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जिला मधेपुरा से टास्क

जिला मधेपुरा से टास्क फोटो – मधेपुरा 12,13,14ग्राउंड रिपोर्ट मधेपुराजिले के 04 विधानसभा सीट पर 05 नवंबर को मतदान की तिथि निर्धारित है. गुरुवार को प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. चारों विधानसभा क्षेत्र से चुनाव के लिए नामांकन कर चुके प्रत्याशी चुनावी महासंग्राम में कूद चुके हैं. हालांकि नाम वापसी के […]

जिला मधेपुरा से टास्क फोटो – मधेपुरा 12,13,14ग्राउंड रिपोर्ट मधेपुराजिले के 04 विधानसभा सीट पर 05 नवंबर को मतदान की तिथि निर्धारित है. गुरुवार को प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. चारों विधानसभा क्षेत्र से चुनाव के लिए नामांकन कर चुके प्रत्याशी चुनावी महासंग्राम में कूद चुके हैं. हालांकि नाम वापसी के साथ ही यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि 60 प्रत्याशी मैदान में अपने भाग्य आजमा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव पर गौर किया जाय, तो जिले के चारों सीट में से जनता दल यू तीन सीट पर व राजद के हिस्से में एक सीट गयी है. उस समय भाजपा और जदयू के बीच गंठबंधन था. लेकिन इस बार की स्थितियां व परिस्थितियां बदल चुकी है. जदयू और भाजपा का गंठबंधन टूट चुका है. वहीं अब जदयू के साथ राजद और कांग्रेस के महागंठबंधन जिले के चुनावी रंग को एक नया मोड़ दे दिया है. एक तरफ यदि गौर किया जाय तो महागंठबंधन के बनने से जिले की चारों विधानसभा सीट पर पूर्व से महागंठबंधन का कब्जा है. ऐसे में किसी अन्य गंठबंधन या विशेष का पूरे देश में चली भाजपा की बयार इस बार के चुनाव को काफी दिलचस्प बना रहा है. वहीं गंठबंधन के बदलते रिश्तों में कोसी क्षेत्र में सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की जनअधिकार पार्टी के साथ – साथ प्रमुख पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े संघर्ष की ओर इंगित कर रहा है. लेकिन इस बार के विधान सभा चुनाव 2015 को सही मायने में देखा जाय तो एक बात तो स्पष्ट प्रतीत होता है कि इस बार के चुनाव में राजनैतिक समीकरण भी बदले हुए नजर आ रहे हैं. जहां स्थानीय समीकरण हावी था वहीं जातीय समीकरण की आड़ में विकास की बात भी की जा रही है. मतदाताओं की मनोदशा विकास के मुद्दे पर जरूर टिक चुकी है. लेकिन पूर्व के चुनाव के अनुभवों के आधार पर गौर किया जा तो विकास के मुद्दे पर जातीय गणित के समीकरण से इनकार करना मुनासिब नहीं होगा. हालांकि शहर के चौक चौराहे से लेकर गांव की बैठकी में चाय की चुस्की के साथ चुनावी चर्चा का दौर शुरू हो चुका है. यदि सच में मतदाताओं के मानसिकता की बात करें तो समाज में इतना तो बदलाव जरूर आया है. विकास से कोसों दूर अब मतदाता विकास की बात करने लगे है. वे कहते नजर आ रहे है. जिसका विकास ही लक्ष्य होगा. वहीं मत के अधिकारी है. लेकिन यह यूनिवर्सल ट्रूथ है कि विकास के साथ जातीय अंक गणित की बात की जा रही है. यह तो पांच नवंबर को ही पता चलेगा. विकास पर जातीय गणित भारी पड़ती है या विकास की विजय सुनिश्चित होती है. बहर हाल इस चुनावी महासंग्राम में महागंठबंधन, एनडीए तो कहीं तीसरा मोरचा एक दूसरे के लिए परेशानी खड़ी कर सकते है. वहीं बागी भी खेल बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं. 70 आलमनगर विधानसभा क्षेत्रवोटर – 3,13,353विधानसभा चुनाव 2010जीते – नरेंद्र नारायण यादव (जदयू)हारे – लवली आनंद ( कांग्रेस )मैदान में इस बार – महागंठबंधन – नरेंद्र नारायण यादव (जदयू)एनडीए – चंदन सिंह (लोजपा)जअपा – जय प्रकाश सिंह इस सीट पर जदयू के सिटिंग विधायक व बिहार सरकार के राजस्व व भूमि सुधार मंत्री नरेंद्र नारायण यादव लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं. इनकी लोक प्रियता इसी बात से आंकी जात सकती है. कोसी क्षेत्र में अपने राजनीतिक जमीन को मजबूती देने के लिए सांसद पप्पू यादव की पार्टी जनअधिकार से जय प्रकाश सिंह मजबूती के साथ मैदान में डटे हैं. वहीं एनडीए प्रत्याशी के रूप में लोजपा के चंदन सिंह भी मैदान में है. इसके साथ ही निर्दलीय व अन्य दलों के प्रत्याशी मैदान में है. हालांकि यहां भी विकास के नाम पर मतदाताओं को नये-नये सपने दिखाये जा रहे हैं. इस बार क्षेत्र की राजनीति में बदलाव जरूर नजर आ रहा है. लेकिन एक लेंबे अरसे से इस सीट पर जदयू के कब्जा से किसी भी अन्य दल को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि यह क्षेत्र बाढ़ ग्रस्त इलाका होने के कारण यहां विकास की गति बहुत धीमी है. यातायात व आवागमन बिजली की असुविधा लोगों को सता रही है. अब लोगों के नजर विकास का मुद्दा चुनाव में मुख्य बनता जा रहा है. कुल मिला कर देखा जाय तो संघर्ष की आशंका बनती नजर आ रही है. 