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नयी तकनीक से करें खेती, होगा फायदा

नयी तकनीक से करें खेती, होगा फायदा — पेज 3 की लीड –फोटो – मधेपुरा 2कैप्शन- कृषि मेला का उद्घाटन करते डीडीसी सहित अन्य पदाधिकारी व किसान फोटो- मधेपुरा 3कैप्शन- कृषि मेला में विभिन्न प्रखंडों से पहुंचे किसान – बी एन मंडल स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय कृषि यांत्रिकीकरण सह उपादान मेला का शुभारंभ करते […]

नयी तकनीक से करें खेती, होगा फायदा — पेज 3 की लीड –फोटो – मधेपुरा 2कैप्शन- कृषि मेला का उद्घाटन करते डीडीसी सहित अन्य पदाधिकारी व किसान फोटो- मधेपुरा 3कैप्शन- कृषि मेला में विभिन्न प्रखंडों से पहुंचे किसान – बी एन मंडल स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय कृषि यांत्रिकीकरण सह उपादान मेला का शुभारंभ करते हुए डीडीसी ने कहा प्रतिनिधि, मधेपुरा खेती में नयी तकनीक का उपयोग करने से न केवल समय की बचत होगी बल्कि उपज भी बढ़ेगी. ऐसे समय में जब कृषि भूमि का रकबा कम होता जा रहा है. मजदूर भी कम हो गये हैं, कृषि यंत्र के उपयोग से ही उपज में वृद्धि की जा सकती है. शनिवार को जिला मुख्यालय स्थित बीएन मंडल स्टेडियम में कृषि विभाग की ओर से कृषि यांत्रिकीकरण सह उपादान मेला एवं आत्मा की ओर से आयोजित कृषक गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए उपविकास आयुक्त मिथिलेश कुमार किसानों को संबोधित कर रहे थे. इससे पहले दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की गयी. वहीं अतिथियों का स्वागत गुलदस्ता भेंट कर किया गया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार कृषि के विकास को लेकर काफी गंभीर है. सरकारी योजनाओं में बड़ी हिस्सेदारी कृषि की है. मनरेगा में भी 60 फीसदी कार्य कृषि से ही संबंधित है. पौधारोपण, तालाब निर्माण, भू समतलीकरण आदि सहित अन्य कई चीजों को मनरेगा में शामिल किया गया है. उन्होंने किसानों से वार्ड सभा में भाग लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि योजनाएं आपके लिए ही हैं. वर्मी कंपोस्ट, मुर्गी पालन आदि में शत प्रतिशत अनुदान है. किसान इसका लाभ लें. उन्होंने किसानों से अनुदान ले कर उसका उपयोग खेती में ही करने की सलाह देते हुए कहा कि ऐसा देखा जा रहा है कि कुछ लोग अनुदानित दर पर कृषि यंत्रों की खरीदारी किसी और के लिए भी करते हैं. ऐसा नहीं करें. वहीं जिला कृषि पदाधिकारी यदुनंदन प्रसाद ने कहा कि कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. आधुनिक तरीके से खेती समय की अनिवार्यता है. उन्होंने कृषि मेला में आये कृषि यंत्रों के विभिन्न विक्रेताओं से कहा कि वे मेला के बाहर भी जिन यंत्रों की बिक्री करते हैं उसके डाक्यूमेंट ऑन लाइन करें ताकि जल्द से जल्द अनुदान की राशि किसानों के खाते में भेजी जा सके. उन्होंने किसानों से कहा कि वे बाहर से भी कृषि विभाग में रजिस्टर्ड विक्रेताओं से कृषि यंत्रों की खरीद कर सकते हैं. वहीं आत्मा के परियोजना निदेशक राजन बालन ने कहा कि कृषि विभाग के किसी भी कार्यक्रम में आत्मा की अहम भूमिका होती है. उन्होंने किसानों को आत्मा के तहत एक विषय पर केंद्रित