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फर्श पर सोती हैं कस्तूरबा विद्यालय की छात्राएं
मधेपुर : प्रखंड क्षेत्र के नबादा गांव स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय विभिन्न संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. शिक्षकों की कमी, पढ़ाई की समुचित व्यवस्था नहीं, मेनू के अनुरूप भोजन नहीं. यह परेशानी इस विद्यालय के लिए आम है. वहीं, संसाधनों की कमी के कारण स्कूल की छात्राओं को फर्श पर सोना पड़ […]
मधेपुर : प्रखंड क्षेत्र के नबादा गांव स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय विभिन्न संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. शिक्षकों की कमी, पढ़ाई की समुचित व्यवस्था नहीं, मेनू के अनुरूप भोजन नहीं. यह परेशानी इस विद्यालय के लिए आम है. वहीं, संसाधनों की कमी के कारण स्कूल की छात्राओं को फर्श पर सोना पड़ रहा है.
सौ छात्राओं के लिए दो शिक्षक
वर्ष 2007 से संचालित इस विद्यालय में नामांकित छात्राओं की कुल संख्या 100 है, लेकिन इन सौ छात्राओं की शिक्षा व्यवस्था मात्र दो शिक्षिकाओं पर है. इसमें एक प्रभारी वार्डेन एवं एक अन्य शिक्षिका हैं. जबकि तीन पूर्ण कालिक एवं तीन अंशकालीन शिक्षिका का पद श्रृजित है. शिक्षिकाओं की कमी के कारण छात्राओं का पठन-पाठन समय से नहीं हो पाता है.
शे-पीस बना कंप्यूटर
छात्राओं को कंप्यूटर का ज्ञान हो इसके लिए विभाग ने कंप्यूटर भी उपलब्ध कराया, लेकिन आज तक कंप्यूटर शिक्षक का पदस्थापन इस विद्यालय में नहीं हो सका. इस कारण विद्यालय में लाया गया कंप्यूटर महज शो-पीस बन कर रह गया है. इसके साथ ही विद्यालय में पंखा की व्यवस्था नहीं है. जिस कारण गरमी के मौसम में छात्रों को काफी परेशानी होती है.
छात्राओं को हो रही परेशानी
विद्यालय में संसाधन की कमी किस कदर है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज तक इस विद्यालय के छात्राओं को सोने के लिये बेड तक की व्यवस्था नहीं हो सकी है. जिस कारण सभी छात्र फर्श पर सोती हैं. छात्राओं को किताब कॉपी व अन्य सामान रखने के लिये मुहैया कराया गया बक्सा जजर्र हो चुका है. इस कारण छात्राओं को अपने सामान की सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है. छात्र कविता, कंचन, खुशबू, रूबी सहित अन्य छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में संसाधन की कमी है. इस कारण हर स्तर पर परेशानी होती है.
क्या क हते हैं संचालक
विद्यालय के संचालक सियाराम महतो ने बताया कि फर्नीचर व अन्य सामान की खरीदारी के लिए राशि उपलब्ध है. क्रय समिति की बैठक में ली जाने वाली निर्णय के पश्चात फर्नीचर, आलमारी सहित अन्य सामान की खरीदारी की जायेगी.
क्या कहते हैं वार्डेन
वार्डेन मीना कुमारी ने बताया कि उपलब्ध संसाधन के जरिये छात्राओं को सुविधा दी जाती है. साथ ही पढ़ाई भी समय से कराया जाता है.
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