ग्वालपाड़ा : प्रखंड मुख्यालय से एक किमी पूरब राजस्व ग्राम नोहर स्थित सुनसान जगह-जगह में हजारों साल पुराना चर्चित पौराणिक व ऐतिहासिक प्रशासनिक दृष्टिकोण से अपेक्षित लक्ष्मी नारायण स्थान अवस्थित है, जहां तालाब के किनारे एक बरगद वृक्ष के नीचे कई श्याम शीलाखंड पर कुछ अर्ध श्वेत शीलाखंड आज भी अपनी चीरगौरवमई गाथा कहते पौराणिक पहचान बनाने के लिये व्यग्र है. प्रशासनिक उदासीनता को देखते हुये ग्रामीणों ने धरोहर को बचाने के लिए स्थानीय स्तर पर चंदा कर मंदिर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है.
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ग्रामीण लक्ष्मी नारायण स्थान पर कर रहे मंदिर का निर्माण
ग्वालपाड़ा : प्रखंड मुख्यालय से एक किमी पूरब राजस्व ग्राम नोहर स्थित सुनसान जगह-जगह में हजारों साल पुराना चर्चित पौराणिक व ऐतिहासिक प्रशासनिक दृष्टिकोण से अपेक्षित लक्ष्मी नारायण स्थान अवस्थित है, जहां तालाब के किनारे एक बरगद वृक्ष के नीचे कई श्याम शीलाखंड पर कुछ अर्ध श्वेत शीलाखंड आज भी अपनी चीरगौरवमई गाथा कहते पौराणिक […]
ग्रामीणों के आदर्श हरिबल्ब ठाकुर, डा महानंद झा , नरेश मोहन झा , वीरेंद्र झा मदन मोहन झा अमर कांत झा , निरंजन झा चंडी ठाकुर , अशोक ठाकुर ,मनोज मिश्र विजय मिश्र , आदेश मिश्र , अजीत , ध्रुव , काली , आदेश झा के अलावे समस्त ग्रामीण की उपस्थिति में युवक संघ नोहर के अध्य़क्ष मनोज शंकर ठाकुर , सचिव नुनुजी , कोषाध्यक्ष डब्लू एवम संघ के अन्य पदाधिकारी के अलावा उदय शंकर झा , संतोष झा के कठिन परिश्रम से बाबा लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रथम तल का ढलाई ग्रामीणों के सहयोग किया गया है.
ज्ञात हो कि प्रतीक्षित भूमि सेज, धूल बिछाबन व बरगद पत्र से छाजन की अवस्था में पड़े हुए थे. जिसे ग्रामीणों के पूर्वजो ने तत्काल छपरी बना कर सहेज कर रखा. जिसे 29 मई 2012 को तात्कालीन आपदा मंत्री के साथ पीके जयसवाल शोध संस्थान के रिसर्च इण्वेस्टिगेटर मानस रंजन ने भी इस स्थल को देखकर आश्चर्य व्यक्त किया था, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता को देखते हुये ग्रामीणों ने ग्रामीण धरोहर को बचाने के लिए चंदा कर मंदिर निर्माण करना प्रारंभ किया.
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