71 बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र वोटर – 2,84,106विधानसभा चुनाव 2010जीते – रेणु कुशवाहा (जदयू)हारे – इंजीनियर प्रभाष (राजद )मैदान में इस बार – महागंठबंधन – निरंजन कुमार मेहता (जदयू)एनडीए – रविंद्र चरण यादव (भाजपा)जअपा – श्वेत कमल जदयू के कब्जे में यह सीट है. यहां के विधायक रेणु कुशवाहा पार्टी छोड़ कर भाजपा के टिकट से समस्तीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि महागंठबंधन बनने के बाद क्षेत्र की राजनीति में बदलाव दिख रहा है. महागंठबंधन से जदयू प्रत्याशी के रूप में निरंजन मेहता मैदान में लेकिन राजद के पूर्व विधायक पूर्व मंत्री रविंद्र चरण यादव आरजेडी का दामन छोड़ कर एनडीए प्रत्याशी के रूप में भाजपा का उम्मीदवार हैं. वहीं जनअधिकार पार्टी से श्वेत कमल भी मैदान में है. हालांकि यहां एक पार्टी से दूसरे पार्टी में पाला बदलने से चुनावी समीकरण में बदलाव आया है. जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है. हालांकि, कुछ निर्दलीय उम्मीदवार अपने आप में काफी मजबूत भी है. ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, क्षेत्र में किसानों की समस्या से लेकर सड़क, शिक्षा, बिजली एनएच की स्थिति, नगर पंचायत की स्थिति को देखते हुए मतदाताओं पर विकास का मुद्दा हावी नजर आ रहा है. लेकिन खास लोगों की भूमिका भी स्पष्ट जान पड़ती है. ऐसे में देखना है कि उम्मीदवार विकास के मुद्दा को नंबर वन बनाते है या पूर्व के जातीय आधार को यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा.72 सिंहेश्वर विधानसभा क्षेत्र (सुरक्षित)वोटर – 2,85,891 विधान सभा चुनाव 2010जीते – रमेश ऋषिदेव (जदयू)हारे – अमित भारती (राजद )मैदान में इस बार – महागंठबंधन – रमेश ऋषिदेव (जदयू)एनडीए – मंजू देवह (हम)जअपा – अमित कुमार भारती यह विधानसभा सीट सुरक्षित क्षेत्र है. यहां जदयू के विधायक रमेश ऋषिदेव इस बार भी महागंठबंधन प्रत्याशी के रूप में जदयू के उम्मीदवार है. 2010 के विधान सभा चुनाव में रमेश ऋषिदेव राजद के उम्मीदवार अमित भारती को हरा कर विजयी हुए थे. इस बार अमित भारती पप्पू यादव के जनअधिकार पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है. वहीं एनडीए गंठबंधन में हम प्रत्याशी के रूप में मंजु देवी हैं. ऐसे में यहां त्रिकोणीय संघर्ष से इनकार नहीं किया जा सकता है. सुरक्षित क्षेत्र होने के कारण वोटरों का रूझान उम्मीदवार पर निर्भर करता है. वैसे यहां भी सामाजिक परिवर्तन के साथ लोगों के सोच में परिवर्तन देखा जा रहा है. विकास की ओर लोग आगे बढ़ रहे है. ग्रामीण बहुल इलाका होने के कारण आवागमन की असुविधा, पुल पुलिया का अभाव, देहाती क्षेत्र में बिजली की असुविधा से लोग परेशान है और वे अब विकास करने वाले प्रत्याशियों को ही तरजीह देने का मन बना रहे है. लेकिन राजनीतिक समीकरण के उपर विकास हावी होगा. यह मतदान के बाद ही लक्षित होगा. फिलहाल क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है. 73 मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र वोटर – 3,04,467विधान सभा चुनाव 2010जीते – प्रो चंद्रशेखर(राजद)हारे – डाॅ रमेंद्र कुमार यादव रवि (एनडीए)मैदान में इस बार – महागंठबंधन – प्रो चंद्र शेखर (राजद)एनडीए – विजय कुमार विमल (भाजपा)जअपा – प्रो अशोक कुमार नामांकन के साथ ही यहां चुनावी सरगर्मी तेज हो गयी. 2010 के विधान सभा चुनाव में चार विधानसभा सीट में सिर्फ एक सीट मधेपुरा से राजद के उम्मीदवार प्रो चंद्र शेखर विजयी हुए थे. इस बार महागंठबंधन प्रत्याशी के रूप में राजद से चंद्रशेखर को ही उम्मीदवार बनाया गया है. 2010 के चुनाव में प्रो चंद्रशेखर एनडीए गठंबंधन के प्रत्याशी रमेंद्र कुमार यादव रवि को हराये थे. लेकिन इस बार एनडीए से भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार विमल हैं. वहीं जनअधिकार पार्टी से प्रो अशोक कुमार पूरे जोश के साथ मैदान में डटे हैं. यहां त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना बनती दिख रही है. महागंठबंधन एनडीए में कड़े मुकाबले के आसार नजर आ रहे हैं. लेकिन जनअधिकार पार्टी के उपम्मीदवार अपने मजबूती बनाने में बनाने में किसी से पीछे रहना नहीं चाह रहे थे. ऐसे में देखना है कि किसका पलड़ा भारी रहेगा. यह तो पांच नवंबर को मतदान के बाद ही पता चलेगा. फिलवक्त चुनावी घमाशान शुरू हो चुका है. — विजय कुमार —

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