ग्रुप बनाने की सलाह दी. जैसे औषधीय एवं सुगंधीय खेती पर एक ग्रुप का निर्माण किया जा सकता है. इसी तरह धान की खेती करने वाले किसान एक ग्रुप बना सकते हैं. एक ग्रुप मिल कर किसी महंगे कृषि यंत्र की खरीद भी कर सकता है. इसमें अनुदान का प्रावधान भी है. एक ग्रुप में 15 से 20 सदस्य होते हैं. कार्यक्रम में कृषि विकास केंद्र के समन्वयक कृषि वैज्ञानिक डा मिथिलेश राय, सुनील सिंह, राम प्रकाश शर्मा, उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अजय कुमार सिंह एवं प्रगतिशील किसान शंभू शरण भारतीय ने भी किसानों को संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन जिला कृषि समन्वयक मिथिलेश कुमार क्रांति कर रहे थे. इस अवसर पर आत्मा के परियोजना निदेशक राजन बालन ने मैं किसान हूं… बड़ा परेशान हूं… कविता का पाठ किया. इसे सून कर किसान वाह वाह कर उठे. ————————किसानों को दी गेहूं प्रबंधन की जानकारी फोटो- मधेपुरा 5कैप्शन- किसान गोष्ठी को संबोधित करते आत्मा के परियोजना निदेशक प्रतिनिधि, मधेपुरा. जिला मुख्यालय स्थित बीएन मंडल स्टेडियम में शनिवार को आत्मा की ओर से वैज्ञानिक किसान सम्मेलन सह कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी का उद्देश्य आदर्श पंचायत के किसानों वैज्ञानिक खेती के जरिये इसके लाभ को बताना और इस क्षेत्र मे शत प्रतिशत वैज्ञानिक खेती के लक्ष्य को पूरा करने में सहायता देना था. कृषि विकास केंद्र के समन्वयक कृषि वैज्ञानिक डा मिथिलेश राय ने कृषक गोष्ठी में किसानों को गेहूं की आधुनिक खेती व खरपतवार प्रबंधन की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही तापमान रहा तो गेहूं की पैदावार न केवल बीस फीसदी तक कम हो जायेगी बल्कि दाने की गुणवत्ता भी बुरी तरह प्रभावित हो जायेगी़ उन्होंने बताया कि सामान्यतया इन दिनों अधिकतम तापमान 15 से 20 डिग्री रहा करता था लेकिन फिलवक्त न्यूनतम तापमान 9़5 एवं अधिकतम तापमान 25 डिग्री है़ अगर यही स्थिति रही गेहूं के पौधों में कल्ला (पौधों से निकलने वाले कोंपल) नहीं बनेगा़ अगर कल्ला नहीं बना तो पौधों की संख्या कम हो जायेगी़ कल्ला निकलने के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान चाहिए़ अभी समय कल्ला निकलने का ही है़ डा मिथिलेश ने कहा कि गेहूं के फसल के प्रबंधन की जरूरत से क्षति को कम किया जा सकता है़ खर पतवार खेत से पूरी तरह हटा दें अभी औसतन गेहूं के पौधो की आयु 25 से 30 दिनों की है़ प्रबधंन के लिए किसान टोटल नाम की दवाई का छिड़काव करें तो क्षति कम होगी़ यह दवा सल्फा सल्फयूरॉन 75 फीसदी और मेट सल्फयूरॉन 5 फीसदी का मिश्रण है़ 16 ग्राम दवा को छह लीटर पानी में मिला लें़ इसमें दवा के साथ आने वाले रसायन सर्फेक्टांट पांच सौ ग्राम को घोल में मिला दें़ अब इस तैयार घोल में से एक लीटर घोल को 14 लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें़ वहीं 150 से 200 ग्राम यूरिया प्रति कट्ठा इस्तेमाल करें. इस प्रबधंन से फसल अपनी आयु पूरी कर सकेगा और मौसम से होनी वाली क्षति को कम किया जा सकता है़ कृषि वैज्ञानिक समान्यत: दो तीन सिंचाई की जाती है लेकिन इस स्थिति में पटवन की संख्या बढ़ानी होगी. 