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एक नर्स के सहारे चल रहा है अस्पताल

एक नर्स के सहारे चल रहा है अस्पताल फोटो – मधेपुरा 08कैप्शन – प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज प्रशासनिक उदासीनता के कारण प्रखंड के एडीशनल पीएचसी मंजौरा में रोग ग्रस्त लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. रोगी अस्पताल पहुंच कर वापस घर लौट आते है. चूंकि अस्पताल भवन में अक्सर ताला लटका रहता है. पीएचसी के […]

एक नर्स के सहारे चल रहा है अस्पताल फोटो – मधेपुरा 08कैप्शन – प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज प्रशासनिक उदासीनता के कारण प्रखंड के एडीशनल पीएचसी मंजौरा में रोग ग्रस्त लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. रोगी अस्पताल पहुंच कर वापस घर लौट आते है. चूंकि अस्पताल भवन में अक्सर ताला लटका रहता है. पीएचसी के संचालन के लिए मात्र एक ही नर्स पदस्थापित है. आरंभ में यहां उप स्वास्थ्य केंद्र था. किंतु दस वर्ष पूर्व इसे अपग्रेड कर एडीशनल पीएचसी का दर्जा दिया गया था. लेकिन दर्जा मिलने के बाद पीएचसी पर सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया. चूंकि अब तक इस अस्पताल को डॉक्टर, कंपाउंडर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ – साथ पर्याप्त संख्या में नर्सों का पदस्थापन नहीं किया जा सका. वैसे वर्तमान में एक नर्स पदस्थापित है लेकिन वो भी प्रखंड मुख्यालय में रहकर वेतन उठाती रही. नर्स अकेले रहने के कारण वह उपचार करने में सक्षम नहीं है. — भवन हुआ जर्जर — अस्पताल को अभी भी भवन का दरकार है. पूर्व के उप स्वास्थ्य केंद्र के छोटे भवन आज भी है. किंतु रख रखाव के अभाव में उसकी भी स्थिति जर्जर हो चुकी है. इस ओर विभाग कोई ध्यान नहीं दे रही है. – चल रहा है पुलिस फांड़ी — स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पूर्व से ही यहां आवासीय भवन उपलब्ध है. लेकिन जब स्वास्थ्य कर्मी रहते ही नहीं है तो उस स्थिति में आवासीय भवन में पुलिस फांड़ी चलाना शुरू कर दिया. वहीं अस्पताल के पास दो एकड़ से भी अधिक जमीन है. जिस जमीन का अतिक्रमण बाजार के लोगों के द्वारा किया जा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस पर रोक लगाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया है. — रोगियों को कोई लाभ नहीं — एडीसनल पीएचसी का दर्ज देने के पीछे सरकार की मंशा रही थी कि प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर मंजौरा, बीड़ीरनपाल, जौतेली व लक्ष्मीपुर लालचंद ग्राम पंचायत के रोग्रस्त लोगों को सुलभ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी. लेकिन क्षेत्र के लोगों को पीएचसी होने के बावजूद कोई लाभ नहीं मिल रहा है. लोग चिकित्सा सुविधा के लिए या तो किसी दूसरे पीएचसी का सहारा लेते है या गांव से दूर जिला मुख्यालय इलाज कराने आते है जिस कारण लोगों का समय तो बर्बाद होता ही है साथ ही पैसे भी ज्यादे खर्च होते है. इसकी वजह है कि न तो यहां डॉक्टर पदस्थापित किये गये न तो कर्मी. जब स्वास्थ्य कर्मी ही पद स्थापित नहीं है तो लोगों का न तो उपचार हो सकेंगा और न ही दवाई की सुविधा मिल सकेंगी. इस तरह लोगों का उपचार करने बजाय खुद बीमार हो गया है यह अस्पताल.

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