है. वहीं गलत तरीके से ऑटो परिचालन पर भी कड़ी कार्रवाई किया जाना चिाहए. — मनमाने तरीके से भी परिचालन –यह ठीक है कि ऑटो रिक्शा खड़ी करने के लिए स्टैंड नहीं है और न ठहराव स्थल बने हैं लेकिन केवल इस वजह से ऑटो रिक्शा चालकों को मनमाने परिचालन का अधिकार नहीं मिल जाता. मधेपुरा मुख्य सड़क और सिंहेश्वर बाजार की बात करें तो यहां ऑटो रिक्शा के कारण अक्सर जाम की स्थिति हो जाती है. सिंहेश्वर में मेन रोड पर हाथी गेट के पास ऑटो खड़ा करने के कारण अक्सर मंदिर रोड से मुख्य सड़क पर आने वाले बाइक सवारों की झड़प हो जाया करती है. वहीं नाबालिग चालक के कारण दुर्घटना की आशंका भी रहती है. — वर्जन — ऑटो स्टैंड का टेंडर जिला परिसद करता है. राजस्व भी जिला परिषद के ही पास रहता है. स्टैंड उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी जिला परिषद की है. – संजय कुमार निराला, अनुमंडल पदाधिकारी, मधेपुरा — वर्जन — बस पड़ाव और ऑटो पड़ाव को लेकर क्या योजनाएं है इसकी समीक्षा की जा रही है. संबंधित जगहों पर ऑटो पड़ाव को निर्माण करवा कर इस समस्या को दूर किया जायेगा. मिथिलेश कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद मधेपुरा.
ऑटो-रक्शिा : दर्द भी है और दवा भी
ऑटो-रिक्शा : दर्द भी है और दवा भीफोटो – मधेपुरा 02कैप्शन – मधेपुरा शहर की सड़कों पर अतिक्रमण और जाम का नजारा है आम फोटो – मधेपुरा 03कैप्शन – सिंहेश्वर स्थित हाथी गेट के पास खड़े रहते हैं ऑटो – ऑटो चालक स्थायी पड़ाव नहीं होने के कारण जहां तहां खड़ा करते हैं ऑटो – […]
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