20 से 25 दिन में पहली सिंचाई, 40 से 45 दिन में गांठ निकलते वक्त दूसरी सिंचाई, 70 से 75 दिन में फसल के गाभा वस्था के समय तीसरी सिंचाई एवं 90 से सौ दिनों में दूध भरते समय चौथी सिंचाई जरूर करें. वहीं कृषि वैज्ञानिक सुनील सिंह एवं राम प्रकाश शर्मा ने रबी फसलों की खेती के साथ साथ कीट , व्याधि एवं रोग प्रबंधन के बारे में किसानों के साथ चर्चा की. उन्होंने कृषि यंत्र के प्रयोग और इसके लाभ की भी जानकारी दी. ————————औषधि आरोग्य के साथ देती है समृद्धि भीफोटो- मधेपुरा 3कैप्शन- औषधिय पौधों के स्टॉल पर मौजूद पदाधिकारी व किसान प्रतिनिधि, मधेपुरा.बीएन मंडल स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान औषधीय खेती पर विशेषज्ञ शंभू शरण भारतीय ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि रासानियक दवाइयों के दुष्प्रभाव को देखते हुए पूरे विश्व में आयुर्वेदिक औषधियों की मांग पराकाष्ठा पर हैं. यह आरोग्य तो देता ही है, किसानों के लिए समृद्धि एवं खुशहाली का रास्ता भी खोलता है. मनुष्य एवं पशु के लिए समान रूप से उपयोगी सतावर और कालमेघ की खेती इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. सतावर का वनस्पति नाम एसपेरागस रेसिमोसस है. इसका उपयोग दुग्धवर्द्धक, बल वर्द्धक, बावासीर, आंतरिक स्राव, पथरी नाशक, चर्म रोग, शारीरिक दर्द, मलेरिया, टाइफाइड, पीलिया, स्नायु तंत्र, ल्यूकोरिया आदि के लिए वरदान माना जाता है. एक पौधे से 20 से 25 किलो सतावर प्राप्त होता है. चूर्ण बना कर बेचने पर सवा लाख से डेढ़ लाख रूपये प्रति क्विंटल इसका बाजार मूल्य हैं. वहीं कालमेघ पुराना मलेरिया पीलिया, पेट की बिमारी, लीवर रोग, हेपेटाइटीस, हृदय की कमजोरी, उच्च रक्तचाप, रक्तशोधक, मधुमेह आदि सहित अन्य कई बीमारियों में लाभ दायक है. एक बीघा में 18 हजार पौधे लगाये जा सकते है. एक सौ दस दिन पर वर्ष में कम से कम दो कटाई होती है. इसका बाजार मूल्य तीन हजार प्रति क्विंटल है. चूर्ण बनाने पर इसका बाजार मूल्य 50 से 70 हजार प्रति क्विंटल है. इन दोनों औषधिय पादपों की अंतरवर्तीय खेती भी की जा सकती है. इस दौरान मेंथा और वर्मी कंपोस्ट उत्पादक किसान धमेंद्र कुमार, रामदेव रमण, आद्यानंद यादव, वशिष्ट कुमार, विवेक कुमार, रंधीर कुमार, आशोक कुमार, रिंकी कुमारी एवं भारती कुमारी सहित अन्य किसान उपस्थित थे. ————————–कृषि लोन के लिए एलपीसी दो दिनों में प्रतिनिधि, मधेपुरा.बैंक से कृषि लोन के लिए किसानों को भूस्वामित्व प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. सामान्यत: प्रखंड कार्यालय के आरटीपीएस के तहत भूस्वामित्व प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाता है. किसानों की इस परेशानी को देखते हुए जिलाधिकारी मो सोहैल एवं डीडीसी मिथलेश कुमार ने जिला कृषि पदाधिकारी एवं अन्य अधिकारियों से इसका हल ढ़ुंढ़ने का निर्देश दिया था. शुक्रवार को हुई बैठक में डीएम ने सभी सीओ को निर्देश दिया कि भूस्वामित्व प्रमाण पत्र अपने स्तर से दो से तीन दिन में जारी किया जाये. ताकि किसानों को नाबार्ड अथवा केसीसी के तहत आसानी से ऋृण प्राप्त हो सके.

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