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सिंहेश्वर मेले की रौनक को लग सकता है ग्रहण!

सिंहेश्वर : बिहार का देवघर कहलाने वाले सिंहेश्वर स्थान में शिवरात्रि के अवसर पर लगने वाले मेले की रौनक पर ग्रहण लग सकता है. जिला प्रशासन की ओर से लगने वाले मेले को लेकर प्रशासन ने बंदोबस्ती की आम सूचना जारी कर दी है. लेकिन संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि इस बारे में […]

सिंहेश्वर : बिहार का देवघर कहलाने वाले सिंहेश्वर स्थान में शिवरात्रि के अवसर पर लगने वाले मेले की रौनक पर ग्रहण लग सकता है. जिला प्रशासन की ओर से लगने वाले मेले को लेकर प्रशासन ने बंदोबस्ती की आम सूचना जारी कर दी है. लेकिन संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि इस बारे में औपचारिक बैठक के बगैर बंदोबस्ती की सूचना निकाली गयी है. सामान्य तौर पर मेला बंदोबस्ती की सूचना जारी करने से पहले न्यास समिति के साथ जिला प्रशासन की बैठक होती रही है.

मेला बंदोबस्ती के लिए सुरक्षित जमा राशि दस लाख पैंतीस हजार रूपये निर्धारित की गयी है जबकि जमानत राशि दो लाख 58 हजार सात सौ पचास रूपये है. डाक की तिथि 12 जनवरी तय की गयी है. हालांकि दो अन्य अनुवर्ती तिथि 20 जनवरी और 27 जनवरी है. गौरतलब है कि विगत वर्ष मेला की बंदोबस्ती करीब साढ़े पांच लाख में की गयी थी. जबकि इस साल इस रकम में दोगुनी वृद्धि की गयी है.– जिला प्रशसन की है आठ एकड़ जमीन — सिंहेश्वर मेला का आयोजन 42 एकड़ जमीन पर होता है. खास बात यह है कि इस 42 एकड़ में जिला प्रशासन की भूमि केवल आठ एकड़ 65 डिसमिल ही है. यह जमीन भी काफी पहले न्यास समिति ने ही जिल प्रशासन को दिया था. इस जमीन पर मेला लगाने के बदले जिला प्रशासन न्यास समिति को प्रत्येक वर्ष मेला बंदोबस्ती की राशि का 15 फीसदी का भुगतान भी करता है.

मेला आयोजन में फंस सकता है पेंच –न्यास समिति का कहना है कि जिला प्रशासन संपूर्ण 42 एकड़ पर मेला की बंदोबस्ती कैसे कर सकता है. उसे केवल आठ एकड़ 65 डिसमिल पर ही मेला लगाना होगा. शेष जमीन न्यास समिति की है. उस पर मेला लगाने का अधिकार न्यास समिति को है. मामला यही फंसता है. केवल आठ एकड़ 65 डिसमिल जमीन पर मेला लगाने के लिए दस लाख पैंतीस हजार की राशि की बोली कौन लगायेगा.

जिला प्रशासन की जमीन मेला ग्राउंड में पूर्व दिशा से है. — ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ — –विगत कई वर्षों से ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ की तर्ज पर सिंहेश्वर न्यास समिति ही मेला का ठेका लेती रही है. विगत वर्ष भी न्यास समिति ने यह ठेका करीब साढ़े पांच लाख रूपये में लिया था. वर्ष 2003 से यह सिलसिला प्रत्येक वर्ष चलता आ रहा है. इससे पहले मेले का जब निजी हाथों में दिया गया था तो मेला में रंगदारी और दुकानदारों से जबरन ज्यादा रकम की वसूली के कारण मेला समाप्ति के कगार पर पहंुच गया था. बाद में इसे न्यास समिति के हाथों में दिया गया. इसके बाद मेला धीरे-धीरे फिर से अपने स्वरूप में लौटने लगा है.

विगत वर्ष ही बढ़ायी गयी जमीन की दर — सिंहेश्वर मेला में बाहर से आने वाली दुकानों का किराया प्रति फीट के हिसाब से लिया जाता है. वर्ष 2015 से पहले यह दर 75 रूपये प्रति रनिंग फीट हुआ करता था. इस वर्ष लगाये गये मेले में इस दर को बढ़ा कर 150 रूपये प्रति रनिंग फीट किया गया. अब अगर बंदोबस्ती की रकम बढ़ायी गयी है तो इसका असर किराया पर भी पड़ेगा.

लेकिन न्यास समिति की नियमावली के अनुसार किराये में तीन वर्ष तक कोई वृद्धि नहीं की जा सकती है. नतीजतन एक बार फिर मेले की रौनक पर ग्रहण लग जायेगा. — वर्जन — मुझे इस मामले की तकनीकी जानकारी नहीं है, न्यास समिति के सचिव सह एसडीएम के प्रस्ताव के आलोक में यह बंदोबस्ती की सूचना निकाली गयी है. मैं उनसे पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद ही इस मामले में कुछ बता सकूंगा. मो सोहैल, जिलाधिकारी, मधेपुरा

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